महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आए 4 दिन बीत गए हैं, मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) पार्टी अभी तक मंथन नहीं कर पाई है। गठबंधन के पास 230 सीटे हैं, बीजेपी के पास 135 सीटें हैं, शिवसेना के पास 57 और नेशनिलस्ट कांग्रेस पार्टी के पास 41 सीटें हैं। एनसीपी खुलकर बीजेपी के साथ है, अजित पवार गुट ने सीएम पद को लेकर अपनी दावेदारी पेश नहीं की है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर रार सिर्फ शिवसेना और बीजेपी के बीच है। शिवसेना गुट के लोग चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री बनें, वे ही महायुति के सबसे बड़े चेहरा रहे हैं। शिवसैनिकों का नारा भी है कि एकनाथ शिंदे हैं तो सेफ हैं। बीजेपी को इस पर ऐतराज है। बीजेपी महाराष्ट्र में दूसरा 'नीतीश कुमार' एकनाथ शिंदे को नहीं बनने देना चाहती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजों के सबसे बड़े हीरो देवेंद्र फडणवीस कहे जा रहे हैं। माराठा वोटरों को साधने, किसानों को साधने में वे सफल रहे हैं। वे मराठा आरक्षण के समर्थन में बोल चुके हैं, उनके नेतृत्व में बीजेपी को साल 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में 105 सीटें मिली थीं, इस बार बीजेपी अपने दम पर 132 सीटें लेकर आई है।
क्यों देवेंद्र फडणवीस की दावेदारी है मजबूत?
बीजेपी समर्थकों का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस ने ही महायुति को जोड़-तोड़कर तैयार किया है। उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में भी एकनाथ शिंदे को तोड़कर अलग शिवसेना बनाने में देवेंद्र फडणवीस का अहम रोल था, अजीत पवार और शरद पवार को अलग करने का क्रेडिट भी उन्हें ही मिलता है, ऐसे में बीजेपी का कहना है कि मुख्यमंत्री फडणवीस ही होंगे।
क्यों बिहार मॉडल महाराष्ट्र में नहीं चाह रही है बीजेपी?
बिहार में बीजेपी के पास 70 से ज्यादा सीटें हैं फिर भी 50 से कम सीटों वाली जनता दल यूनाइटेड के कर्ता-धर्ता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। क्या महाराष्ट्र में भी यह मॉडल लागू होने वाला है? बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कहा है, 'बिहार का मॉडल महाराष्ट्र में लागू नहीं होता है। बिहार में बीजेपी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया था. महाराष्ट्र में ऐसी कोई वजह नहीं है। एकनाथ शिंदे को ही सीएम बनाने के लिए कोई वादा नहीं किया है। मुख्यमंत्री का चेहरा, चुनावी नतीजों के आधार पर तय किया जाएगा।'
महाराष्ट्र में चल क्या रहा है?
एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद से 26 नवंबर को इस्तीफा दिया था। उन्होंने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा था। अब वे महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं। शिवसेना की ओर से दबाव बनाया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनें। बीजेपी पर दबाव डाला जा रहा है। बीजेपी इस प्रेशर पॉलिटिक्स से बचती नजर आ रही है।
क्या प्रेशर पॉलिटिक्स का शिकार होगी बीजेपी?
केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के चीफ रामदास आठवले ने इसका जवाब पहले ही दिया है। उन्होंने एकनाथ शिंदे को सलाह दे दी है कि वे मुख्यमंत्री पद से अब हट जाएं। उन्होंने ANI के साथ इंटरव्यू में कहा था, 'एकनाथ शिंदे की पार्टी को लगता है कि उन्हें एक और मौका देना चाहिए, बिहार का पैटर्न वहां लागू होना चाहिए। महाराष्ट्र और बिहार की स्थिति अलग है। एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनना चाहिए। अगर वे डिप्टी नहीं बनना चाहते हैं तो केंद्र में आकर केंद्रीय मंत्री बन जाएं। वे प्रधानमंत्री और अमित शाह से बात करें।'
शिवसेना ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना विधायक उदय सामंत ने कहा है कि हम रामदास आठवले का आदर करते हैं लेकिन हम ये कहना चाहते हैं कि उनकी सलाह हमें नहीं चाहिए। हमारी पार्टी को यह निर्णय लेने दें।