संसद के दोनों सदनों से वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) और तेलगू देशम पार्टी (TDP) दोनों नेताओं के सहयोग से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार यह बिल पास कराने में सफल हुई है। दोनों दल, अल्पसंख्यक हितों की बात करते हैं, भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व से अलग उनकी सेक्युलर राजनीति है। चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार दोनों की छवि सेक्युलर नेता की रही है, अब वक्फ संशोधन विधेयक पर नरेंद्र मोदी सरकार का साथ देकर, दोनों आलोचनाओं के केंद्र में हैं। दोनों दलों के कुछ नेताओं ने इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। अल्पसंख्यक नेता नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के इस फैसले से बहुत खुश नहीं हैं। जेडीयू के दो नेताओं ने तो नाराज होकर पार्टी ही छोड़ दी है
पूर्वी चंपारण जिले के नेता मोहम्मद कासिम अंसारी ने पार्टी छोड़ दी है। कई दूसरे नेताओं ने भी पार्टी छोड़ने की धमकी दी है। नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में भी वक्फ पर उनके रुख की वजह से कई अल्पसंख्यक नेता नहीं पहुंचे थे। टीडीपी नेताओं ने विधेयक के कुछ प्रस्तावों पर आपत्तियां जताई थीं, जिन पर सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने तर्क दिया है कि उनकी चिंताओं का समाधान किया जाएगा।
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समर्थकों को नाराज कर गए नीतीश-चंद्रबाबू!
बिहार में जेडीयू और आंध्र प्रदेश में टीडीपी के लिए अल्पसंख्यक वोट बेहद अहम हैं। बीजेपी के सहयोगी दल होने के बाद भी नीतीश कुमार की छवि हिंदुत्ववादी नेता नहीं, सामाजवादी नेता की ही रही है। टीडीपी सांसदों ने बुधवार को लोकसभा में विधेयक का समर्थन किया और सरकार से वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान में एक बदलाव लाने की अपील की। जेडीयू ने पूरी तरह से विधेयक का समर्थन किया। दोनों पार्टियों की ओर से कहा गया है कि वे मु्स्लिम समुदाय का ध्यान रखेंगे, उनके फैसले, अल्पसंख्यक हितों के अनुकूल हैं।
जेडीयू नेताओं ने जाहिर की नाराजगी
गुरुवार को जेडीयू के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने सवाल उठाया है। विधेयक पर चर्चा करने वाली संसद की संयुक्त समिति के समक्ष कई मुस्लिम संगठनों की ओर से की गई सिफारिशों को अनदेखा क्यों किया गया। रसूल बलियावी ने कहा, 'धर्मनिरपेक्ष और सांप्रदायिक दोनों ताकतें बेनकाब हो गई हैं। एदारा-ए-शरिया ने पैनल, पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार और नायडू को पत्र लिखकर कहा था कि विधेयक का मसौदा तैयार करते वक्त मुस्लिम संस्थाओं के सुझावों पर विचार नहीं किया गया।'
रसूल बलियावी ने एदारा-ए-शरिया के बैनर तले विरोध प्रदर्शन शुरू करने की भी धमकी दी है। उन्होंने कहा, 'हम विधेयक के बारीक विवरणों का अध्ययन करेंगे और इसके खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे।'
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इमारत-ए-शरिया ने नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया था। इस संगठन ने भी वक्फ पर नीतीश कुमार के रुख को लेकर आपत्ति जताई थी। जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने कहा, 'पिछले साल अगस्त में जब पार्टी ने इसका समर्थन करने का फैसला किया था, तब भी मैंने अपना विरोध दर्ज कराया था। मैं अभी भी इस विधेयक के खिलाफ हूं।'
जेडीयू नेता कासिम अंसारी ने अपने इस्तीफा में लिखा, 'मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि हमारे जैसे लाखों भारतीय मुसलमानों को अटूट विश्वास था कि आप एक धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के ध्वजवाहक हैं। अब यह भरोसा टूट गया है। JDU के रुख से हमारे जैसे लाखों समर्पित भारतीय मुसलमान और कार्यकर्ता गहरे सदमे में हैं।'
TDP नेताओं ने क्या कहा?
आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अब्दुल अजीज टीडीपी के सबसे बड़े नेताओं में शुमार हैं। उन्होंने कहा, 'कोई भी राज्य वक्फ बोर्ड इस विधेयक से खुश नहीं हो सकता क्योंकि यह ताकतों को कम कर रहा है। हमें वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने जैसे कुछ प्रावधानों पर भी आपत्ति है। चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार सुबह हमें आश्वासन दिया कि बोर्ड में किसी भी गैर-मुस्लिम को शामिल नहीं किया जाएगा।'
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TDP ने जमकर किया मंथन
संसद में विधेयक पेश किए जाने से एक दिन पहले टीडीपी नेताओं ने मंथन किया था। पार्टी ने वक्फ में गैर मुस्लिमों को शामिल करने के मामले में बदलाव की मांग की थी। लोकसभा में अपने भाषण के दौरान टीडीपी ने कहा कि यह राज्य सरकारों के विकल्प पर छोड़ा जाएगा।