इंडिया गठबंधन से पूरी तरह से बाहर हुई AAP? क्या है पार्टी का रुख
राजनीति
• NEW DELHI 04 Jun 2025, (अपडेटेड 04 Jun 2025, 10:47 PM IST)
आम आदमी पार्टी ने अपना रुख साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस और बीजेपी जैसे बड़े दलों में से किसी के भी साथ नहीं है। पार्टी अपनी आगे की रणनीति पर काम कर रही है।

इंडिया गठबंधन। Photo Credit- PTI
साल 2014 से ही केंद्र की सत्ता पर काबिज मजबत एनडीए का मुकाबल करने के लिए 2024 लोकसभा चुनाव से पहले 'इंडिया गठबंधन' का गठन किया गया। इस विपक्षी गठबंधन ने बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को तगड़ी फाइट दी और बीजेपी को अकेले अपने दम पर सरकार बनाने से रोक दिया। लेकिन लोकसभा चुनाव के एक साल बीतते-बीतते इंडिया गठबंधन में दरारा आ गई है। यह दरार आई है आम आदमी पार्टी की वजह से।
पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने के लिए विपक्ष की सभी पार्टियां केंद्र सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही थीं। विपक्ष की मांग पर एनडीए सरकार ने कोई खास तवज्जो नहीं दिया। संसद का विशेष सत्र बुलाने और मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए इंडिया गठबंधन ने 3 जून को दिल्ली में एक हाई लेवल बैठक की। इस बैठक में 16 पार्टियों के नेताओं ने भाग लिया लेकिन इसमें इंडिया ब्लॉक में मतभेद सामने आ गए।
बैठक में शामिल नहीं हुई AAP
दरअसल, मंगलवार को हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हुई। आम आदमी पार्टी ने इंडिया ब्लॉक से खुद को अलग करते हुए कहा कि विपक्षी समूह का गठन केवल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए किया गया था। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी और कांग्रेस ने एक गुप्त और भ्रष्ट सौदा किया हुआ है।
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बैठक में विपक्ष की मांगें
सभी 16 राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संयुक्त रूप से एक विशेष संसद सत्र की मांग की। विपक्ष का कहना है कि उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सरकार को जवाबी कार्रवाई करने के लिए अपना पूरा समर्थन दिया था। विपक्ष कह रहा है कि एक विशेष संसद सत्र बुलाया जाए, जिसके माध्यम से तीनों सेनाओं का धन्यवाद किया जा सके और सरकार इस पूरे मामले पर अपनी बात रख सके।
AAP का बीजेपी-कांग्रेस पर निशाना
विपक्षी बैठक से नदारद रहने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने एक्स पर कहा, 'असली गठबंधन पर्दे के पीछे बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। राहुल गांधी वही बोलते हैं जिससे मोदी को राजनीतिक लाभ हो। बदले में मोदी गांधी परिवार को जेल जाने से बचाते हैं। दोनों में से किसी की भी देशवासियों को स्कूल, अस्पताल, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने में रुचि नहीं है।'
आम आदमी पार्टी ने एक बयान जारी करके कहा, 'भारतीय राजनीति को साफ करने के लिए हमें पर्दे के पीछे की इस मिलीभगत को खत्म करना होगा। राहुल गांधी और मोदी मंच पर भले ही विरोधी नजर आते हों लेकिन सच्चाई यह है कि वे एक-दूसरे के राजनीतिक अस्तित्व की गारंटी बन गए हैं। कांग्रेस की कमजोर राजनीति बीजेपी को ताकत देती है और बीजेपी का शासन कांग्रेस के भ्रष्टाचार को छुपाता है।'
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बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी पार्टी
पार्टी ने कहा कि इंडिया ब्लॉक का गठन खास तौर पर 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए किया गया था। इस गठबंधन की बदौलत विपक्षी दलों को 240 सीटें मिलीं। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अनुराग ढांडा ने इस बात पर जोर दिया कि आम आदमी पार्टी के मामले में इंडिया गठबंधन ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है और पार्टी अब इंडिया ब्लॉक का हिस्सा नहीं है। ढांडा ने कहा, 'AAP हर राज्य का चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। हम इस साल के अंत में बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।'
पार्टी का रुख साफ
ढांडा ने साफ करते हुए कहा, 'हालांकि, संसद में हमारे सांसद देश के लिए सबसे बेहतर स्थिति के आधार पर विपक्ष का समर्थन करेंगे और हमारे सांसद लोकसभा और राज्यसभा दोनों में उसी के अनुसार मतदान करेंगे।' बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन के साझेदार होने के बावजूद भी शुरू से रिश्ते खट्ट ही रहे हैं। दोनों दलों में चाहे लाकसभा हो या राज्य विधानसभा के चुनाव, सीट बंटवारे को लेकर कभी बेहतर तालमेल देखने को नहीं मिला। कांग्रेस की दिल्ली इकाई की ओर से गठबंधन के लिए काफी विरोध के बाद, दोनों दलों ने आखिरकार दिल्ली, गुजरात और हरियाणा में लोकसभा चुनाव साथ में मिलकर लड़ा लेकिन पंजाब में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ लड़े।
वहीं, पिछले साल के अंत में लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा के चुनाव हुए। दोनों दलों के बीच विधानसभा चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बनी, जिसकी वजह से 'आप' और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़े। यही स्थिती दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिली। चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। चुनाव बाद नतीजे आने के बाद आम आदमी पार्टी बुरी तरह से हार गई। इस हार के पीछे कहीं ना कहीं दोनों पार्टियों का एक साथ नहीं लड़ना था।
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