दिल्ली की महिला CM से BJP को देश में क्या फायदा होगा? समझिए
राजनीति
• NEW DELHI 20 Feb 2025, (अपडेटेड 21 Feb 2025, 6:16 AM IST)
इस बार बीजेपी दिल्ली में किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी और उस फॉर्मूले में रेखा गुप्ता बिल्कुल फिट बैठीं। रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला सीएम हैं। ऐसे में समझते हैं कि क्या महिला सीएम से बीजेपी को देश में भी फायदा होगा?

दिल्ली की नई सीएम रेखा गुप्ता। (Photo Credit: PTI)
'क्यों चौंक गए न...!' जिस तरह से बीजेपी मुख्यमंत्री चुनती है, उसके बाद शायद पार्टी आलाकमान के मन में यही सवाल आता होगा। दिल्ली में भी बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर एक बार फिर चौंका दिया। हालांकि, मोदी की बीजेपी की यही रणनीति रही है।
बहरहाल, अब रेखा गुप्ता दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बन गई हैं। रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री हैं। उनसे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी सीएम रह चुकी हैं।
चुनाव नतीजे आने के बाद जब मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा चल रही थी तो सबसे आगे प्रवेश वर्मा का नाम था। उसकी वजह भी थी और वो ये कि उन्होंने नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को हराया था। मगर 11 दिनों तक चली इस दौड़भाग में रेखा गुप्ता ने बाजी मार ली।
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रेखा गुप्ता कैसे पड़ गईं भारी?
रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी की रणनीति ही है। रेखा गुप्ता के जरिए बीजेपी ने एक तरह से हर मर्ज की दवा ढूंढ ली। उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने एक बड़ा सियासी संदेश भी दे दिया।
प्रवेश वर्मा की जगह रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर पहला संदेश तो यही दिया कि अरविंद केजरीवाल को हराना बड़ी बात नहीं है। जबकि, आमतौर पर अब तक यही होता रहा है कि अगर किसी नेता ने किसी पार्टी प्रमुख या मुख्यमंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री को हरा दिया तो उसे ही मुख्यमंत्री बना दिया जाता था।
दूसरा बड़ा संदेश ये निकला कि बीजेपी ने जाति की काट भी निकाल ली। रेखा गुप्ता भी बनिया समुदाय हैं लेकिन उससे पहले वो एक महिला हैं। अगर किसी पुरुष को मुख्यमंत्री बनाया जाता तो सबसे पहले उसके जाति या समुदाय देखा जाता है। मगर रेखा गुप्ता के जरिए बीजेपी ने न सिर्फ जाति के जाल को हटाने की कोशिश की है, बल्कि महिलाओं को भी साध लिया है।
तीसरा बड़ा संदेश ये कि दिल्ली को मिलाकर अब बीजेपी की अपने दम पर 15 राज्यों में सरकार है। दिल्ली से पहले तक 14 राज्यों में सरकार थी लेकिन एक भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थीं। पहले महिला मुख्यमंत्री वाले बॉक्स में राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे थीं। 2023 के चुनाव के बाद बीजेपी ने वसुंधरा राजे की जगह भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया। रेखा गुप्ता के जरिए बीजेपी ने इस 'महिला कोटे' को भरने की कोशिश की है।
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क्या इससे बीजेपी को फायदा होगा?
पिछले कुछ सालों में जितने भी चुनाव हुए हैं, उनमें महिला वोटर एक बड़ा फैक्टर बनकर उभरी हैं। अब महिलाएं घरों से निकलकर वोट डाल रहीं हैं। इतना ही नहीं, एक समय पुरुष और महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में बड़ा अंतर दिखाई पड़ता था। मगर अब ये अंतर कम हो रहा है या फिर बराबर हो गया है।
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में ही देखा जाए तो पहली बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा। इस बार कुल 60.54% वोटिंग हुई। आंकड़ों के मुताबिक, 60.21% पुरुष और 60.92% महिलाओं ने वोट डाला था। इससे पहले 2020 के विधानसभा चुनाव में भी पुरुष और महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत लगभग बराबर ही था।
देखा गया है कि दिल्ली समेत कई राज्यों में बीजेपी की जीत में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। दिल्ली में चुनाव जीतने के लिए भी बीजेपी ने महिलाओं के लिए कई सारे वादे किए थे। बीजेपी ने महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये देने का वादा भी किया है। माना जा रहा है कि रेखा गुप्ता के जरिए बीजेपी को बाकी राज्यों में भी फायदा मिल सकता है।
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बिहार में भी दिख सकता है इसका असर!
इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। यहां चुनाव जीतना बीजेपी के एनडीए के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे में महिलाएं उसकी जीत की चाबी बन सकती हैं।
वो कैसे? दरअसल, बिहार भले ही कुछ मामलों में पिछड़ा हो लेकिन यहां की महिलाएं वोट डालने में पुरुषों से कहीं ज्यादा आगे हैं। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव को ही देखें तो 53% पुरुष और 59% महिलाओं ने वोट डाला था। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी 55% पुरुष और 60% महिलाओं ने वोट दिया था।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कई राज्यों में तगड़ा झटका लगा। उत्तर प्रदेश में तो एनडीए को सबसे बड़ा झटका लगा लेकिन इससे ही सटे बिहार में एनडीए ने 40 में से 30 सीटें जीत ली थी। बिहार में एनडीए की जीत में महिला वोटर्स की भूमिका अहम रही।
इतना ही नहीं, शराबबंदी की वजह से ज्यादातर महिलाएं नीतीश कुमार का साथ देती रहीं हैं। अब रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर और महिलाओं से जुड़े वादे कर बीजेपी महिलाओं को साधने की कोशिश करेगी और हो सकता है कि एक बार फिर महिलाओं के सहारे एनडीए बिहार में सरकार बना ले जाए।
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गेमचेंजर साबित हो रहीं हैं महिलाएं?
कुछ सालों पहले तक महिलाएं चुनावी राजनीति से दूर रहा करती थीं लेकिन अब बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। यही कारण है कि अब सत्ता में बैठाने और हटाने तक महिलाओं की अहम भूमिका हो गई है।
पिछले कुछ चुनाव के नतीजे बताते हैं कि महिलाएं अब राजनीति में बड़ा गेमचेंजर साबित हो रहीं हैं। पिछले साल नवंबर में महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए थे। दोनों ही राज्यों में रूलिंग पार्टी की वापसी हुई। दोनों ही राज्यों में महिलाओं को आर्थिक मदद दी जाती है। रूलिंग पार्टी की वापसी की बड़ी वजह महिलाएं थीं। इससे पहले हरियाणा में भी यही हुआ था।
एसबीआई की एक रिपोर्ट बताती है कि जिन राज्यों में महिलाओं से जुड़ी योजनाएं हैं, वहां वोट देने वाली महिलाओं की संख्या ज्यादा है। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि जिन 19 राज्यों में महिलाओं से जुड़ी योजनाओं का ऐलान किया गया, वहां वोट देने वाली महिलाएं 1.5 करोड़ से ज्यादा बढ़ गईं। इसके उलट, जिन राज्यों में ऐसी घोषणाएं नहीं हुईं, वहां वोट करने वाली महिलाएं सिर्फ 30 लाख ही बढ़ीं।
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