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'कोई डाउट नहीं, तेजस्वी ही चेहरा हैं', CM कैंडिडेट पर बोले कन्हैया

बिहार के विधानसभा चुनाव से कई महीने पहले ही कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा है कि इस बात को लेकर कोई असमंजस नहीं है कि तेजस्वी यादव ही महागठबंधन का चेहरा होंगे।

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कन्हैया कुमार, Photo Credit: PTI

बिहार के विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के बीच अभी सीटों के बंटवारे और मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर औपचारिक सहमति नहीं हुई है। इसको लेकर कई बार इसको लेकर खींचतान भी हुई है। इस बीच कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कुछ ऐसा कहा है जिससे आरजेडी की बांछें खिल जाएंगी। कन्हैया कुमार ने कहा है कि इस बात पर कोई संदेह, संकट या विवाद नहीं है कि चेहरान कौन है। उन्होंने यह भी कहा कि जाहिर सी बात है कि आरजेडी की सीटें ज्यादा होंगी तो तेजस्वी यादव ही चेहरा होंगे। रोचक बात है कि तेजस्वी यादव शुरुआत से ही कन्हैया कुमार को लेकर सहज नहीं रहे हैं और आरजेडी भी कन्हैया से दूरी ही रखती है। ऐसे में कन्हैया का ऐसा कहना बेहद अहम माना जा रहा है।

 

पीटीआई-भाषा को दिए एक इंटरव्यू में कन्हैया कुमार ने कहा कि चुनाव में मुद्दे महत्वपूर्ण हैं लेकिन एक साजिश  के तहत इनसे ध्यान भटकाने के लिए बार-बार चेहरे की बात की जा रही है। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है।बिहार में INDIA गठबंधन के घटक दलों के गठजोड़ को ‘महागठबंधन’ के नाम से जाना जाता है। इस गठबंधन में वाम दलों के साथ ही RJD, कांग्रेस और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) शामिल हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के सबसे बड़े घटक आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 52 प्रतिशत की सफलता दर से 75 सीटें हासिल की थी। कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन उसे 27 प्रतिशत सीटों पर ही सफलता मिली थी और उसने सिर्फ 19 सीटें जीती थीं। भाकपा (माले) लिबरेशन ने 19 सीट पर चुनाव लड़ा और 12 पर जीत हासिल की थी यानी उसे 63 प्रतिशत सीटों पर कामयाबी मिली थी।

 

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ब्रेक और क्लच वाला उदाहरण

 

बिहार में मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति के बारे में पूछे जाने पर कन्हैया कुमार ने कहा, 'मेरे खयाल से पिछली बार भी बदलाव का माहौल था। थोड़े अंतर से महागठबंधन की सरकार नहीं बन पाई। पिछले पांच साल से बिहार की जो स्थिति है उससे लगता है कि (इस बार) बदलाव की बयार पहले से ज्यादा मजबूत है।' कांग्रेस की स्टूडेंट विंग NSUI के प्रभारी कन्हैया कुमार ने महागठबंधन के घटक दलों के बारे में कहा, 'हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। जिसकी बड़ी जिम्मेदारी है वह निभाएगा और जिसकी छोटी जिम्मेदारी है, उसका भी निर्वहन जरूरी है। एक चुटकी नमक कम तो खाना बेस्वाद और एक चुटकी ज्यादा हो तो भी खाना बेस्वाद... इसलिए सब अपनी अपनी भूमिका निभाएंगे।'

 

 

बिहार में कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में शुमार कन्हैया ने महागठबंधन में सीनियर और जूनियर पार्टनर के विचार को खारिज करते हुए कहा कि सभी दलों की अपनी भूमिका है और वे एकजुट होकर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा, 'अगर आप गाड़ी को देखें तो उसमें क्लच उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना ब्रेक और रियर व्यू मिरर महत्वपूर्ण होते हैं।'

 

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CM कैंडिडेट पर क्या बोले कन्हैया कुमार?

 

महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री के चेहरे और तेजस्वी यादव से जुड़े सवाल पर कुमार ने कहा, 'मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह जनता तय करती है। जिसके पास संख्याबल है वह मुख्यमंत्री बनेगा। स्वाभाविक रूप से आरजेडी ज्यादा सीटों पर लड़ेगी और ज्यादा सीटों पर जीतेगी। संख्याबल उसके पास होगा और मुख्यमंत्री पद पर उनकी दावेदारी होगी, इसको लेकर कोई संदेह नहीं है।' कन्हैया से पूछा गया कि क्या प्रमुख चेहरा तेजस्वी का है और इसको लेकर महागठबंधन कोई असमंजस नहीं है? इस पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष ने कन्हैया ने कहा, 'इसमें कोई संदेह, संकट या विवाद नहीं है। इसमें बिल्कुल स्पष्टता है कि महागठबंधन में प्रक्रिया के तहत चीजें हो रही हैं। सारी पार्टियों को मिलाकर मीडिया समूह बना है, सारी पार्टियों को मिलाकर घोषणापत्र समिति बनी है, सारी पार्टियां मिलकर सीटें तय करेंगी।'

 

उन्होंने दावा किया कि बीजेपी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाकर, इस पद पर अपना चेहरा लाने की कोशिश में है। उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि वे नीतीश जी के अस्वस्थ होने पर यह कोशिश कर रहे हैं। वे पहले भी प्रयास कर चुके हैं। बीजेपी पिछले कई दशकों से बिहार में वही करना चाहती है जो दूसरी जगह करने में सफल रही है। मतलब पहले क्षेत्रीय दल का साथ पकड़ो और फिर धीरे-धीरे उसे निगल जाओ। बिहार में ऐसा न कर पाने की वजह से बीजेपी नीतीश का साथ लेने को मजबूर हुई।' 

 

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कन्हैया कुमार ने कटाक्ष करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने कहा था कि नीतीश जी के लिए सारे दरवाजे बंद हैं तो क्या नीतीश जी ब्लूटूथ से (एनडीए में) डाउनलोड हो गए?' उन्होंने कहा कि बिहार में पलायन, बेरोजगारी, पेपर लीक, परीक्षाओं का समय पर नहीं होना, अपराध में वृद्धि और नौकरशाही की मनमानी आदि प्रमुख मुद्दे होंगे। उनका कहना था कि बीजेपी बिहार में 'ऑपरेशन सिंदूर' के मुद्दे को ज्यादा नहीं उछाल रही है क्योंकि उसे पता है कि बिहार के लोग सेना को लेकर राजनीति पसंद नहीं करेंगे।

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