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ओरिजिनल रिपोर्ट ही हो गई गायब? जाति सर्वे पर फंस गई सिद्धारमैया सरकार

कर्नाटक में हुए जाति सर्वे की ओरिजिनल रिपोर्ट गायब होने का मामला सामने आने के बाद सिद्धारमैया सरकार बुरी तरह फंसती नजर आ रही है। विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

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कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया। (Photo Credit: PTI)

कर्नाटक में जातिगत जनगणना की ओरिजिनल रिपोर्ट ही गायब हो गई है। यह रिपोर्ट कंथराज आयोग ने तैयार की थी। रिपोर्ट के गायब होने के बाद सूबे में एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। रिपोर्ट गायब होने पर सिद्धारमैया सरकार बुरी तरह से घिर गई है।


2023 में के. जयप्रकाश हेगड़े की अगुवाई वाले पिछड़ा वर्ग आयोग ने एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। यह रिपोर्ट कंथराज आयोग की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई थी। कंथराज आयोग ने 'सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे रिपोर्ट' तैयार की थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कंथराज आयोग की ओरिजिनल रिपोर्ट ही गायब हो गई है।

क्या है पूरा मामला?

2015 में कर्नाटक सरकार ने अलग-अलग जातियों और समुदायों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का आंकलन करने के लिए कंथराज आयोग का गठन किया था। आयोग ने 2018 में सर्वे का पूरा काम किया और सरकार को रिपोर्ट सौंपी। इस पर 160 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इसके बाद 2023 में जयप्रकाश हेगड़े की अगुवाई में नया आयोग बनाया। इसने सैंपल बेस्ड मेथडोलॉजी पर अपनी रिपोर्ट तैयार की।

 

इस पर जयप्रकाश हेगड़े ने मीडिया से कहा, 'यह सच है कि कंथराज आयोग ने जो डेटा जुटाया था, वह नहीं मिल सका है। इसलिए में रिपोर्ट तैयार करने के लिए सैंपल बेस्ड मेथडोलॉजी पर निर्भर रहना पड़ा। हालात को देखते हुए यही एकमात्र रास्ता था।'

 

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बीजेपी-जेडीएस ने सरकार पर उठाए सवाल

रिपोर्ट गायब होने का मामला सामने आने के बाद सियासी बवाल खड़ा हो गया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सवाल किया कि नीतिगत निर्णय ऐसी रिपोर्ट के आधार पर कैसे लिए जा सकते हैं, जिसका मूल आधार ही नहीं है। उन्होंने कहा, 'यह कर्नाटक के लोगों के साथ घोर नाइंसाफी है। पूरी प्रक्रिया ही रहस्य में डूबी हुई है और इसमें पारदर्शिता की कमी है।'


जेडीएस ने भी इसे लेकर सरकार को घेरा है। जेडीए ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा, 'यह नई रिपोर्ट कुछ खास वोट बैंक को खुश करने के लिए राजनीतिक हथियार के अलावा और कुछ नहीं है। सरकार को संशोधित रिपोर्ट काम शुरू करने से पहले गायब हुई ओरिजिनल रिपोर्ट पर सफाई देनी चाहिए।'

ऐसे और बढ़ गया विवाद

इस पूरे मामले पर विवाद तब और बढ़ गया, जब पुरानी कुछ चिट्ठियां सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं। नवंबर 2023 में हेगड़े ने सरकार को कथित तौर पर एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि कंथराज आयोग की सर्वे रिपोर्ट वाले सीलबंद बक्से 26 अगस्त 2021 को आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों और सदस्य सचिव की मौजूदगी में खोले गए  थे। 


इस चिट्ठी में हेगड़े ने लिखा था, 'रिपोर्ट के प्रिंटेड वर्जन मौजूद थे लेकिन उनमें सदस्य सचिव के दस्तखत नहीं थे और ओरिजिनल रिपोर्ट गायब थी। संबंधित अधिकारी को तुरंत ओरिजिनल रिपोर्ट जमा करने को कहा गया था। इस पर अधिकारी ने जवाब दिया है कि रिपोर्ट गायब है।'

 

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जांच की मांग लेकिन केस दर्ज नहीं

ओरिजिनल रिपोर्ट गायब होने के मामले में हेगड़े ने जांच की मांग की थी। हालांकि, अभी तक सरकार ने इसे लेकर केस दर्ज नहीं किया है और जांच भी शुरू नहीं की है। एक अधिकारी का कहना है कि 'ओरिजिनल रिपोर्ट का कहां है? अभी भी किसी को इस बारे में कुछ नहीं पता।'


वहीं, हेगड़े की अगुवाई वाले आयोग पर उठ रहे सवालों पर कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर राव ने कहा कि यह रिपोर्ट 'वैज्ञानिक दृष्टिकोण' पर आधारित है। उन्होंने कहा, 'सही तरीके से किए जाने पर सैंपल बेस्ड सर्वे वैलिड है।'


हालांकि, समाजशास्त्री डॉ. बीएन सविता ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सैंपल बेस्ड सर्वे से कुछ जानकारी जरूर मिल सकती है लेकिन जाति जैसे जटिल मामलों में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

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