करोडों की फंडिंग, ट्रम्प के बयान, भारत में शोर, USAID की इनसाइड स्टोरी
राजनीति
• NEW DELHI 22 Feb 2025, (अपडेटेड 28 Feb 2025, 9:17 AM IST)
भारत में अमेरिका की 181 करोड़ की चुनावी फंडिंग को लेकर हंगामा बरपा है। क्या है इस विवाद की पूरी कहानी, पढ़ें।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। (Photo Credit: Facebook)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलेपमेंट (USAID) की फंडिंग को लेकर सवाल उठाए हैं। उनके बयानों की वजह से भारत में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि कांग्रेस 181 करोड़ की अमेरिकी फंडिंग का लाभ कांग्रेस ने हासिल किया, जिससे नरेंद्र मोदी सरकार गिराई जा सके।
बीजेपी का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार को हराने के लिए कांग्रेस विदेशी साजिश भी रच सकती है। भारतीय जनता पार्टी के दावों से अलग कांग्रेस के दावे हैं। कांग्रेस का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और बिजनेसमैन एलन मस्क दोनों भारत को लेकर झूठे वादे कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि बाइडेन का प्लान भारत में किसी अन्य नेता को चुनाव जिताने का था।
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USAID को लेकर कांग्रेस-BJP में कैसे जंग शुरू हुई?
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा, 'ट्रंप और मस्क ने मिलकर USAID को लेकर झूठ बोला। प्रश्न ये है कि दोनों ने झूठ किस कारण से बोला? अमेरिकी सरकार किसको बचाने या फंसाने का षडयंत्र रच रही थी? भारत में इस झूठ को फैलाने में BJP और गोदी मीडिया दोनों जिम्मेवार हैं। अब सच सामने आ गया है, 21 मिलियन डॉलर भारत में नहीं, बांग्लादेश में खर्च किए गए। वहां यह पैसा जनवरी 2024 के चुनाव से पहले खर्च हुआ। क्या BJP और मीडिया इस झूठ के लिए माफी मांगेगा?
बांग्लादेश में 21 मिलियन डॉलर खर्च करने के दावों को भारतीय जनता पार्टी ने खारिज किया है। बीजेपी का कहना है कि 2022 में USAID के तहत मिले 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर फंड का इस्तेमाल नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने भारत विरोधी गतिविधियों में खर्च किया।
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कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी, दोनों की ओर से अमेरिकी फंड को लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं। भारत में मतदान बढ़ाने के लिए अमेरिका से मिलने वाली मदद का जिक्र कर दोनों पार्टियां एक-दूसरे को घेर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने इसमें कटौती करने की बात कही थी। अब एक बार फिर ट्रम्प ने कहा है कि अमेरिका भारत को 21 मिलियन डॉलर फंड देगा।
USAID पर क्या कह रही भारत सरकार?
विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के USAID की ओर से 21 मिलियन डॉलर के फंड के दावों पर प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है, 'भारत में फंडिंग के बारे में अमेरिकी प्राशासन की जानकारी हैरान करने वाली है। भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप के बारे में चिंताएं पैदा हो रही हैं। संबंधित विभाग और एजेंसियां इस पर जांच कर रही हैं। इस पर कोई भी टिप्पणी जल्दबाजी होगी।'
ट्रम्प ने कैसे बढ़ाई कांग्रेस की सिरदर्दी?
डोनाल्ड ट्रम्प रह-रहकर ऐसा कुछ कह रहे हैं कि भारत में हंगामा हो जा रहा है। उन्होंने बुधवार को कहा था, 'बाइडेन का प्लान भारत में किसी अन्य नेता (नरेंद्र मोदी के अलावा) को चुनाव जिताने का था। इसके लिए बाइडेन प्रशासन ने भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए 182 करोड़ रुपए का फंड मुहैया कराया। ये बड़ा खुलासा है, हम इस बारे में भारत सरकार को बताएंगे।' भारतीय जनता पार्टी ने उनके इस दावे को कांग्रेस से जोड़कर देख लिया।
BJP कांग्रेस पर आरोप क्या लगा रही है?
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राहुल गांधी को देशद्रोही तक बता दिया। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति राहुल गांधी की नफरत, भारत और नागरिकों के प्रति नफरत में बदल गई है। वे मोदी को चुनाव में नहीं हरा सकते, इसलिए वे विदेशी ताकतों पर भरोसा कर रहे हैं। मोदी के रूप में देश को एक मजबूत नेतृत्व मिला है, जो राहुल गांधी को पसंद नहीं है।'
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गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, '2004 से 2013 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को 2,115 मिलियन डॉलर से ज्यादा फंड मिला। पीएम मोदी के कार्यकाल में सिर्फ 1.5 मिलियन डॉलर मिले। वे जानते हैं कि नरेंद्र मोदी भारत के हितों को किसी विदेशी ताकत को नहीं बेच सकते हैं।'
कांग्रेस का USAID पर क्या कहना है?
कांग्रेस ने भी शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, 'बीजेपी सरकार के मंत्री, आर्थिक सलाहकार, IT सेल, RSS-BJP इकोसिस्टम और मीडिया ने USAID फंड की 21 मिलियन डॉलर कहानी की झूठी खबर फैलाई है। पहले ये पार्टी कांग्रेस सरकारों को अस्थिर करने के लिए विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल कर चुकी है।'
पवन खेड़ा ने दावा किया है कि पीएन धर की किताब 'इंदिरा गांधी, इमरजेंसी और इंडियन डेमोक्रेसी' में इस बात का जिक्र है कि अमेरिका ने जेपी आंदोलन की तारीफ की थी। निक्सन प्रशासन ने 1971 में अमेरिका की मनाही के बाद भी भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया था।
पवन खेड़ा ने कहा, 'ये कहते हैं 2012 में समझौता हुआ था जब कुरैशी साहब मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तब हम 2014 में हार गए, तो कौन किसको अस्थिर कर रहा था? हम भी 2014 में पूछते हैं क्या मोदी जी अमेरिका के पैसे से जीते थे? अब कल ट्रंप जी ने एक नई बात की है कि 21 मिलियन भारत को गया, आज एक अखबार ने दिखाया कि ये भारत को नहीं बांग्लादेश को गया। अब हम मोदी जी से पूछ रहे हैं कि 21 मिलियन अमेरिका ने हमारे पड़ोस में लोकतंत्र को अस्थिर करने के लिए भेजे और आपको पता नहीं चला?'
पवन खेड़ा ने कहा, 'मोदी सरकार के मंत्री लगातार USAID के अधिकारियों से मुलाकात करते हैं। 2024 में पीयूष गोयल 2030 तक 'जीरो कार्बन उत्सर्जन' के लिए USAID से पैसे लेते हैं। 10 नवंबर 2022 को देवेंद्र फडणवीस USAID से आपसी सहयोग की चर्चा करते हैं। 2016 में नोटबंदी से ठीक पहले नरेंद्र मोदी USAID से कैशलेस इकोनॉमी पर समझौता करते थे। तो क्या ये नोटबंदी अमेरिका के कहने पर हुई? कोविड में नरेंद्र मोदी जी ने USAID से $100 मिलियन लिया, तो क्या नरेंद्र मोदी भी उनके हाथों में खेल रहे हैं? BJP को बोलने से पहले सोच लेना चाहिए और संघ का इतिहास देख लेना चाहिए।'
पवन खेड़ा ने कहा, 'संघ ने विदेशी मदद से, फोर्ड फाउंडेशन और USAID की मदद से कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अन्ना हजारे-अरविंद केजरीवाल का इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन का आयोजन किया था।'
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पवन खेड़ा ने कहा, 'वे कह रहे हैं कि कांग्रेस सरकार ने विदेशी फंडिंग एजेंसियों से पैसे लिए। जब स्मृति ईरानी USAID की ब्रांड एंबेसडर थीं और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करती थीं, तो क्या उन विरोध प्रदर्शनों के पीछे USAID था? सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद हमारी सरकार चुनाव हार गई, और फिर वे अमेरिका गए और वहां रोड शो किए। सभी जानते हैं कि उन्हें फोर्ड फाउंडेशन से पैसे मिलते थे और इसमें आरएसएस भी शामिल था।'
भारत तक कैसे पहुंचती है अमेरिकी मदद?
अमरिकी एजेंसी USAID दुनिया में 4 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है। इसका मकसद वैश्विक स्तर पर मदद करना है। अमेरिका भारत को कंसोर्टियम फॉर इलेक्शंस एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) नाम की संस्था को दिया गया था। इस संस्था का पैसा 3 अलग-अलग NGO को दिया गया। NDI, IRIऔर ANFEL को पैसे मिले। वहां से भारत के IFSL को पैसे मिले। भारत में ये पैसे सामाजिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों को दिए गए। किसे इसका लाभ मिला, यह सार्वजनिक नहीं किया गया है।
USAID का काम क्या है?
USAID भारत सरकार, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs), निजी कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर काम करता है जिससे सतत विकास और समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके। USAID 100 देशों के लिए जारी होता है। वैश्विक स्वास्थ्य, वैश्विक स्थिरता, मानवीय मदद महिलाओं के विकास के लिए इससे मिलने वाली राशि खर्च होती है।
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