logo

ट्रेंडिंग:

आषाढ़ महीने में ‘योगनिद्रा’ में चले जाते हैं श्री हरि, यहां सबकुछ जानें

आषाढ़ महीना भगवान विष्णु के लिए समर्पित है। आइए जानते हैं आषाढ़ महीने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें और पूजा महत्व।

Image of Bhagwan Vishnu

आषाढ़ महीने में भगवान विष्णु की उपासना है महत्वपूर्ण।(Photo Credit: Creative Image)

आषाढ़ माह हिंदू धर्म में बेहद पूज्य और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना वर्षा ऋतु की शुरुआत के साथ जुड़ा है और पवित्र चतुर्मास काल का आरंभ भी इसी महीने में माना जाता है। इस समय, पूजा-पाठ, व्रतमहोत्सव और धार्मिक गतिविधियां विशेष रूप से बढ़ जाती हैं।

आषाढ़ माह: देवों का विश्रामकाल

आषाढ़ माह में विष्णु जी को ‘योगनिद्रा’ काल के रूप में माना गया है- इसलिए कुछ विद्वानों ने इसे देवझुके या देवविश्रामकाल भी कहा है। इसी महीने से शुरू होता है चतुर्मास, जो आषाढ़ एकादशी से कार्तिक एकादशी तक चलता है—इसमें शुद्ध जीवन-चर्या, तपस्या, सत्संग और उपवास का विशेष महत्व होता है।

मुख्य व्रत और त्योहार

योगिनी एकादशी (21 जून 2025)

इस दिन कृष्ण पक्ष की एकादशी मनाई जाती है, इसे ‘योगिनी’ एकादशी भी कहते हैं।


पूजा पढ़ने से कई ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है और सारे पाप क्षीण हो जाते हैं।


इस व्रत का व्रत मुहूर्त सुबह 07:18 से शुरू होकर 22 जून की सुबह 04:27 तक चलता है।

 

यह भी पढ़ें: पूर्णिमा तिथि पर भगवान शलिग्राम की पूजा में इन बातों का रखें ध्यान


पूजा विधि में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान, पीले वस्त्र, तुलसी, पंचामृत, फल-फूल, विष्णु स्तुति, मंत्रजप और कथा सुनना शामिल है।


यह व्रत मोक्ष का मार्ग भी माना गया है—जो मनोकामना पूरी करने और दुख-मुक्ति या धन-समृद्धि पाने के लिए किया जा सकता है।

जगन्नाथ रथयात्रा (27 जून 2025)

यह पर्व पूरी, ओडिशा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा की यात्रा का प्रतीक है।


यह रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकलती है और नवनिर्मित रथों पर तीनों देवताओं को विशाल दर्शकों के समक्ष ले जाया जाता है, जो नौ दिन तक चलता है।


यह यात्रा भक्ति, एकता और पारम्परिक संस्कृति का प्रतीक है—भरत के सभी वर्गों के लोग एकत्रित होते हैं और रथ को खींचकर भाग लेते हैं।


यह उत्सव भौतिक और आध्यात्मिक रूप से समाज को जोड़ता है—जहां भक्त भगवान का आंचल पकड़ने को मोक्ष का मार्ग मानते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण तिथियां (जून 2025)

14 जून: संकष्टी गणेश चतुर्थी


15 जून: मिथुन संक्रांति (ग्रह-परिवर्तन की योग)


23 जून: प्रदोष व्रत और मास शिवरात्रि


25 जून: आषाढ़ अमावस्या – पितृ तर्पण, श्राद्ध


26 जून: गुप्त नवरात्रि आरंभ और चंद्र दर्शन

साधना व व्रत का आध्यात्मिक महत्व

चतुर्मास अभ्यास

इस महीने में व्रत, दान और तपस्या विशेष सत्कार्य माना है। मन तथा जीवन में अनुशासन, संयम और शांति का विकास होता है।

 

यह भी पढ़ें: यहां पूरी होती है हर मनोकामना, जानिए टपकेश्वर महादेव के बारे में

गुप्त नवरात्रि

आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि में देवी के गुप्त रूपों की साधना की जाती है, जिन्हें शक्ति व तंत्र साधना में मान्य माना गया है।

देवशयनी एकादशी (06 जुलाई)

इस दिन विष्णुजी योग निद्रा में चले जाते हैं और चार माह तक त्रिकाल में भजन, सत्कर्म साधना को विशेष फलदायी माना जाता है।

गुरु पूर्णिमा (10 जुलाई)

यह दिन गुरु का सम्मान करने और ज्ञान की आराधना हेतु है, जिसे साधु-संतों और विद्वानों का विशेष समर्पण माना गया है।

Related Topic:#Bhagwan Vishnu

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap