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उत्तराखंड है एक धाम लेकिन क्यों मिलता है 4 धामों का पुण्य?

उत्तराखंड एक धाम नहीं, अपने आप में संपूर्ण 4 धाम है। यहां यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा, जो श्रद्धालु पूरी कर लेते हैं, उन्हें चारधाम यात्रा का ही पुण्य मिलता है।

Badrinath Dham

चारधामों में से एक धाम बद्रीनाथ धाम है। (इमेज क्रेडिट- www.badrinath-kedarnath.gov.in)

उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहते हैं। सनातन धर्म के 4 छोटे धाम, इस पावन भूमि पर हैं। मान्यता है कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मिलकर, एक धाम बनाते हैं। जो लोग चारधाम की यात्रा न कर पाएं, वे अगर इन्हीं धामों की यात्रा कर लें तो उनकी धर्म यात्रा पूर्ण मानी जाती है। पंडित मायेश द्विवेदी कहते हैं कि उत्तराखंड की यह पावन यात्रा आपको सांसारिक पापों से मुक्त करती है और जीवन को नई दिशा देती है। 


उत्तराखंड की इस पावन यात्रा में कई पड़ाव आते हैं। कई छोटे-बड़े पौराणिक मंदिरों से श्रद्धालु होकर गुजरते हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यह यात्रा, बेहद कठिन है। यात्रा के दृश्य ऐसे हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि भक्ति का यह संसार अलौकिक है और बिना कठिन साधना के ईश्वरीय राह नहीं मिलती है। जब आप उत्तराखंड के इन चारधामों की ओर बढ़ते हैं तो राह में कई अन्य पावन धाम भी आते हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे कुछ दर्शनीय स्थल भी हैं, जहां श्रद्धालु स्नान करके आगे की यात्रा की शुरुआत करते हैं। 


कहां से शुरू होती है चारधाम यात्रा?


यमुनोत्री धाम
चारधाम यात्रा की शुरुआत, उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री मंदिर से होती है। यमुनोत्री, यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यमुनोत्री धाम में तीन प्रमुख मंदिर हैं। यमुनोत्री मंदिर, दिव्य शिला और सूर्य कुंड। यहां के दर्शनों के बाद भक्त गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। 

यमुनोत्री धाम. (फोटो क्रेडिट- www.uttarakhandtourism.gov.in)
यमनुत्री धाम. फोटो क्रेडिट- उत्तराखंड टूरिज्म

 


गंगोत्री धाम
गंगोत्री धाम, गंगा का उद्गम स्थल है। यहां गंगोत्री मंदिर है। यह धाम, उत्तराखंड के श्रद्धालुओं का दूसरा पड़ाव है। यहां गंगोत्री मंदिर, गौमुख ग्लेशियर और भागीरथ शिला है।यहां के दर्शनों के बाद भक्त, केदारनाथ धाम की यात्रा करते हैं।


केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम, भगवान शिव का धाम है। यह भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यमुोत्री और गंगोत्री के बाद भक्त केदारनाथ आते हैं। केदारनाथ की चढ़ाई बेहद कठिन है। यहां केदारनाथ मंदिर, वासुकी ताल और गौरीकुंड मंदिर दर्शनीय हैं। 

केदारनाथ धाम. (इमेज क्रेडिट- उत्तराखंड टूरिज्म)

बद्रीनाथ धाम 
बद्रीनाथ धाम, चारधाम यात्रा का अंतिम पड़ाव है। यह मंदिर भगवान विष्णु का है। यह उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का अंतिम धाम है। यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के बाद ही इस धाम की यात्रा करनी चाहिए। यहां का मुख्य आकर्षण बद्रीनाथ मंदिर, तप्त कुंड और नीलकंठ है।


क्या है उत्तराखंड के इन धामों की पौराणिक मान्यता?
गंगा और यमुना, सनातन संस्कृति की पवित्र नदिया हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु के पैरों के नख से निकलकर गंगा, भगवान शिव की जटाओं में समाहित हुई हैं। गंगा के धरती पर अवतरण की भी भूमि यही है। यमुना नदी, वह नदी है जिसने भगवान कृष्ण को जन्मते देखा है, उनकी संगिनी रही है। ऐसे में इनके उद्गम स्थल को देखने भर से पुण्य मिलता है। पंडित मायेश द्विवेदी बताते हैं कि यहां भगवान विष्णु के अवतार भगवान नर और नारायण ने गंधमादन पवर्त पर तपस्या की थी। बद्रीनाथ धाम को साक्षात बैकुंठ भी कहते हैं। भगवान शिव, केदारनाथ में विश्राम करते हैं। यह ईश्वर की प्रिय भूमि है। ऐसी मान्यता है कि यहां आने से लोगों को जन्म-मरण के बंधनों से मुक्ति मिल जाती है। 

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