महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों ये चर्चा तेज है कि शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे एक साथ आ सकते हैं। यह चर्चा मुंबई के निकाय चुनाव के ठीक पहले चली है। दरअसल इस साल बृहन्मुंबई महानगरपालिका के चुनाव होने हैं। चर्चा है कि इस बार का बीएमसी चुनाव उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की पार्टियां गठबंधन में चुनाव लड़ सकती हैं। इसको लेकर उद्धव ठाकरे ने एक अहम बयान भी दिया है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने आवास मातोश्री में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरे और मेरे शिव सैनिकों के मन में कोई कंफ्यूजन नहीं है। यहां तक कि MNS के कार्यकर्ता भी हमारे संपर्क में हैं और उनके मन में भी कोई भ्रम नहीं है। इस दौरान पत्रकारों ने जब उद्धव से पूछा कि मौजूदा स्थिती क्या है तो उन्होंने कहा, 'मैं कोई मैसेज नहीं दूंगा। मैं समाचार दूंगा और महाराष्ट्र के लोगों के दिन में जो है वही होगा।'
उद्धव का बयान बेहद अहम
दरअसल, पूर्व सीएम उद्धव का यह बयान बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे एक दिन पहले राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे ने कहा था कि दोनों दलों के बीच सीधी बातचीत होना जरूरी है। अमित के कहने का सीधा इशारा उद्धव और राज के बीच बातचीत होने से है। अमित ठाकरे ने कहा कि इससे पहले भी राज ठाकरे ने उद्धव से सीधी बात की है।
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राउत और आदित्य ठाकरे के बयान
इस बीच शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी दोनों भाईयों के एक साथ आने की चर्चाओं को बल दिया है। शुक्रवार को राउत ने एक बयान में कहा, 'प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, हमारे शिव सैनिक सकारात्मक हैं क्योंकि हमारे नेता सकारात्मक हैं।' संजय राउत ने ये भी कहा कि हो सकता है दोनों शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत शुरू भी हो गई हो। राउत ने कहा कि उद्धव चाय पीने के लिए राज ठाकरे के घर भी जा सकते हैं।
इससे पहले उद्धव ठाकरे के विधायक बेटे आदित्य ठाकरे ने भी राज ठाकरे के साथ में मिलकर काम करने का संकेत दिया था। हालांकि, ये बात की महत्वपूर्ण है कि जबतक उद्धव ठाकरे और राज एक दूसरे से मिलकर सीधी बात नहीं करते तब तक दोनों के साथ आने की चर्चाएं केवल अटकलें ही मानी जाएंगी।
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1997 से 2022 तक शिवसेना राज
बता दें कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (अविभाजित) ने कभी मुंबई नगर निगम में राज किया है। साल 1997 से 2022 तक शिवसेना ने लगातार राज किया है। लेकिन वर्तमान में शिवसेना में बंटवारा होने के बाद उद्धव की पार्टी काफी समय से संकट का सामना कर रही है। इसलिए अगला बीएमसी चुनाव शिवसेना (UBT) के लिए सिर्फ चुनाव नहीं है बल्कि प्रतिष्ठा और राजनीतिक अस्तित्व के लिए भी है।
साल 2022 के बाद से शिवसेना (UBT) बीएमसी में कमजोर होती जा रही है। पार्टी में बंटवारे के बाद से उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने उद्धव के कई दिग्गज और स्थानीय पार्षद तोड़ लिए हैं। 43 में से ज्यादातर पार्षद एकनाथ शिंदे के खेमें में चले गए हैं। अमेय घोले,शीतल म्हात्रे, यशवंत जाधव, राजू पेडनेकर जैसे मजबूत पार्षदों के शिंदे गुट में शामिल होने से उद्धव का स्थानीय नेतृत्व कमजोर हुआ है।
मनसे देगी उद्धव को ताकत
हालांकि, इन सभी चुनौतियों के बावजूद मुंबईकरों का उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी से भावनात्मक लगाव है। लोग मानते हैं कि कोरोना काल में राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए उद्धव ठाकरे ने अच्छा काम किया था। इसके अलावा उनका पार्टी धआरावी पुनर्विकास परियोजना और आने जंगल जैसी योजनाओं और स्थानीय मुद्दों उठाकर उनका विरोध कर रही है।
शिवसेना (UBT) के कई नेता मानते हैं कि अगर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आते हैं तो मराठी वोटरों के बंटवारे को रोका जा सकता है और यह गठबंधन बीएमसी चुनावों में निर्णायक साबित हो सकता है। मनसे भले महाराष्ट्र में बड़ी ताकत ना बन पाई हो लेकिन पिछले बीएमसी चुनाव में उसे 7.73 फीसदी वोट मिले थे और सात सीटें भी हिस्से में आई थीं।