logo

ट्रेंडिंग:

चौरासी योनियों से मुक्त होने का मार्ग, ‘अयोध्या 84 कोसी परिक्रमा’

हिंदू धर्म में चौरासी कोस परिक्रमा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं अयोध्या 84 कोस परिक्रमा से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें।

Symbolic picture of devotees circumambulating the religious place

धार्मिक स्थल की परिक्रमा करते हुए श्रद्धालुओं का सांकेतिक चित्र। (Pic Credit: Freepik)

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ से साथ-साथ परिक्रमा का भी अपना एक विशेष महत्व है। परिक्रमा में किसी पवित्र स्थान, मूर्ति, मंदिर, या देवता के चारों ओर घूमकर पूजा-अर्चना की जाती है और इसका वैदिक नाम प्रदक्षिणा भी है। इनमें 84 कोस परिक्रमा को विशेष महत्व दिया जाता है। बता दें कि देशभर में कई ऐसे तीर्थ स्थल हैं, जिनके 84 कोस परिक्रमा की जाती है। इसमें अयोध्या 84 कोस परिक्रमा, मथुरा-वृंदावन 84 कोस परिक्रमा, कुरुक्षेत्र 84 कोस परिक्रमा, चित्रकूट 84 कोस परिक्रमा, नैमिषारण्य 84 कोस परिक्रमा शामिल हैं।

 

अयोध्या चौरासी कोस परिक्रमा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि 84 कोसी परिक्रमा का आरंभ त्रेतायुग में हुआ था। इस परिक्रमा में अयोध्या समेत अंबेदकर नगर, बाराबंकी, बस्ती और गोंडा जिले से होते हुए अयोध्या धाम एक चक्कर लगाया जाता है और रामायण काल से जुड़े देवस्थलों का दर्शन किया जाता है। इसे इसलिए चौरासी कोस परिक्रमा कहा जाता है, क्योंकि इसका दायरा लगभग 275 किलोमीटर (84 कोस) है। इस परिक्रमा मार्ग में भगवान श्री राम, माता जानकी, लक्ष्मण जी, हनुमान जी समेत विभिन्न देवी-देवताओं और ऋषियों के तीर्थ स्थल हैं, जिनका संबंध रामायण काल से जुड़ता है।

कब शुरू होती है अयोध्या 84 परिक्रमा?

अयोध्या में 3 तरह की परिकरिमा का आयोजन होता है- 8 कोसी परिक्रमा जो लगभग 15 किलोमीटर लंबी होती है, 14 कोसी परिक्रमा जो 42 किलोमीटर और सबसे लंबी 84 कोसी परिक्रमा जो 275 किलोमीटर लंबी है। अयोध्या 84 कोसी परिक्रमा का आयोजन हर साल राम नवमी और चैत्र पूर्णिमा के बीच होता है। इस परिक्रमा को पूरा करने में 7-10 दिन का समय लगता है, लेकिन यह समय इससे भी अधिक भी हो सकता है। विभिन्न धार्मिक संगठन और साधु-संत इस परिक्रमा का आयोजन करते हैं।

परिक्रमा मार्ग किन-किन जिलों से गुजरता है?

 

अयोध्या 84 कोस परिक्रमा मार्ग में 5 जिले आते हैं, जिसमें अयोध्या जिला से परिक्रमा की शुरुआत होती है। अयोध्या में भगवान श्री राम की जनस्थली है, साथ ही यहां हनुमान गढ़ही मंदिर और कनक भवन जैसे तीर्थ स्थलों के दर्शन होते हैं। इसके साथ यह परिक्रमा यात्रा अंबेडकर नगर जिले से गुजरती है, जहां श्रवण क्षेत्र स्थित है। इस क्षेत्र से जुड़ी मान्यता है कि इसी क्षेत्र में राजा दशरथ के हाथों श्रवण कुमार की हत्या हो गई थी। परिक्रमा यात्रा बाराबंकी जिले से भी गुजरती है, जिसका प्रमुख महत्व भगवान श्री राम के वनवास से जुड़े हुए प्रसंगों से है।

 

84 कोस परिक्रमा बस्ती जिले से भी जाती है, जहां रामरेखा मंदिर स्थित है। इस स्थान से जुड़ी मान्यता है कि इसी स्थान पर वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने विश्राम किया था। बस्ती जिले और इसके आस-पास वशिष्ठ मुनि से जुड़े स्थान हैं, जो रामायण की कथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके साथ यह यात्रा गोंडा जिले से होकर गुजरती है, जहां शृंग ऋषि के आश्रम के दर्शन होते हैं, जिन्होंने राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ का आयोजन किया था। 

अयोध्या 84 कोस परिक्रमा मार्ग में प्रमुख तीर्थ स्थल

चौरासी कोस परिक्रमा के दौरान अनेक पवित्र स्थान आते हैं, जिनका उल्लेख रामायण और अन्य पौराणिक कथाओं में मिलता है। इसमें सबसे पहले भगवान श्री राम की जन्मस्थली है। साथ ही उनके जन्मस्थान के निकट हनुमानगढ़ी और कनक भवन के दर्शन होते हैं। इसके साथ बाद अयोध्या से लगभग 22 किलोमीटर दूर भरतकुंड स्थित है, जहां भरत जी ने श्री राम के वनवास के दौरान तपस्या की थी। इसके साथ इस मार्ग में नंदिग्राम धाम के भी दर्शन होते हैं, जहां भरत जी 14 वर्षों तक श्री राम के खड़ाऊं रखकर 14 वर्षों तक अयोध्या का शासन किया था। 

 

84 कोस परिक्रमा के दौरान चित्रकूट धाम के दर्शन होते हैं, जहां रामायण काल में भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने समय बिताया था। इस मार्ग में गुप्तार घाट भी आता है, जो सरयू नदी के किनारे स्थित है। मान्यता है कि इसी स्थान में भगवान श्री राम ने अपनी लीला समाप्त कर सरयू में जल समाधि ली थी। इसके साथ इस परिक्रमा में सीता कुंड, सूर्यकुंड, रामकुंड, जनमेजेय कुंड, वाराही देवी मंदिर जैसे, पवित्र स्थलों के दर्शन होते हैं और यहां पड़ाव भी डाला जाता है। 

अयोध्या चौरासी कोस परिक्रमा का महत्व

अयोध्या चौरासी कोस परिक्रमा का उल्लेख रामचरितमानस और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इसे भगवान राम के जीवन और आदर्शों का अनुसरण करने का प्रतीक माना जाता है। इस परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु भगवान राम के जीवन से जुड़े स्थानों पर जाकर उनकी कथा और महत्व को अनुभव करते हैं।

 

मान्यता है कि परिक्रमा के दौरान पवित्र नदियों और घाटों पर स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है और सभी पाप कष्ट दूर हो जाते हैं। यात्रा के दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते हैं और साधु संतों से सत्संग में भाग लेते हैं, जिससे भक्ति और श्रद्धा बढ़ती है। 84 कोस परिक्रमा से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस परिक्रमा को पूरा करने से 84 योनि के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं।

84 कोस परिक्रमा पर सरकार का बड़ा कदम

84 कोस परिक्रमा को सुगम बनाने के लिए सरकार ने वर्ष 2021 में इसे राष्ट्रीय राजमार्ग 227बी घोषित किया था। इस 3350 करोड़ के प्रोजेक्ट में अयोध्या में करीब 80 किमी रिंग रोड और 275.35 किमी चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग नैशनल हाइवै का निर्माण जारी है। साथ ही इस परिक्रमा मार्ग में आने वाले तीर्थ स्थलों को भी विकसित किया जा रहा है, जहां विभिन्न सुविधाएं दी जाएंगी। इसके साथ 84 कोसी परिक्रमा मार्ग में हर 10 किमी पर एक विश्राम ग्रह बनाया जाएगा। जहां श्रद्धालुओं को भोजन और विश्राम के लिए जगह दी जाएगी।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap