अयोध्या 500 वर्ष बाद, अलग उत्सव में रंगी नजर आ रही है। भगवान रामलला, अपने भव्य महल में विराज रहे हैं। गर्भगृह में उनकी प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। रामलला टेंट में थे, अब उन्हें, उनकी जन्मभूमि मिल गई है। अयोध्या में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। देश-विदेश से लाखों पर्यटक अयोध्या का दीपोत्सव देखने पहुंच रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं का दावा है कि समाजवादी पार्टी (SP) के नेता और फैजाबाद लोकसभा सीट के सांसद अवधेश प्रसाद (Ayodhya Prasad) इस दीपोत्सव में हिस्सा नहीं लेंगे।
अयोध्या में 28 लाख दीए जलाए जाएंगे। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1000 से ज्यादा लोगों के साथ सरयू घाट पर आरती देखेंगे। अयोध्या के इस उत्सव में न जाने को लेकर जब अवधेश प्रसाद से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि किसने कहा मैं नहीं जा रहा हूं, मुझे न्योता ही नहीं मिला है।
दीपावली से ज्यादा बीजेपी पर बोल गए अवधेश
अवधेश प्रसाद ने कहा, 'बड़ी दीपावली कल है। यह आक्षेप बीजेपी का समझ में नहीं आता है। मैं तो जा रहा हूं, 3 से 4 बजे तक हम पहुंच जाएंगे। बीजेपी का यह आरोप निराधार है। बीजेपी हमारे देश की मान्य परंपराओं पर आधारित त्योहारों का वर्गीकरण कर रहे हैं। ये बांटने का काम कर रहे हैं।'
'मुझे न्योता ही नहीं मिला कैसे जाऊं'
सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, 'हमारा सिद्धांत है एकता में अनेकता। यह देश का सूत्र है। इसी सूत्र के आधार पर हमारा देश मजबूत है। बीजेपी इसे बांटकर मनाना चाहती है। दीपोत्सव के लिए निमंत्रण कार्ड मुझे नहीं मिला है। पास कार्ड नहीं आया है। यह कहना कि हम नहीं जाएंगे, या नहीं जाएंगे, यह हमारा त्योहार है, सदियों से परंपरा रही है। मुझे निमंत्रण ही नहीं मिला है।'
'पास देकर हो रही एंट्री, गरीबों को नो एंट्री'
अवधेश प्रसाद ने कहा, 'बीजेपी के लोग त्योहारों का राजनीतिकरण कर रहे हैं। ये त्योहार सत्य हैं, इन्हें सत्य द्वारा मनाया जाता है। ये हमारी परंपराएं रही हैं। बीजेपी बांटकर त्योहार मना रही है। इन त्योहारों में भाईचारे का पैगाम छिपा होता है। मुझे खुशी है कि ये त्योहार अंधेरे से उजाले की तरफ ले जा रही है। मैं सबके साथ मिलकर त्योहार मनाएंगे। यह त्योहार किसी एक पार्टी या वर्ग का नहीं है। लोगों को पास दिया जा रहा है। गरीबों को पास नहीं मिल रहा है। त्योहार सब मिल-जुलकर मनाते हैं।'
दीपावली पर बीजेपी-सपा में क्यों ठनती है रार?
राम मंदिर आंदोलन के इतिहास में सपा और बीजेपी के बीच सियासी मतभेद रहे हैं। 30 अक्तूबर 1990 को जब राम मंदिर के कारसेवकों पर गोलीबारी हुई थी, तब से ही मुलायम सिंह याद को हिंदुत्ववादी नेता 'मुल्ला मुलायम' बुलाने लगे थे। बीजेपी, सपा को राम का विरोधी कहती है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने फैजाबाद लोकसभा सीट गंवा दी है।
22 जनवरी 2024 को जब राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान रामलला की स्थापना हुई थी, तब भी उद्घाटन समारोह में सपा नहीं शामिल हुई थी।
अब जब भव्य दीपोत्सव और अयोध्या में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं, तब भी सपा सांसद या उनकी पार्टी के नेता नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में बीजेपी, सपा को हिंदू विरोधी और रामद्रोही कह रही है। वहीं सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा है कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया है, उनके पास अयोध्या प्रशासन का पास नहीं है।