मालेगांव ब्लास्ट केस मामले की जांच में शामिल एंटी टेरेरिज्म स्कवाड (ATS) के एक अधिकारी रिटायर्ड महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन्हें RSS प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए गए थे। मुजावर ने ये दावा मालेगांव ब्लास्ट पर गुरुवार को NIA कोर्ट के उस फैसले के बाद किया है, जिसमें सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया गया। मेहबूब मुजावर ने कहा कि उन्हें भगवा आतंकवाद के नाम पर मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए गए थे।
हालांकि, उन्होंने आदेशों का पालन नहीं किया। मुजावर ने कहा, 'मैं नहीं कह सकता कि ATS ने क्या जांच की थी। हालांकि, मुझे गोपनीय आदेश दिए गए थे कि मैं राम कालसंगरा, संदीप दांगे, दिलीप पाटिदार और मोहन भागवत को गिरफ्तार करूं।' उन्होंने आगे कहा, 'जब मैनें मोहन भाागवत को गिरफ्तार करने से मना किया तो मुझ पर झूठा केस कर दिया गया। मेरा 40 साल का करियर बर्बाद दो गया।
दरअसल मुजावर ATS की उस टीम का हिस्सा थे, जो 29 सितंबर 2008 को हुए मालेगांव ब्लास्ट की जांच के लिए बनाई गई थी। इसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हुए थे। यह ब्लास्ट किसने करवाया, 17 साल बाद भी इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिला है।
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कोर्ट ने आरोपियों पर क्या कहा?
2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत और गवाह मौजूद नहीं हैं. अदालत
अदालत ने कहा कि सिर्फ नैरेटिव के आधार पर किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता. जस्टिस लाहोटी ने फैसले में लिखा कि अभियोजन पक्ष ठोस सबूत और विश्वसनीय गवाह पेश नहीं कर सका।
मामले की टाइमलाइन
2008- मालेगांव के व्यस्त भिकू चौक के पास 29 सितंबर 2008 को एक दोपहिया वाहन में बम धमाका हुआ।
अक्तूबर 2008- महाराष्ट्रर ATS ने जांच शुरू की। इसने घटना के तार कुछ हिंदूवादी संगठनों से जोड़े। उस वक्त के ATS चीफ हेमंत करकरे ने BJP सांसद प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया। जांच करने वाली टीम ने आरोप लगाए थे कि साध्वी प्रज्ञा की बाइक में ही बम रखा गया था। वह घटना की पूरी प्लानिंग में शामिल थीं। इसके बाद कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार किया गया । उन पर आरोप थे कि उन्होंने सारी बैठकें कराई, घटना को अंजाम देने के लिए लोगों को हायर किया और बम के लिए RDX का इंतजाम कराया।
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जनवरी 2009: ATS ने पहली चार्जशीट दायर की।
अप्रैल 2011- मामला NIA को ट्रांसफर कर दिया गया।
2016- NIA ने कई चार्जशीट दायर की। मकोका की जगह UAPA की धाराओं में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित के खिलाफ केस दर्ज किया गया। NIA ने कई आरोपियों को बरी किया जिन्हें ATS ने गिरफ्तार किया था।
2018-2023- कोर्ट ने 323 लोगों के बयान सुने। सुनवाई के दौरान 40 लोग हिंसक हो गए थे।
2025- सुनवाई पूरी हुई। 1300 पन्नों की बहस जमा की गई। 19 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा गया। मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। ये सभी पहले ही बेल पर बाहर थे।