समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने कहा है कि तीन तलाक की प्रथा पर बैन लगाने से मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बुरी हुई है, उन्हें पुरुष छोड़ दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि हिंदू महिलाओं को पुरुष छोड़ देते हैं, यह प्रथा अब तीन तलाक की वजह से मुस्लिम शादियों में भी आ गई है।
इकरा हसन ने तीन तलाक कानून को मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ साजिश बताया है। उन्होंने एक यूट्यूबर को दिए गए इंटरव्यू में कहा है कि तीन तलाक पर बैन को गलत बताया है। उनका कहना है कि किसी अन्य कानून में इस तरह के प्रावधान नहीं हैं।
तीन तलाक पर बैन को क्यों गलत मानती हैं इकरा?
समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ट्रिपल तलाक बैन पर क्या सोचती हैं? यह सवाल जब उनसे पॉडकास्ट में किया गया तो उन्होंने कहा, 'यह एक सिविल मैटर है। इसे सिविल की तरह ही डील किया जाना चाहिए था। सिविल मामलों में अगर किसी को आपराधिक मामलों की तरह सजा दी जाती है तो मुझे नहीं लगता है कि यह ठीक है। मुझे नहीं लगता है कि यह किसी अन्य कानून में होता है। मुझे इस बात से दिक्कत है।'
इकरा हसन ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह सिर्फ इस मंशा से किया गया है कि एक समुदाय विशेष के मर्दों को जेल में भरा जाए। इससे महिलाओं को जो फायदा भाजपा कहती है, मुझे नहीं लगता है कि वह मिलता है। मैंने खुद ऐसे केस देखे हैं, जिसमें हिंदू महिलाओं को छोड़ दिया जाता है।'
'परेशान हो रहीं मुस्लिम महिलाएं'
इकरा हसन ने कहा, 'हिंदुओं में तलाक लेना बेहद मुश्किल है। हिंदू विवाह अधिनियम के हिसाब से तलाक लेना बेहद मुश्किल है। हमने ऐसे कई मामले सुने हैं, जिनमें महिलाओं को छोड़ दिया गया है। कानून के छात्रों से मैंने सुना है। तलाक नहीं हो पाता है तो लोग अपनी पत्नियों को छोड़ देते हैं।'
इकरा हसन ने कहा, 'यही अब मुस्लिम शादियों में भी हो रहा है। ट्रिपल तलाक आ गया है, उसका अपराधीकरण भी हो गया है, अब महिलाओं को छोड़ जा रहा है। अब यह स्पष्ट नहीं है कि किससे आपकी शादी हुई है, क्या परिस्थितियां हैं, आपकी आर्थिक स्थिति क्या होगी, यह महिलाओं की बेहतर आर्थिक स्थिति के लिए लाया गया था, लेकिन सच्चाई यह है कि इसका इससे कोई वास्ता नहीं है। यह सिर्फ एक समुदाय विशेष के लोगों को प्रताड़ित करने के लिए लाया गया है।'
क्या है तीन तलाक?
मुस्लिम शादियों में तलाक तीन तरह से होता है। तलाक-उल-सुन्नत, तलाक-ए-असहन और तलाक-अल बिद्दत। तीन तलाक, तलाक-अल-बिद्दत में ही होता है। अगर पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक, तलाक और तलाक बोल दे तो उसका तलाक हो जाता है। पुरुष को इसके लिए कारण तक बताने की जरूरत नहीं होती थी। वह पत्नी की गैर मौजूदगी में टेलीफोन, खत या तार से भी इसे भेज सकता था।
कब तीन तलाक हुआ बैन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून लेकर आई थी। इस कानून को 'द मुस्लिम विमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) एक्ट 2019 नाम दिया है। 30 जुलाई 2019 को संसद में ट्रिपल तलाक विधेयक पारित हुआ था। अब यह कानून बन चुका है।
सिविल और क्रिमिनल कानून में क्या अंतर होता है?
इकरा हसन चाहती हैं कि तीन तलाक को सिविल मामला माना जाए, आपराधिक मामला नहीं। पहले दोनों का अंतर समझते हैं। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सौरभ शर्मा बताते हैं कि जो अपकृत्य (गलत काम) किसी व्यक्ति के खिलाफ होते हैं, उन्हें सिविल और जो समाज के खिलाफ होते हैं उन्हें आपराधिक माना जाता है।
सिविल मामलों में जुर्माना लगता है, आपराधिक मामलों में जेल होती है। शादी, तलाक और संपत्ति से संबंधित मामले अलग-अलग धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों के हिसाब से देखे जाते हैं। जैसे हिंदू मैरिज एक्ट, स्पेशल मैरिज एक्ट, क्रिश्चियन मैरिज एक्ट। इकरा हसन का कहना है कि तीन तलाक को आपराध माना गया है, जबकि शादी सिविल मामला है।
इकरा की आलोचना क्यों हो रही है?
इकरा हसन विदेश में पढ़ी हैं। उनकी आलोचना में लोग लिख रहे हैं कि विदेश में पढ़ी लिखी सांसद कैसे तीन तलाक जैसे पुराने और महिला विरोधी कानूनों को सही ठहरा सकती हैं।