जेल से बेल तक...CM पद पर होते हुए जेल गए केजरीवाल, कैसा रहा साल 2024
राजनीति
• NEW DELHI 30 Dec 2024, (अपडेटेड 30 Dec 2024, 12:21 PM IST)
साल 2024 खत्म होने में महज एक दिन बचा है। ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए यह साल कितना चुनौतीपूर्ण रहा? यहां जान लीजिए पूरी डिटेल।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, Image credit: PTI
ईमानदारी का सर्टिफिकेट पेश करने का दावा करने वाली दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के लिए वर्ष 2024 बेहद चुनौतीपूर्ण साबित रहा। इस साल जहां अरविंद केजरीवाल को आबकारी घोटाले में अपने कई नेताओं के साथ जेल में जाना पड़ा तो वहीं पार्टी के कई बड़े नेताओं ने भी दामन छोड़ दिया।
अरविंद केजरीवाल देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्हें इतिहास में पहली बार सीएम के पद पर होते हुए जेल जाना पड़ा। 21 मार्च, 2024 को ईडी ने आबकारी घोटाले के सिलसिले में अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। इसी से जुड़े मामले में AAP सांसद संजय सिंह को भी जेल जाना पड़ा था। हालांकि, अभी दोनों ही जमानत पर बाहर है।
AAP के बड़े नेता गए जेल तो सीएम पद से दिया इस्तीफा वहीं, कई नेताओं ने छोड़ा दामन...कितना चुनौतीपूर्ण रहा आम आदमी पार्टी के लिए 2024 साल?
महज 10 साल पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की नींव पर पार्टी की स्थापना की। 2024 तक, AAP को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा जिसमें एक ऐसा दौर भी शामिल है जब इस पार्टी के सभी टॉप नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में थे। यह साल खत्म होने में महज 1 दिन बचा है और अब आप पार्टी पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होने का दावा पेश कर रही है।
AAP के तीन विश्वासपात्र को हुई जेल
2024 साल की शुरुआत में ही पार्टी सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय के समन को नजरअंदाज किया। हालांकि, केजरीवाल की गिरफ्तारी तय थी और यह अनुमान लगाया जा रहा था कि कब केजरीवाल सलाखों के पीछे होंगे? एक तरफ केजरीवाल और ईडी की लुकाछिपी चल रही थी तो वहीं दूसरी ओर उनके तीन विश्वासपात्र पहले से ही जेल में थे- कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन, तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह।
जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हुई गिरफ्तारी
लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा और पार्टी के तीन महत्वपूर्ण चेहरों के जेल में जाने के साथ ही पार्टी और केजरीवाल की मुश्किलें शुरू हो गई। यहां चुनाव की तारीखों की घोषणा हुई और उसके एक हफ्ते से भी कम समय बाद 21 मार्च, 2024 को केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद शुरू हुआ राजनीतिक ड्रामा।
अपने सबसे कठिन समय में आप पार्टी ने एकता दिखाई और पार्टी कार्यकर्ता मजबूती से उनके साथ खड़े रहे। केजरीवाल ने उस दौर का भी सामना किया जब विपक्षी नेता न केवल पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, बल्कि दिल्ली सरकार को भी गिराने की कोशिश कर रहे थे।
पार्टी को मिली थी राहत लेकिन LS चुनाव में नहीं चला जादू
केजरीवाल गिरफ्तार हो चुके थे तो वहीं 2 अप्रैल, 2024 को संजय सिंह को जमानत पर रिहा कर दिया गया। लोकसभा चुनावों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए 10 मई से 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी थी। लोकसभा चुनाव में AAP ने दिल्ली की सात सीटों सहित पूरे भारत में 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था। चुनाव खत्म होने के बाद केजरीवाल वापस जेल चले गए। नतीजे घोषित किए गए और पार्टी पंजाब में तीन सीटें जीतने में सफल रही। दिल्ली में AAP विफल रही। चुनाव लड़ने के बावजूद, AAP एक भी सीट हासिल नहीं कर सकी।
केजरीवाल का प्लान B, दिल्ली को मिली तीसरी महिला मुख्यमंत्री
केजरीवाल, सिसोदिया और जैन जब सलाखों के पीछे रहे तो पार्टी ने जुलाई से ही 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारी करनी शुरू कर दी। संजय सिंह, अब मुख्यमंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने अभियान शुरू किया। 17 महीने जेल में बिताने के बाद अगस्त में सिसोदिया को जमानत मिली।
हालांकि, कुछ ही हफ्तों में केजरीवाल को भी सितंबर में जमामत पर रिहा हुए। तो वहीं अक्तूबर में जैन को जमानत मिल गई। जेल में रहने के दौरान केजरीवाल ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, रिहाई के कुछ दिनों के भीतर ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए केजरीवाल ने अपना प्लान B तैयार किया और दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी को पद सौंपा गया।
स्वाति मालीवाल और AAP के खराब हुए संबंध
वर्ष 2024 में AAP को एक और झटका पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल की ओर से लगा। जब केजरीवाल मई में पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए जेल से बाहर आए, तो मालीवाल ने आरोप लगाया कि केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार ने 13 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री के आवास पर उनके साथ मारपीट की। इस घटना के बाद एक और राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। हालांकि, इस मामले के बाद AAP और मालीवाल के बीच संबंध भी खराब हो गए।
AAP को छोड़ भाजपा का थामा दामन
इस साल आप पार्टी के दो मौजूदा कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा भी दिया और बाद में भाजपा का दामन थाम लिया। 10 अप्रैल को, राज कुमार आनंद ने कैबिनेट और आप से इस्तीफा दे दिया। नवंबर में,कैलाश गहलोत ने भी कैबिनेट मंत्री से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया।
दोनों मामलों में, आप ने दावा किया कि नेता दबाव में थे क्योंकि वह केंद्रीय एजेंसियों के छापेमारी का सामना कर रहे थे। बीच में आप पार्टी के कई छोटे नेताओं और कुछ विधायकों ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामना थामा। इस बीच, कांग्रेस और भाजपा के कई नेता आप में शामिल हो गए और पार्टी की 2025 विधानसभा चुनाव लिस्ट में जगह बनाई।
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