महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव जारी हैं। लेकिन मंगलवार से ही विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े के ऊपर विपक्ष ने कैश बांटने का आरोप लगाया तो अब शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के ऊपर चुनाव में अवैध तरीके से बिटक्वॉइन का प्रयोग करने के आरोप लग रहे हैं।
इस घटना के बाद से लगने लगा है कि पवार परिवार के अंदर जो नजदीकी एक बार को बढ़ती हुई दिख रही थी वह खत्म हो रही है। अजित पवार के एनसीपी को तोड़कर अलग होने के बाद से ही चाचा-भतीजे में तनाव जारी था, बीच में थोड़ी नरमी आई। लेकिन अब यह फिर से बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है।
पहले हुआ था पछतावा
लोकसभा चुनावों के बाद अगस्त में एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने एक बयान दिया था कि उन्हें अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को अपनी बहन सुप्रिया सुले के सामने चुनाव नहीं लड़ाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा था कि वह अपनी बहन को बहुत प्यार करते हैं।
उन्होंने कहा था, 'मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करता हूं। राजनीति को घर में नहीं घुसने देना चाहिए। सुनेत्रा को अपनी बहन के खिलाफ उतारकर मैंने बहुत बड़ी भूल की। यह नहीं होना चाहिए था। लेकिन एनसीपी के संसदीय बोर्ड ने यह फैसला लिया था। अब मैं यह महसूस कर रहा हूं कि यह काफी गलत था।'
परिवार में फिर घुसी राजनीति
अजित पवार के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारे में ऐसा लगने लगा था कि शायद अजित पवार और शरद पवार के बीच नजदीकियां फिर से बढ़ रही हैं। लेकिन ऐसा नहीं था।
बुधवार को बीजेपी ने एक ऑडियो क्लिप जारी करके यह आरोप लगाया कि सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र में चुनावी खर्च के लिए अवैध तरीक से बिटक्वॉइन का इस्तेमाल किया है तो अजित पवार ने इस पर यह कहकर ठप्पा लगा दिया कि 'यह आवाज़ मेरी बहन की है'।
उन्होंने कहा, 'सुप्रिया मेरी बहन है और मैंने नाना पटोले के साथ काम किया है। मैं उनकी आवाज़ें पहचानता हूं। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि इस ऑडियो में आवाज़ की डबिंग नहीं की गई है। इस मामले में मैं जांच किए जाने का समर्थन करता हूं।'
शरद पवार ने किया खंडन
हालांकि, इस बात का सुप्रिया सुले और शरद पवार दोनों ने खंडन किया है। शरद पवार ने कहा कि केवल बीजेपी ही इस तरह के निराधार आरोप लगा सकती है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने आरोप लगाया है वह खुद कई महीनों से जेल में है और उस व्यक्ति के आधार पर आरोप लगाना पूरी तरह से निराधार है।
इस आरोप-प्रत्यारोप के पूरे एपिसोड ने पवार परिवार के संबंधों में नया मोड़ ला दिया है, और एक समय में लगने लगा था कि फूट के बाद अजित पवार और शरद पवार के बीच नजदीकी बढ़ रही है वह निराधार लग रही है और कहीं न कहीं परिवार पर फिर से राजनीति हावी हो रही है।