अबूधाबी में बने भव्य बीएपीएस हिंदू मंदिर का गुरुवार को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने दौरा किया। इसे उन्होंने आध्यात्मिकता और वास्तुकला का अद्भुत संगम बताते हुए भारत-यूएई की सांस्कृतिक साझेदारी का प्रतीक कहा है। इस दौरान मंदिर प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारदास ने कहा कि जिस मंदिर की कल्पना कभी असंभव मानी जाती थी, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन और अबू धाबी शासकों के सहयोग से साकार हो पाया है।
अबू धाबी का भव्य बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर खाड़ी देशों का सबसे बड़ा मंदिर है। इसे 27 एकड़ में बनाया गया है, जिनमें से 13 एकड़ पर मुख्य मंदिर और बाकी क्षेत्र में पार्किंग और अन्य सुविधाएं विकसित की गई हैं। मंदिर का निर्माण कार्य 2019 से शुरू हुआ था। दुबई में पहले से तीन मंदिर मौजूद हैं लेकिन अबू धाबी का यह पहला हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है।
जमीन और लागत
मंदिर निर्माण के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सरकार ने दान में दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस परियोजना पर अब तक करीब 700 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसमें लगभग 18 लाख ईंटों का इस्तेमाल किया गया है।
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मंदिर की खासियत
मंदिर की भव्यता इसके शानदार शिल्प और नक्काशी में झलकती है। इस मंदिर में राजस्थान से लाए गए बलुआ पत्थरों और संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर की ऊंचाई 32.92 मीटर है, जिसमें दो गुम्बद, सात शिखर, 12 समरन और 402 स्तंभ बनाए गए हैं। सात शिखरों को यूएई के सात अमीरात का प्रतीक माना जा रहा है।
दीवारों पर की गई नक्काशी में रामायण, महाभारत, शिवपुराण और भागवतम की कथाएं बनाई गई हैं। साथ ही स्वामीनारायण की जीवनी भी दर्शाई गई है। मंदिर परिसर में बना झरना गंगा, यमुना और सरस्वती का प्रतीक माना जाता है।
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तकनीक और निर्माण शैली
मंदिर का ढांचा प्राचीन खजुराहो मंदिरों की तर्ज पर तैयार किया गया है। दावा किया जा रहा है कि पिछले 700 वर्षों में इस शैली में कोई बड़ा मंदिर नहीं बना। मंदिर के निर्माण में स्टील, लोहे या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ, बल्कि पूरी तरह पत्थरों और प्राकृतिक चीजों से इसे खड़ा किया गया है। मंदिर की नींव और ढांचे में 350 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं, जो भूकंप, तापमान और दबाव जैसी जानकारी देंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मंदिर हजार साल तक मजबूती से खड़ा रहेगा।
बीएपीएस का इतिहास
बीएपीएस (बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था) की औपचारिक शुरुआत 1907 में शास्त्रीजी महाराज ने की थी। हालांकि, इसकी नींव 18वीं सदी में भगवान स्वामीनारायण (सहजानंद स्वामी) ने रखी थी, जिनका मूल सिद्धांत व्यावहारिक आध्यात्मिकता था। अयोध्या के छपिया गांव में जन्मे सहजानंद स्वामी का जन्म रामनवमी के दिन हुआ था। आज दुनियाभर में बीएपीएस के 3850 से अधिक केंद्र सक्रिय हैं। 1971 के बाद संस्था ने स्वामी महाराज के नेतृत्व में वैश्विक स्तर पर व्यापक विस्तार किया।