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तेलंगाना OBC आरक्षण: असर से विवाद तक, सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं

निकाय चुनाव में तेलंगाना सरकार के 42 फीसदी आरक्षण वाले फैसले को लेकर हंगामा बरपा है। क्या है पूरी कहानी, समझिए।

Telangana Congress

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी। (Photo Credit: Congress)

तेलंगाना सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों के लिए 42 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी है। तेलंगाना के मंत्री वकिटी श्रीहरी ने कहा है कि 42 फीसदी आरक्षण देना कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी का विचार है। राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पदयात्रा में इस बारे में बात की थी। तेलंगाना सरकार ने इस फैसले से पहले कई वर्गों के साथ बातचीत की थी और अब यह कदम उठाया है। तेलंगाना सरकार का कहना है कि यह फैसला, संसद के 9वीं अनुसूची में शामिल हो चाहे न हो, हर स्थिति में सरकार इस विधेयक को लागू करेंगे।

तेलंगाना सरकार का कहना है कि देश में पिछड़े वर्ग की आबादी बड़ी है। जातिगत जनगणना की मांग कांग्रेस इसीलिए करती आई है, अब लोगों को उनकी आबादी के हिसाब से ही जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। यह बिल विधानसभा से पास हो गया है, अब इसे संसद में विचार के लिए भेजा गया है। यह बिल संसद के 9वीं अनुसूची में शामिल होता है या नहीं, अब यह केंद्र को तय करना है। तेंलगाना सरकार ने यह भी कहा है कि इस बिल को हर हाल में लागू किया जाएगा। 

तेलंगाना के मंत्री वकिटी श्रीहरी ने कहा, '42 फीसदी आरक्षण देना कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी का विचार है। राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पदयात्रा में इस बारे में बात की थी। कई लोगों से चर्चा के बाद हमने फैसला किया कि हमारे देश में पिछड़े वर्ग के लोग बड़ी संख्या में हैं। इसलिए जातिगत जनगणना होनी चाहिए और लोगों को उनकी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।'

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वकिटी श्रीहरी, मंत्री, तेंलगाना:-
हमारे मुख्यमंत्री खुद पिछड़े वर्ग से नहीं आते हैं। उन्होंने इस बिल को विधानसभा में पास कर संसद में भेजा है। अब यह बिल संसद के 9वीं अनुसूची में शामिल होता है या नहीं, यह केंद्र सरकार का फैसला है। इस पर लिया जाने वाला फैसला तय करेगा कि केंद्र की पिछड़े वर्ग के प्रति सोच क्या है। हम किसी भी स्थिति में इस बिल को लागू करेंगे।


फैसला क्या है? 

तेलंगाना सरकार ने 10 जुलाई 2025 को कैबिनेट बैठक में स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए 42 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी। यह फैसला मार्च 2025 में विधानसभा में पारित दो विधेयकों का हिस्सा है, जो शिक्षा, सरकारी नौकरियों, और स्थानीय निकायों में OBC को 42 फीसदी आरक्षण देगा।

असर किस पर होगा?  

  • तेलंगाना की 56.36% आबादी  OBC समुदाय से है
  • 10.08% मुस्लिमों को पिछड़े समुदाय में लिस्ट किया गया है

असर क्या होगा?

42% आरक्षण से ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में OBC समुदाय को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। कांग्रेस सरकार इसे सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के तौर पर देख रही है। ग्राम पंचायत, मंडल परिषद, और जिला परिषद के चुनावों में इसका असर दिख सकता है। शिक्षा और सरकारी नौकरियों में भी OBC को 42 फीसदी आरक्षण से नए अवसर मिलेंगे। कांग्रेस इसे समाज सुधार बता रही है। 

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आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की तय सीमा का उल्लंघन है यह फैसला? 

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय की है। तेंलगाना सरकार का यह फैसला, सुप्रीम कोर्ट की तय सीमा से ज्यादा है। तमिलनाडु में करीब 69 प्रतिशत आऱक्षण लागू है, जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर संरक्षित किया गया है। तेंलगाना सरकार इसी मॉडल को अपनाने की कोशिश में है।

संविधान की नौवीं अनुसूची क्या है?

संविधान की नौवीं अनुसूची में उन कानूनों को रखा गया है, जो न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हैं। जिनका मकसद कुछ कानूनों को संवैधानिक चुनौतियों से बचाना है। ये कानून ज्यादातर भूमि और सामाजिक-आर्थिक सुधारों से जुड़े हैं।

कांग्रेस सरकार ने क्यों लिया है यह फैसला?

राहुल गांधी अपनी चुनावी रैलियों में जोर-शोर से प्रचार करते हैं कि जिनकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। वह आबादी के हिसाब से आरक्षण की मांग करते हैं। तेंलगाना चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में यह वादा किया था। सरकार बनने के बाद यह फैसला ले लिया। यह मामला तेलंगाना हाई कोर्ट में भी पहुंचा था। कोर्ट ने जुलाई 2025 तक लेने का आदेश दिया था। यह फैसला सरकार ने समय से ले लिया है। 

केंद्र सरकार का फैसला अहम क्यों है?

इस विधेयक को लागू करने के लिए केंद्र सरकार और राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है। यह आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को पार कर रहा है। अब केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए तेलंगाना सरकार ने पंचायत राज अधिनियम, 2018 में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया है। 

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किन राज्यों में कांग्रेस कर चुकी है ऐसे वादे?

  • कर्नाटक: कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने 2023 में जातिगत सर्वेक्षण शुरू किया था। कांग्रेस ने इसे 'सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वे' कहा था। इसका मकसद OBC, SC, और ST समुदायों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करना था। अभी तक इस राज्य में OBC आरक्षण को 42 फीसदी तक बढ़ाने का कोई विधेयक पारित नहीं हुआ है। सर्वेक्षण के आधार पर नीतियां बनाने की योजना है। कर्नाटक में पिछड़े वर्ग के लिए वर्तमान में 32 फीसदी आरक्षण है। इसे बढ़ाने की मांग उठ रही है।  

  • हिमाचल प्रदेश: सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने अभी तक ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है। हिमाचल में ऐसा न होने की एक वजह सवर्ण बाहुल होना है। 

राहुल गांधी अपना एजेंडा लागू कर रहे हैं?

राहुल गांधी अपनी हर जनसभा में आरक्षण को लेकर मुखर रहे हैं। उनका कहना है कि जातिगत जनगणना ही सामाजिक न्याय का आधार है, हर समुदाय को उसकी संख्या के आधार पर भागीदारी मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि जातिगत जनगणना से आर्थिक असमानताएं उजागर हो जाएंगी और आरक्षण की नई नीतियां तैयार हो सकेंगी। 

तेलंगाना के फैसले पर विपक्ष की प्रतिक्रिया क्या है?

  • BRS: भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता ने OBC आरक्षण में देरी को लेकर कांग्रेस सरकार को 'रेल रोको आंदोलन' करने की धमकी दी है। उनका कहना है कि विधानसभा ने मार्च 2025 में विधेयक पारित किया। केंद्र सरकार और राष्ट्रपति ने अभी तक मंजूरी ही नहीं दी है। उनका कहना है कि तमिलनाडु मॉडल की तरह इसे नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए, जिससे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह बच जाए।
     
  • कांग्रेस: कांग्रेस ने इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जब के चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री थे, तब ओबीसी आरक्षण पर फैसला क्यों नहीं लिया गया।

  • बीजेपी: बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ओबीसी आरक्षण के नाम पर समाज को बांट रही है। कांग्रेस सरकार को आरक्षण से ज्यादा रोजगार पर ध्यान देना चाहिए। बीजेपी का कहना है कि ओबीसी आरक्षण पर फैसला, राज्य के अधिकार क्षेत्र में है, केंद्र को दोष देना गलत है। दिलचस्प बात यह है कि BRS और BJP दोनों ने विधानसभा में 42 फीसदी OBC आरक्षण विधेयक का समर्थन किया था।

 

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