महाराष्ट्र में शिवसेना कोटे से राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक ने मंगलवार को अपनी ही सरकार की आलोचना की। यह विवाद मीरा रोड में मराठी रैली को अनुमति न देने के कारण शुरू हुआ। सरनाइक ने नाराजगी जताते हुए इस रैली में हिस्सा लिया और पुलिस को चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो उन्हें गिरफ्तार करे। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘मराठी एकीकरण समिति और कई अन्य संगठनों ने रैली के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन इसे ठुकरा दिया गया। मैं जा रहा हूं, अगर पुलिस में हिम्मत है तो मुझे गिरफ्तार करे।’
यह रैली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के नेतृत्व में आयोजित की जा रही थी। पुलिस ने मीरा-भायंदर में ‘मराठी मोर्चा’ को अनुमति देने से इनकार कर दिया था। पुलिस का कहना था कि इस रैली से सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है और यातायात व्यवस्था बाधित हो सकती है। इस विवाद की शुरुआत 1 जुलाई को एक वायरल वीडियो से हुई, जिसमें एमएनएस कार्यकर्ताओं ने भायंदर में एक खाने-पीने के स्टॉल के एक मालिक को कथित तौर पर मराठी न बोलने के लिए थप्पड़ मारा था। इस घटना की काफी निंदा हुई थी।
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पुलिस के खिलाफ की नारेबाजी
मंगलवार सुबह, एमएनएस समर्थकों ने पुलिस के खिलाफ भारी नारेबाजी की और कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। एमएनएस नेता अविनाश जाधव सहित कई कार्यकर्ता पुलिस हिरासत में लिए गए ताकि वे मीरा-भायंदर में प्रवेश न कर सकें। पुलिस ने 1 जुलाई की घटना के सिलसिले में सात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत दंगा, हमला और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया था। बाद में आरोपियों को नोटिस देकर रिहा कर दिया गया।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एमएनएस की हरकतों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र एक लोकतांत्रिक राज्य है। अगर कोई मोर्चा निकालना चाहता है, तो उसे अनुमति लेनी होगी। पुलिस भीड़ नियंत्रण और यातायात प्रबंधन के लिए मार्ग तय करती है। मुझे बताया गया कि उन्हें किसी अन्य वैकल्पिक रास्ते से जाने के लिए कहा गया था, लेकिन वे अड़े रहे। इसलिए रैली की अनुमति नहीं दी गई।’
'शिवाजी ने देश से एकता दिखाई'
फडणवीस ने बिना एमएनएस का नाम लिए कहा, ‘मैं महाराष्ट्र की भावना को समझता हूं। मराठी लोग बड़े दिल वाले हैं। हम संकीर्ण नहीं हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज ने हमेशा देश के लोगों के साथ एकता दिखाई। इस तरह के प्रयोग यहां काम नहीं करेंगे।’
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संभावित अशांति को देखते हुए, मीरा-भायंदर-वसई-विरार के डीसीपी प्रकाश गायकवाड़ ने सोमवार शाम को निषेधाज्ञा जारी की थी। इस घटना ने मराठी अस्मिता और क्षेत्रीय राजनीति को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। सरनाइक का अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़ा होना और रैली में शामिल होना इस मामले को और जटिल बनाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद आगे कैसे बढ़ता है और इसका महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।