तमिल फिल्मों के सुपरस्टार अभिनेता थलापति विजय ने ने 2 फरवरी 2024 को तमिलगा वेत्री कषगम (TVK) नाम से अपनी राजनैतिक पार्टी बनाई थी। पार्टी का थीम सॉग लॉन्च करते हुए विजय ती पार्टी ने तमिलनाडु में बड़े बदलाव करने की घोषणा की थी। विजय के नेतृत्व में तमिलगा वेत्री कषगम ने गुरुवार को मदुरै में एक विशाल रैली को संबोधित किया। इस रैली में विजय ने बीजेपी और डीएमके पर जोरदार हमला करके एक तरह से आधिकारिक तौर पर अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत कर दी।
सत्तारूढ़ डीएमके और विपक्षी बीजेपी को उन्होंने अपनी दुश्मन बताते हुए दोनों पार्टियों को चैलेंज किया। उन्होंने रैली में आई जनता से कहा कि उनका एकमात्र वैचारिक दुश्मन बीजेपी है जबकि एकमात्र राजनीतिक दुश्मन डीएमके हैं। विजय ने कहा कि तमिलगा वेत्री कषगम कोई ऐसी पार्टी नहीं है जिसकी शुरुआत सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए हो रही है।
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234 सीटों पर चुनाव लड़ेगी पार्टी
थलापति विजय ने अपनी इस रैली में ऐलान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, 'आपके घर से खड़ा उम्मीदवार कोई और नहीं, बल्कि मैं ही हूं। वह उम्मीदवार और मैं एक ही हैं। उन्हें वोट देना मुझे वोट देने के समान है।' यह बयान विजय ने मदुरै की रैली में अपने लाखों की संख्या में आए समर्थकों से की। माना जा रहा है कि उनकी रैली में राज्यभर से लगभग 5 लाख लोग जुटे थे।
इसी समय उन्होंने ऐलान किया है कि अब वे पूरी तरह से राजनीति के लिए समर्पित रहेंगे और फिल्मों को छोड़ दिया है। तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से मात्र एक साल पहले की इस घोषणा ने तमिल राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। पचास साल के विजय की इस घोषणा ने तमिलनाडु की राजनीति में जड़ें जमाए बैठे दिग्गजों को चुनौती है।
टीवीके मजबूती से किसे झटका?
ये चैलेंज खासकर सत्तारुढ़ डीएमके और मुख्यमंत्री अमके स्टालिन के लिए है, जो 2026 में चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। साल 2021 में 10 सालों के लंबे अंतराल के बाद स्टालिन के नेतृत्व में DMK सत्ता में आई थी। तमिलनाडु में अगर विजय और उनकी पार्टी टीवीके मजबूत होती है तो इससे सबसे बड़ा झटका डीएमके को ही मिलेगा। दरअसल, राज्य में डीएमके के पास खोने के लिए बहुत कुछ है, जबकि बीजेपी के पास सरकार में आने के लिए खुला आसमान है।

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चूंकि डीएमके तमिलनाडु में पांच सालों से सत्ता में है इसलिए एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर भी उन्हीं के खिलाफ जा सकता है। ऐसे मौके पर फिल्मों से संन्यास और फुल टाइम पॉलिटिक्स करने की घोषणा के साथ चुनाव लड़ने के विजय के ऐलान ने डीएमके खेमें में चिंता पैदा कर दी है।
लाखों की संख्या में समर्थक
थलापति विजय के तमिलनाडु में लाखों की संख्या में समर्थक हैं। राज्य के युवाओं और और ग्रामीण इलाकों में विजय की अपार लोकप्रियता है। उनके प्रशंसकों के बीच विजय की लोकप्रियता डीएमके के वोट बैंक पर असर डाल सकती है। डीएमके की युवा शाखा के नेता के रूप में उदयनिधि पहले से ही युवा मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं, और विजय का आना उनके लिए सीधी चुनौती हो सकती है। क्योंकि दोनों ही युवाओं को अपील कर रहे हैं।
चुनावी जंग को लेकर गंभीर विजय
विजय की चुनावी जंग की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अपनी मदद के लिए बुलाया है। वहीं, विजय ने अपनी रैली में बीजेपी को 'वैचारिक प्रतिद्वंद्वी' कहा है लेकिन वो सनातन विरोध जैसे विवादों से दूरी बनाकर डीएमके से अलग रुख अपना रहे हैं। यानि कि वह बीजेपी पर डीएमके के मुकाबले कम हमलावर हैं। वहीं, डीएमके की तरफ से सनातन धर्म को लेकर बयान दे दिया करती है।
पेरियार पर फोकस
डीएमके की तरफ के लगने के लिए विजय ने रामासामी पेरियार को अपना आदर्श बनाया है। मदुरै की रैली में स्टेज की टीवी स्क्रीन पर पेरियार को जगह दी, जिससे कि जनता में ये संदेश जाए कि डीएमके से ज्यादा पेरियार को उनकी पार्टी सम्मान देती है। दरअसल, पेरियार ने तमिलनाडु में आत्म-सम्मान आंदोलन की स्थापना की थी। उनको राज्य में एक सामाजिक सुधार और जाति-विरोधी आंदोलन के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने द्रविड़ लोगों में आत्म-सम्मान और समानता को बढ़ावा देने का काम किया था।
पर डीएमके चुनावी जंग को लेकर इत्मीनान के मूड में नही है। एंटी इंकमबेंसी फैक्टर, थलपति विजय की एंट्री, राज्य में बीजेपी की सक्रियता ने राज्य की राजनीति को दिलचस्प बना दिया है।