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नाराजगी या न्योता नहीं! PM मोदी की रैली से दिलीप घोष की दूरी के मायने

पीएम मोदी का आज बंगाल के दुर्गापुर में कार्यक्रम है लेकिन इसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को आमंत्रित नहीं किया गया है। ऐसे में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।

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दिलीप घोष। (File Photo Credit: PTI)

पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली होनी है। इस रैली में पश्चिम बंगाल बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को नहीं बुलाया गया है। इससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि बंगाल में बीजेपी के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। यह इसलिए भी मायने रखता है कि क्योंकि अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले पीएम मोदी की इस रैली को अहम राजनीतिक कार्यक्रम माना जा रहा है।

 

पीएम मोदी के इस कार्यक्रम में बीजेपी के तमाम बड़े नेता शामिल होंगे लेकिन एक वक्त राज्य में पार्टी का अहम चेहरा रहे दिलीप घोष इसमें शामिल नहीं होंगे

 

जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी दुर्गापुर में एक रैली करेंगे। साथ ही साथ 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स की शुरुआत भी करेंगे। हालांकि, कार्यक्रम से दिलीप घोष को दूर रखने से पार्टी में कथित रूप से पनप रही गुटबाजी फिर से चर्चा में आ गई है।

 

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दिलीप घोष ने क्या बताया?

दिलीप घोष ने दावा किया है कि न्हें इस कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया। उन्होंने न्यूज एजेंसी PTI से कहा, 'मैं रैली में नहीं जा रहा हूं, क्योंकि मुझे आमंत्रित नहीं किया गया है। मेरी समझ से निमंत्रण जोन के हिसाब से भेजे गए हैं। इसलिए मुझे भरोसा है कि जब मोदीजी कोलकाता जोन में आएंगे तो मुझे आमंत्रित किया जाएगा'

 

बीजेपी का क्या है कहना?

बीजेपी ने इस बात की पुष्टि की है कि दिलीप घोष को न्योता नहीं दिया गया है। पार्टी के एक सीनियर नेता ने बताया, 'सिर्फ दुर्गापुर-बर्धमान जोन के नेताओं को ही आमंत्रित किया गया है। जब कोलकाता जोन में रैली होगी, तो उन्हें आमंत्रित किया जाएगा'

 

उन्होंने बताया कि इस रैली में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा को भी इस बार आमंत्रित नहीं किया गया है।

 

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क्या बीजेपी में दरार पड़ गई है?

पीएम मोदी की रैली में दिलीप घोष जैसे नेता को न बुलाया जाना इशारा करता है कि पार्टी में अंदर ही अंदर गुटबाजी पनप रही है।

 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कार्यक्रम से दिलीप घोष को बाहर रखना सिर्फ तकनीकी चूक नहीं है। यह बीजेपी के अंदर की गुटबाजी का संकेत है। दिलीप घोष बंगाल में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं। फिर भी उन्हें इतने बड़े कार्यक्रम से दूर रखना सवाल उठाता है।

 

न्यूज एजेंसी PTI ने पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया है कि दिलीप घोष और पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य के बीच अच्छी तरह नहीं बनती। दोनों ने सार्वजनिक रूप से एकता दिखाने की कोशिश जरूर की है लेकिन इसके बावजूद बंगाल बीजेपी में हाईलेवल पर सबकुछ ठीक नहीं है।

 

बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते समिक भट्टाचार्य ने पार्टी दफ्तर में दिलीप घोष के साथ अलग से भी एक बैठक की थी।

 

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बीजेपी से नाराज हैं दिलीप घोष?

दिलीप घोष 2019 से 2024 तक मेदिनीपुर लोकसभा से सांसद रहे हैं। बीजेपी ने उन्हें दिसंबर 2015 में बंगाल बीजेपी का अध्यक्ष बनाया था।

 

2024 में भी उन्होंने चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। हालांकि, इस चुनाव में दिलीप घोष को मेदिनीपुर की बजाय दुर्गापुर-बर्धमान से टिकट दिया गया था। चुनाव में हार के बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि पार्टी में चुगलखोरी की वजह से उनकी हार हुई है। उन्होंने बाद में यह भी कहा था कि मेदिनीपुर की बजाय दुर्गापुर-बर्धमान से चुनाव लड़वाना पार्टी की गलती थी।

 

उन्होंने कहा था, 'यह बहुत हैरान करने वाला है कि कमजोर सीट पर जीत की योजना बनाने की बजाय हम कुछ और कर रहे हैं। इससे हम जीतने वाली सीटें भी हार रहे हैं। यह तर्क से परे है'

 

दिलीप घोष एक वक्त बंगाल में बीजेपी के बड़े चेहरों में से एक थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी ने बंगाल में 18 सीटें जीतीं तो इसकी बड़ी वजह दिलीप घोष को ही माना गया है। हालांकि, 2021 के विधानसभा चुनाव में जब पार्टी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई तो बीजेपी ने उनकी जगह सुकांत मजूमदार को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। हालांकि, इसके बाद भी दिलीप घोष बीजेपी के लिए बड़ा चेहरा बने रहे। 2024 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद से दिलीप घोष को थोड़ा साइडलाइन किया जाने लगा है।

 

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क्या बीजेपी छोड़ देंगे दिलीप घोष?

यह पहली बार नहीं है जब दिलीप घोष को किसी कार्यक्रम में निमंत्रण न दिया गया हो। इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब पीएम मोदी की अलीपुरद्वार में रैली हुई, तब भी दिलीप घोष ने इससे दूरी बनाए रखी। इसके बाद जब अमित शाह भी बंगाल के दौरे पर पहुंचे तो इस कार्यक्रम में बड़े नेता आए लेकिन दिलीप घोष इस बार भी नदारद रहे।

 

दिलीप घोष RSS के करीबी रहे हैं और इसका फल उन्हें मिला भी है। हालांकि, कुछ महीनों से दिलीप घोष बीजेपी से नाराज चल रहे हैं।

 

एक तरफ बीजेपी से उनकी दूरी दिख रही है तो दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से उनकी नजदीकियां भी बढ़ती दिख रही हैं। इस साल अप्रैल में बंगाल के दीघा में श्रीजगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ था। इस कार्यक्रम में दिलीप घोष भी गए थे। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात भी की थी। सीएम ममता से मुलाकात पर जब विवाद हुआ तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि वह इस कार्यक्रम में इसलिए गए थे, क्योंकि उन्हें इसका निमंत्रण मिला था और जाने के लिए बीजेपी ने भी मना नहीं किया था।

 

ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद से ही ऐसी अटकलें हैं कि 2026 के चुनाव से पहले दिलीप घोष पाला बदल सकते हैं। हालांकि, दिलीप घोष कई बार बीजेपी छोड़ने की अटकलों को खारिज कर चुके हैं। मगर उनकी राजनीतिक टिप्पणियों ने इन अटकलों को बार-बार मजबूत किया है।

 

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