logo

ट्रेंडिंग:

कद नहीं फॉर्मूले से बनते हैं CM, BJP ने बदल डाला पूरा सिस्टम

एक वक्त ऐसा था कि सिर्फ कद्दावर नेता ही मुख्यमंत्री बन पाते थे। 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद यह मामला पलट गया और अब वही सीएम बन रहा है जिसे बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है।

bjp chief minsiters

बीजेपी के मुख्यमंत्री, Photo Credit: Khabargaon

एक समय था जब जमीन पर पकड़ रखने वाले नेता राज्यों के मुख्यमंत्री बनते थे। कई बार तो अपने पास गिनती के विधायक होने के बावजूद ये नेता दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार से अपने संपर्क और अपनी लॉबिंग के दम पर सरकार बना लेते थे। 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आते ही यह परिपाटी बदल गई। बीते 11 साल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित राज्यों में लगभग दो दर्जन मुख्यमंत्री बने हैं। इनमें से कई नाम ऐसे हैं जिन्हें शायद सीएम बनने से पहले तक कोई इतना कद्दावर नेता नहीं मानता था। इसमें से कुछ नेता ऐसे भी रहे, जो मुख्यमंत्री बने, पद से हटे और फिर उसी गुमनामी में खो गए। कुछ ऐसे नेता भी हुए जो न सिर्फ एक बार सीएम बने बल्कि अपने नाम पर दोबारा मैंडेट भी ले आए। बदलाव की इन कोशिशों में बीजेपी ने लंबे समय से चली आई उस परिपाटी को बदल दिया जिसमें लंबा अनुभव, विधायकों का समर्थन और खुद की दमदार नेता की छवि रखने वाले नेता ही मुख्यमंत्री बन सकते थे।

 

इसी बीजेपी ने वह परिपाटी शुरू की जिसमें यह कहा जाने लगा कि सीएम का नाम जानने के लिए पीछे की पंक्ति में बैठे नेताओं को देखना चाहिए। यह नई परिपाटी गढ़ने के लिए बीजेपी ने अपने कद्दावर नेताओं जैसे कि शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे, अनिल विज, नितिन पटेल, धर्मेंद्र प्रधान आदि तक को नजरअंदाज कर दिया। बीते एक दशक में ऐसे दर्जनों नेताओं को सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया गया जो एक या दो ही चुनाव जीते थे। कुछ नेता तो पहली बार विधायकी का चुनाव जीते और सीधे मुख्यमंत्री ही बन गए। हालांकि, ऐसे कई मुख्यमंत्री को कार्यकाल के बीच में या फिर दूसरे कार्यकाल में बदल भी दिया गया।

 

यह भी पढ़ें- 40 सीटों वाले गोवा में 12 लेकिन दिल्ली में 7 मंत्री ही क्यों? समझें

 

ऐसे नेताओं को सीएम बनाने का फायदा बीजेपी को ऐसे मिला है कि इतने साल में किसी भी राज्य में बीजेपी की सरकार आंतरिक कलह की वजह से न तो कमजोर हुई है और न ही उसे हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी ने गुजरात और उत्तराखंड में दो-दो मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल के बीच में ही हटा दिया लेकिन वे ऐसी स्थिति में कभी नहीं थे कि वे सरकार को हिला सकें। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी फिर से चुनाव जीतकर भी आई। इसी तरह बीजेपी ने चुनाव से पहले हरियाणा और त्रिपुरा में भी सीएम बदला और उसे फिर से जीत मिली। असम और मध्य प्रदेश में चुनाव के बाद तत्कालीन सीएम को फिर से मौका नहीं दिया गया लेकिन वहां बीजेपी की सरकार चल रही है।

 

राजस्थान और छत्तीसगढ़ ऐसे राज्य रहे जहां पूर्व मुख्यमंत्रियों की दावेदारी मजबूत होने के बावजूद नए चेहरों को मौका दिया गया। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी सफलतापूर्वक सरकार चली रही है और उसे कोई खतरा भी नहीं नजर आ रहा। इतने सालों में सिर्फ एक राज्य कर्नाटक में ऐसा हुआ कि बीजेपी ने सीएम बदला और उसे कामयाबी नहीं मिली। कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को सीएम बनाया गया था लेकिन उनकी सरकार चुनाव नहीं जीत पाई।

 

यह भी पढ़ें-- सिख-दलित-जाट-पूर्वांचली, मंत्री बनाकर BJP ने कैसे साधे सभी वर्ग


गुजरात से ही हुई शुरुआत

 

2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री चुने गए। उस वक्त वह गुजरात के सीएम हुआ करते थे। लंबे समय से सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी के अलावा दूसरा कोई नेता उनके जितना कद्दावर नहीं था। नितिन पटेल, सौरभ पटेल, भिखू दलसाणिया जैसे कई नेता थे जो राज्य की राजनीति में बड़े नेताओं में गिने जाते थे लेकिन नरेंद्र मोदी ने सत्ता सौंपी अपनी पुरानी सहयोगी आनंदी बेन पटेल को। यही आनंदी बेन पटेल आगे चलकर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनीं और अभी भी वह इस पद पर मौजूद हैं।

 

हालांकि, चुनाव से पहले फिर से सत्ता परिवर्तन हुआ। एक बार फिर ऐसे ही एक चेहरे यानी विजय रुपाणी को सीएम बनाया गया। विजय रुपाणी को भी अगले चुनाव से पहले हटाया गया और एक बार फिर से अनजान चेहरे भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया। इन सबमें एक बात यही कॉमन थी कि ये सभी नरेंद्र मोदी के करीबी थे और जातिगत समीकरणों के हिसाब से उस वक्त सटीक बैठते थे।

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस को मौका

 

2014 के ही आखिर में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हुए। बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन सत्ता में आया। तब तक देवेंद्र फडणवीस भले ही महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष थे लेकिन वह सीएम पद की रेस में कभी नहीं गिने जाते थे। नितिन गडकरी, प्रकाश जावड़ेकर और कई अन्य बड़े नाम थे लेकिन 'नई बीजेपी' और नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को मौका दिया। बाद में परिस्थितियों के हिसाब से उन्हीं देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बना दिया और एकनाथ शिंदे को सीएम बनाया। हालांकि, देवेंद्र फडणवीस फिर सत्ता में लौटे और अब वही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं।

 

यह भी पढ़ें- पहली बार विधायक, फिर भी हैवीवेट्स को पछाड़ क्यों रेखा गुप्ता बनीं CM?

हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर

 

2014 में हरियाणा में जब बीजेपी पहली बार अपने दम पर बहुमत लाई तो उन नेताओं का नाम सीएम पद की रेस में गिना जा रहा था जो लंबे समय तक हरियाणा में बीजेपी के लिए विधायकी या सांसदी जीत रहे थे। हालांकि, इस रेस में बाजी मारी नरेंद्र मोदी के पुरानी साथी और विश्वासपात्र माने जाने वाले मनोहर लाल खट्टर ने। 2024 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मनोहर लाल खट्टर को हटाया जाना था तब भी कई कद्दावर नेता रेस में थे लेकिन एक बार फिर बीजेपी ने ऐसे चेहरे को चुना जो पारंपरिक राजनीतिक फॉर्मूलों के हिसाब से कहीं चर्चा में भी नहीं थे।

UP में चौंकाया

 

उत्तर प्रदेश में साल 2017 में पहली बार बीजेपी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया था। चुनाव के समय यूपी बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य थे। उनके अलावा राजनाथ सिंह, वरुण गांधी, मनोज सिन्हा जैसे नामों को लेकर चर्चा हो रही थी। योगी आदित्यनाथ तब गोरखपुर से लोकसभा सांसद थे। आखिरी वक्त में घोषणा की गई कि योगी आदित्यनाथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। 2022 में भी कई तरह की सुगबुगाहट हुई लेकिन योगी आदित्यनाथ फिर से सीएम बने और अब वह देश के दिग्गज नेताओं में भी शुमार हो चुके हैं।

उत्तराखंड में 3 नए चेहरे

 

साल 2017 में ही बीजेपी ने उत्तराखंड में भी जीत हासिल की।  रमेश पोखरियाल निशंक समेत कई दिग्गज नेताओं के नाम को लेकर चर्चा हो रही थी कि वे सीएम बन सकते हैं। तब बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुना। तब वह दोइवाला विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। हालांकि, कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें सीएम पद से हटाया गया। एक बार फिर से पुराने दिग्गजों को दरकिनार करके तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया। हालांकि, चुनाव होते-होते पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया गया। 2022 में दोबारा जीत हासिल करने के बाद पुष्कर सिंह धामी ही फिर से सीएम बने।

 

यह भी पढ़ें- केजरीवाल की खामोशी, फैसले और थोड़ी राहत, AAP में अब क्या हो रहा है?

राजस्थान, MP ने होश उड़ाया

 

2023 में राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए थे। राजस्थान में बीजेपी 5 साल के बाद वापसी कर रही थी तो मध्य प्रदेश में वह अपनी सरकार बचाने में कामयाब रही थी। राजस्थान में उसके पास पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के रूप में कद्दावर नेता थीं, मध्य प्रदेश में खुद शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे लेकिन बीजेपी ने इन दोनों को ही वरीयता नहीं दी। राजस्थान में सबको हैरान करते हुए भजनलाल शर्मा को सीएम बनाया गया। भजनलाल शर्मा के नाम का ऐलान भी वसुंधरा राजे से ही करवाया गया। वहीं, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के बजाय मोहन यादव को सीएम बना दिया गया जो कहीं से भी रेस में नहीं माने जा रहे थे।

 

इसी तरह हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर, छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय, कर्नाटक में बसवराज बोम्मई, झारखंड में रघुबर दास और ओडिशा में मोहन माझी को सीएम बनाया गया। पूर्वोत्तर के राज्यों में भी बीजेपी ने सर्बानंद सोनोवाल, बिप्लब देब, एन बीरेन सिंह और माणिक साहा को सीएम बनाया जो सीएम बनने से पहले इतने बड़े चेहरे नहीं हुआ करते थे। इसका फायदा बीजेपी को हुआ भी है कि वह कई मुख्यमंत्री बदलकर भी आंतरिक कलह से बची रही है।

Related Topic:#BJP

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap