अपरा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। ‘अपरा’ शब्द का अर्थ होता है- जो अपार फल देने वाली हो। भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत विशेष रूप से पापों के नाश, पुण्य की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसे 'अचला एकादशी' भी कहा जाता है।
अपरा एकादशी 2025 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 मई रात्रि 01 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 23 मई को ही रात्रि 10 बजकर 25 मिनट पर ही हो जाएगा। ऐसे में अपरा एकादशी व्रत का पालन 23 मई 2025, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। साथ ही व्रत पारण 24 मई की सुबह किया जाएगा।
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अपरा एकादशी पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस व्रत का महत्व बताया था। उन्होंने कहा कि इस व्रत को श्रद्धा से करने वाला मनुष्य जीवन में की गई अनेक गलतियों और पापों से मुक्त हो जाता है, जैसे – झूठ बोलना, छल-कपट करना, अन्याय करना आदि। जो व्यक्ति अपरा एकादशी का व्रत करता है, उसे ब्रह्महत्या, झूठी गवाही, गुरु के अपमान आदि महापापों से भी छुटकारा मिल सकता है।
अपरा एकादशी व्रत का महत्व
इस व्रत को करने से व्यक्ति के पूर्व जन्म और इस जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत दान, यज्ञ, तीर्थस्नान और तपस्या से भी अधिक पुण्य प्रदान करता है। इसका फल युद्ध में विजय, ज्ञान की प्राप्ति, दरिद्रता से मुक्ति और अंत में मोक्ष के रूप में मिलता है। यह व्रत उन लोगों के लिए भी विशेष फलदायक है जो अपने जीवन में बार-बार असफलताओं से जूझ रहे हैं।