राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ औपचारिक जांच शुरू करने की मंजूरी दे दी है। यह जांच भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 17 ए के तहत एसीबी द्वारा की जाएगी। दोनों के ऊपर दिल्ली सरकार द्वारा स्कूल के कमरों/भवनों के निर्माण में अनियमितताओं का आरोप है। उस वक्त सिसोदिया शिक्षा मंत्री थे, जबकि जैन दिल्ली के पीडब्ल्यूडी मंत्री थे।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में धारा 17ए केंद्र सरकार ने एक संशोधन के जरिए जुलाई 2018 में डाला गया था। इसके तहत भ्रष्टाचार से संबंधित किसी मामले में पुलिस, सीबीआई या अन्य किसी एजेंसी को 'जांच' करने के लिए राष्ट्रपति से पूर्व अनुमति लेनी होगी।
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क्लासरूम के निर्माण से जुड़ा है मामला
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 17 फरवरी, 2020 की एक रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा दिल्ली सरकार के स्कूलों में 2,400 से अधिक क्लासरूम के निर्माण में 'घोर अनियमितताओं' को उजागर किया।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने 2022 में कथित घोटाले की जांच की सिफारिश की और मुख्य सचिव को एक रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के अनुसार, 18 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जैन पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
60 वर्षीय दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218 के तहत मंजूरी मांगी गई थी।
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मुकदमा चलाने की मांगी थी परमिशन
गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई जांच और 'पर्याप्त सबूत' की मौजूदगी के आधार पर जैन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति से अनुरोध किया था। सीबीआई ने दिसंबर 2018 में आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि कथित आय से अधिक संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये की थी, जो 2015-17 के दौरान जैन की आय के ज्ञात स्रोतों से लगभग 217 प्रतिशत अधिक थी।
ईडी ने पहले कहा था कि उसकी जांच में पाया गया कि '2015-16 के दौरान, सत्येंद्र जैन एक पब्लिक सर्वेंट थे और चार कंपनियों (जिनका स्वामित्व और नियंत्रण उनके पास था) को फर्जी कंपनियों से हवाला के माध्यम से 4.81 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।'