उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम के कपाट, श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं। मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा के साथ कपाट खुले तो पूरे परिसर में बद्रीनाथ के जयकारे गूंज उठे। वहां की स्थानीय महिलाओं ने लोकगीत गाए। गढ़वाल राइफल्स के बैंड ने पारंपरिक धुनें बजाईं और चारधाम यात्रा की आधिकारिक शुरुआत हो गई। मंदिर में 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु बद्रीनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे थे।
अब श्रद्धालु अगले 6 महीने तक भगवान बद्रीनाथ के दर्शन कर सकेंगे। भगवान इस धाम में बद्रीविशाल रूप में विराजते हैं। मंदिर के खुलने की औपचारिक प्रक्रिया 3 मई से ही शुरू हो गई थी। बद्रीविशाल की पालकी, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, कुबेर और उद्धव की उत्सव डोली 3 मई को योगध्यान बदरी मंदिर, पांडुकेश्वर से बद्रीनाथ धाम पहुंची थी।
यह यात्रा पारंपरिक पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों के साथ पांडुकेश्वर से शुरू होती है। जब सर्दी दस्तक देती है, तब इन पवित्र डोलियों को पांडुकेश्वर में रखा जाता है। यात्रा मार्ग में विष्णुप्रयाग, लामबगड़, और हनुमानचट्टी जैसे स्थानों पर डोलियों का स्वागत और पूजा होती है।
बद्रीनाथ धाम की धार्मिक मान्यता क्या है? भागवत महापुराण के मुताबिक बद्रीनाथ, नर और नारायण की तपस्थली है। यहां भगवान विष्णु नर-नारायण के रूप में विराजते हैं। यह विशालपुरी है। भगवान विष्णु का यह सबसे बड़ा धाम है, इसलिए इसे विष्णुधाम भी कहते हैं। बद्रीनाथ मंदिर में चार भुजाओं वली काली पत्थर की बहुत छोटी मूर्तियां है। यहां भगवान श्री विष्णु पद्मासन की मुद्रा में विराजमान है। बद्रीनाथ धाम की स्थापना सतयुग में हुई थी। इस धाम का जिक्र, सभी प्रमुख धर्मग्रंथों में हैं।
#WATCH | Uttarakhand: Flower petals being showered on the devotees as portals of Shri Badrinath Dham opened for the devotees today. pic.twitter.com/N4pbh1nmlP
बद्रीनाथ धाम में और क्या खास है? बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु की मुख्य मंदिर के अलावा कई और स्थल हैं। मंदिर में ही नारायण, उद्वव, कुबेर और नारद की मूर्तियां हैं। मंदिर के पास एक कुंड है, जिसका जल हमेशा गरम रहता है।
जय श्री बदरी विशाल!
चारधामों में से एक, करोड़ों भक्तों की आस्था के केंद्र, भू-बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज वैदिक मंत्रोच्चार की दिव्य ध्वनि के मध्य, पूर्ण विधि-विधान के साथ भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं।
हवाई रूट से कैसे पहुंचे? अगर आप हवाई जहाज से आना चाहते हैं तो देहरादून जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पर आएं। यह बद्रीनाथ से 317 किलोमीटर दूर है। देहरादून एयर पोर्ट से बद्रीनाथ तक टैक्सी और बस सेवाएं चलती हैं।
ट्रेन से कैसे पहुंचे? ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून तीनों रेलवे स्टेशनों में से कहीं भी उतरिए। बद्रीनाथ से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेष है। यहां से धाम 297 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश से बद्रीनाथ की यात्रा, बस या टैक्सी के जरिए की जा सकती है।
सड़क से कैसे पहुंचे? बद्रीनाथ तक नेशनल हाइवे 58 जाती है। बद्रीनाथ और ऋषिकेश के बीच सरकारी बसें नियमित तौर पर चलती हैं।