सम्राट अशोक को चाणक्य से बड़ा बता गई RJD, इस बयान की वजह समझ लीजिए
राजनीति
• PATNA 16 Jul 2025, (अपडेटेड 16 Jul 2025, 9:59 PM IST)
आरजेडी सांसद संजय यादव ने एक नेशनल टीवी पर बात करते हुए यह नया मुद्दा छेड़ दिया है। संजय यादव से एक सवाल में पूछा गया कि क्या वह आरजेडी के चाणक्य हैं? क्या चाणक्य वाला टैग खतरनाक हो सकता है? इस पर जवाब देते हुए सांसद ने यह बयान दिया है।

सम्राट अशोक और चाणक्य। Photo Credit- AI
बिहार विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। राज्य में पलायन, बोरोजगारी, नौकरी, विकास, अपराध और भ्रष्टाचार की बातें हो रही हैं। दोनों सियासी खेमें महागठबंधन और एनडीए एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस नीतीश सरकार पर इन मुद्दों तो लेकर जमकर हमला कर रही हैं। चुनाव की गहमा-गहमी के बीच बिहार में अपराध की घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। बेगूसराय में दिनदहाड़े गोलीबारी में एक युवक की मौत हो गई, जबकि पटना में एक वकील की हत्या कर दी गई। बीते 4 दिन में बिहार में चार हत्याएं हुई हैं, जिससे राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकार के डिप्टी सीएम सुशासन का दावा कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन हत्याओं के मुद्दे पर मौन हैं। इसी बीच बिहार चुनाव में सम्राट अशोक महान और महान अर्थशात्री चाणक्य की एंट्री हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल ने सम्राट अशोक को बहुजन विरासत और गौरव का प्रतीक बताया है। साथ ही कहा है कि बिहार में चाणक्य से ज्यादा सम्राट अशोक चलते हैं और चाणक्य से ज्यादा अशोक की बात होनी चाहिए।
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RJD सांसद संजय यादव के बयान से उठी चर्चा
आरजेडी सांसद संजय यादव ने एक नेशनल टीवी पर बात करते हुए यह नया मुद्दा छेड़ दिया है। दरअसल, पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय यादव से एक सवाल में पूछा गया कि क्या वह आरजेडी के चाणक्य हैं? क्या चाणक्य वाला टैग खतरनाक हो सकता है? इस पर जवाब देते हुए सांसद ने यह बयान दिया है।
संजय यादव के बयान 'आशोक और चाणक्य' के बाद आरजेडी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका भारती ने तो चाणक्य को काल्पनिक चरित्र बता दिया और कहा कि बिहार चाणक्य जैसे काल्पनिक चरित्र को नहीं मानता है। वहीं, प्रवक्ता ने कहा कि सम्राट अशोक शांति और सद्भावना के प्रतीक हैं, बिहार चंद्रगुप्त, अशोक और बुद्ध की धरती है।
पत्रकार - चाणक्य वाला टैग खतरनाक हो सकता है!
— Priyanka Bharti (@priyanka2bharti) July 13, 2025
संजय जी - मैं समझता हूँ बिहार में चाणक्य से ज़्यादा सम्राट अशोक चलते हैं।
शांति और सद्भावना के प्रतीक हैं महान सम्राट अशोक। बिहार चाणक्य जैसे काल्पनिक चरित्र को नहीं मानता है!
बिहार चंद्रगुप्त, अशोक और बुद्ध की धरती है pic.twitter.com/0BfmjONM3s
RJD ने सम्राट अशोक का क्यों किया जिक्र?
सम्राट अशोक को भारत के सबसे महानतम राजाओं में से एक माना जाता है। उनका काल 268 – 232 ईसा पूर्व था। उन्होंने तकरीबन 40 साल तक पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर राज किया। तमिलनाडु और केरल को छोड़कर आज का पूरा भारत, आज का पूरा पाकिस्तान और अफगानिस्तान का कम से कम पूर्वी भाग अशोक के अधिकार क्षेत्र में था। सम्राट अशोक चंद्रगुप्त मौर्य के पोते और बिंदुसार के बेटे थे। उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य और बिंदुसार के बाद मौर्य सामाज्य को शिखर पर पहुंचा दिया। यही नहीं अशोक एक ऐसे सम्राट थे जिन्होंने ऐसी नैतिक अवधारणाओं का सूत्रपात किया जिनका असर आज तक देखा जा सकता है।
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सम्राट अशोक की जाति और सियासत
आरजेडी ने राजा अशोक का जिक्र ऐसे ही नहीं किया है। दरअसल, सम्राट अशोक की जाति विवाद का विषय है। सम्राट अशोक को चाणक्य से बड़ा या महत्वपूर्ण बताने के पीछे आरजेडी की जो राजनीति है, उसे बिल्कुल साफ समझ जा सकता है। जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव खुलकर मोर्चा संभाले हुए हैं, ब्राह्मण बनाम पीडीए पुजारी का मुद्दा बनाए हुए हैं; ऐसे में फिर बिहार इस राजनीति में कैसे पीछे रहता। आरजेडी ने इसी राजनीति में उतरते हुए गैर यादव बिरादरी को साधने की कोशिश में है।
सोशल मीडिया पर बहुजन लेखक इस बात की चर्चा करते हैं कि चाणक्य का कैरेक्टर ऐतिहासिक है या काल्पनिक? मगर, इस बहस को छोड़ दें तो पॉपुलर ओपिनियन ये है कि चाणक्य ब्राह्मण थे। इसलिए आरजेडी सांसद और राजनीतिक रणनीतिकार संजय यादव ने चाणक्य या उनसे जुड़ी जाति पर सीधा हमला बोलने के बजाय सम्राट अशोक की महानता का बखान कर रहे हैं, जिससे उनकी रणनीति भी साफ हो गई कि आरजेडी बहुजन अस्मिता को बल देना चाहती है।
राजद किसे साधने की कोशिश में...
इसके अलावा ओबीसी समाज राजनीतिक और सामाजिक वजह से सम्राट अशोक से भावनात्मक लगाव रखता है तो दलित समाज धार्मिक सांस्कृतिक वजह से, खासकर बौद्धिज्म के प्रचार प्रसार में उनके योगदान की वजह से। इसलिए जब राजद सांसद सम्राट अशोक को चाणक्य से बड़ा बता रहे हैं तब पिछड़े और दलित समाज के लोगों को संदेश दे रहे हैं कि वो बहुजनों के गौरव का ख्याल अधिक रखते हैं।
सम्राट अशोक की जाति को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है, लेकिन व्यापक रूप से उन्हें मौर्य वंश का माना जाता है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि वे कुशवाहा जाति से थे, जबकि अन्य का कहना है कि उनकी जाति क्षत्रिय थी। क्योंकि वह मौर्य वंश से थे.. और इस समय मौर्य सरनेम या तो ओबीसी जातियां लगाती हैं या फिर दलित। इस लिहाज से राजद इन्हीं जातियों को साधने की कोशिश कर रही है।
कुशवाहा जाति क्यों जरूरी?
बता दें कि बिहार में कुशवाहा जाति राज्य की आबादी का 4.27 प्रतिशत है। कोइरी या कुशवाहा बिहार में एक प्रमुख जाति है। ये जाति पारंपरिक रूप से खेती-किसानी से जुड़ी हुई है। इस विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन और विपक्षी महागठबंधन का ध्यान कुशवाहा जाति पर है।
सीएसडीएस-लोकनीति के चुनाव के बाद सर्वे के मुताबिक कुशवाहा-कोइरी समुदाय ने 2024 में एनडीए गठबंधन को अपना 67 प्रतिशत वोट दिया था। 2019 में एनडीए को 79 प्रतिशत वोट दिया था। जबकि, पिछले लोकसभा में महागठबंधन को इस जाति के 19 प्रतिशत वोट मिले। वहीं, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुशवाहा जाति ने एनडीए को 51 प्रतिशत वोट दिए, जबकि महागठबंधन को महज 16 प्रतिशत वोट दिया था।
पिछले दो लोकसभा और 2020 के विधानसभा चुनावों को देखें को कुशवाहा जाति ने बीजेपी और उसकी सहयोगी दलों को दिल खोलकर वोट किया है। यही वजह है कि आरजेडी कुशवाहा-कोइरी जाति को ज्यादा से ज्यादा अपने में करना चाहती है, जिसकी वजह से पार्टी सांसद संजय यादव ने सम्राट अशोक महान और चाणक्य के मुद्दे को हवा दी है।
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