हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत प्रत्येक मास के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। बता दें कि एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
बता दें कि मई महीने के अंत में अपरा एकादशी व्रत 23 मई के दिन रखा जाएगा। मान्यता है कि इस एकादशी व्रत का पालन करने से अपार फल की प्राप्ति होती है। बता दें कि अपरा एकादशी के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक है। आइए जानते हैं, इस व्रत से जुड़े नियम और महत्व।
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अपरा एकादशी नियम
शास्त्रों में बताया गया है कि अपरा एकादशी के दिन पूजा-पाठ के साथ-साथ साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसलिए सुबह स्नान-ध्यान से पहले घर और पूजा-स्थल की साफ-सफाई करें। साथ ही पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
एकादशी व्रत के दिन खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए। इस दिन प्याज-लहसुन और तामसिक भोजन का सेवन भूल कर भी नहीं करें। इससे पूजा का फल नष्ट हो जाता है। साथ ही मांस-मदिरा का सेवन भी वर्जित है। एक मान्यता यह भी है कि एकादशी व्रत के दिन चावल का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
एकादशी व्रत के दिन तमस यानी गुस्सा नहीं करना चाहिए, इससे पूजा का प्रभाव कम हो जाता है। साथ ही इस दिन किसी के भी प्रति अपशब्द और बुरे विचार नहीं रखने चाहिए। ऐसा करने से भी पूजा फल पर प्रभाव पड़ता है।
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एकादशी के दिन सुबह से रात्रि तक नाम जप करना चाहिए और भजन कीर्तन में लीन रहना चाहिए। साथ ही इस विशेष दिन पर विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से भी सभी परेशानियां दूर हो जाती है। साथ ही पूजा में तुलसी पत्र का विशेष प्रयोग करें, जो भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। हालांकि, तुलसी के पत्ते व्रत से एक-दो दिन पहले ही तोड़ लें। एकादशी के दिन तुलसी को छूना और पत्ते तोड़ना निषेध है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।