राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदू देश का जिम्मेदार समुदाय है, उन्हें एकजुट रहना चाहिए। संघ प्रमुख ने यह भी कहा है कि हिंदू समाज विविधता को महत्व देता है, इसलिए हिंदू समाज की विविधता को एकजुट रखता है। संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू समुदाय में उदारता प्रमुख तत्व है, इसलिए इस समुदाय का साथ रहना अनिवार्य है।
बर्धमान के साई ग्राउंड में संघ प्रमुख रविवार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि संघ का जोर हमेशा हिंदू पर क्यों रहता है। संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू जिम्मेदार समुदाय है, इसलिए उनका ध्यान हिंदू पर रहता है। संघ हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है। उन्होंने राम और भरत का जिक्र करके त्याग और अनुशासन पर भी लोगों को सीख दी है।
सिर्फ हिंदुओं की बात क्यों करता है संघ?
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक मोहन भागवत ने कहा, 'लोग अक्सर पूछते हैं कि हम केवल हिंदू समाज पर ही ध्यान क्यों देते हैं। मेरा जवाब है कि देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है। आज कोई खास कार्यक्रम नहीं है। संघ से अनजान लोग अक्सर आश्चर्य करते हैं कि संघ क्या चाहता है। अगर मुझे जवाब देना होता तो मैं कहता कि संघ हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है क्योंकि यह देश का जिम्मेदार समाज है।'
पाकिस्तान-बांग्लादेश पर मोहन भागवत ने क्या कहा?
मोहन भागवत ने कहा, 'भारतवर्ष केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं है; इसका आकार समय के साथ बढ़ या घट सकता है। इसे भारतवर्ष तब कहा जाता है, जब इसमें एक अद्वितीय प्रकृति समाहित होती है। भारत का अपना अंतर्निहित चरित्र है। जिन लोगों को लगा कि वे इस प्रकृति के साथ सामंजस्य में नहीं रह सकते, उन्होंने अपने अलग देश बना लिए।'
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'15 अगस्त 1947 से पुराना है भारत'
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक मोहन भागवत ने कहा, 'स्वाभाविक रूप से, जो लोग बचे रहे, वे चाहते थे कि भारत का सार बना रहे। और यह सार क्या है? यह 15 अगस्त, 1947 से भी बहुत पुराना है। यह हिंदू समाज है, जो दुनिया की विविधता को अपनाकर फलता-फूलता है। यह प्रकृति दुनिया की विविधता को स्वीकार करती है और उसके साथ आगे बढ़ती है। एक शाश्वत सत्य है जो कभी नहीं बदलता है।'
राम का जिक्र कर मोहन भागवत ने क्या कहा?
मोहन भागवत ने कहा, 'भारत में, कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता है, बल्कि एक राजा को याद करता है जो अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिए 14 साल के लिए वनवास चला गया। वह व्यक्ति जिसने अपने भाई की पादुकाओं को सिंहासन पर रखा और जिसने वापस आने पर राज्य सौंप दिया। ये विशेषताएं भारत को परिभाषित करती हैं। जो लोग इन मूल्यों का पालन करते हैं वे हिंदू हैं, और वे पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं।'
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'हम अपने लिए नहीं समाज के लिए बन रहे बड़े'
मोहन भागवत ने कहा, 'संघ देश भर में फैला एक बड़ा संगठन है, जिसकी करीब 70,000 शाखाएं हैं। हमें दुनिया का सबसे बड़ा संगठन कहा जाता है। लेकिन हम क्यों बढ़ना चाहते हैं? अपने लिए नहीं। भले ही हमारा नाम न हो, लेकिन अगर समाज एकजुट है तो इससे देश और दुनिया को मदद मिलेगी। आरएसएस का एकमात्र कार्य समाज को एकजुट करना है। जब लोग दूर से संगठन को समझने की कोशिश करते हैं तो गलतफहमियां पैदा होती हैं। संघ के निकट संपर्क में आएं और खुद देखें।'