बागनाथ मंदिर: भगवान शिव ने जहां दिए थे बाघ के रूप में दर्शन
धर्म-कर्म
• BAGESHWAR 04 Aug 2025, (अपडेटेड 04 Aug 2025, 10:41 PM IST)
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित बागनाथ मंदिर भगवान शिव का धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है।

बागनाथ मंदिर| Photo Credit: X handle/Anjana Sharma
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित बागनाथ मंदिर भगवान शिव का धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह राज्य का एकमात्र दक्षिणमुखी भगवान शिव का मंदिर है। इस मंदिर को मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि भी माना जाता है। बागनाथ मंदिर को पवित्र धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है। इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। हिमालय की गोद में बसा यह मंदिर आध्यात्मिक शांति, पौराणिक इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। मान्यताओं के अनुसार, स्कन्द पुराण में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है, जो इसकी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाता है।
बागनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि श्रद्धा, परंपरा और पौराणिकता का संगम है। यहां आने वाले श्रद्धालु केवल भगवान शिव के दर्शन ही नहीं करते हैं, बल्कि शांति, ऊर्जा और आस्था का अनुभव भी करते हैं। यह स्थान हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो अध्यात्म से जुड़ना चाहता है, जीवन में संतुलन पाना चाहता है और अपनी आत्मा को ईश्वर के करीब ले जाना चाहता है।
मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में हुआ था। जबकि मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 15वीं और 16वीं शताब्दी में चंद वंश के राजा लक्ष्मी चंद ने कराया था।
यह भी पढ़ें: भूमिजा या रावण की बेटी? सीता के जन्म से जुड़ी कहानियां क्या हैं
पौराणिक मान्यताएं
बागनाथ मंदिर की सबसे प्रमुख और प्राचीन मान्यता यह है कि भगवान शिव ने यहां ‘बाघ’ के रूप में दर्शन दिए थे। यही कारण है कि इस स्थान को ‘बागनाथ’ कहा गया है। एक अन्य कथा के अनुसार, अनादिकाल में मुनि वशिष्ठ अपने कठोर तपबल से ब्रह्मा जी के कमंडल से निकली सरयू जी को धरती पर ला रहे थे। उसी समय ब्रह्मकपाली पत्थर के पास ऋषि मार्कंडेय तपस्या में लीन थे। मुनि वशिष्ठ को मार्कण्डेय ऋषि की तपस्या भंग होने का डर सताने लगा। सरयू जी का जल इकट्ठा हो रहा था लेकिन सरयू जी आगे नहीं बढ़ सकीं। ऐसे में मुनि वशिष्ठ ने भगवान शिव की आराधना की।
मुनि वशिष्ठ की आराधना के बाद शिवजी बाघ और देवी पार्वती गाय का रूप धारण करके प्रकट हुईं। ऋषि मार्कंडेय तपस्या में लीन थे। गाय के रंभाने (चिल्लाने) से मार्कंडेय ऋषि की आंखें खुल गईं। ऐसे में वह बाघ से गाय को मुक्त कराने के लिए दौड़े, तभी बाघ ने भगवान शिव और गाय ने देवी पार्वती का रूप धारण कर लिया। इसके बाद पार्वती जी और भगवान शिव ने मार्कण्डेय ऋषि को इच्छित वर (वरदान) दिया और मुनि वशिष्ठ को आशीर्वाद दिया। इसके बाद सरयू जी आगे बढ़ गईं। इस पावन स्थल का उल्लेख स्कंद पुराण और कई अन्य धर्मग्रंथों में भी मिलता है।
यह भी पढ़ें: सावन का आखिरी सोमवार, क्या करें, क्या न करें? सब जानिए
धार्मिक मान्यताएं
कर्म और मोक्ष का स्थल: ऐसा विश्वास है कि यहां भगवान शिव के दर्शन करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्राद्ध और पिंडदान के लिए प्रसिद्ध: बागनाथ मंदिर संगम स्थल पर होने के कारण, यहां पिंडदान और तर्पण करने का विशेष महत्व है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए यहां परंपरागत विधि से कर्म किए जाते हैं।
भगवान शिव की कृपा स्थली: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है और बागनाथ मंदिर उन चंद मंदिरों में से एक है जहां भगवान शिव की शक्ति विशेष रूप से मानी जाती है। यहां की ऊर्जा, शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव हर भक्त करता है।
मंदिर की विशेषताएं
प्राचीन स्थापत्य कला: बागनाथ मंदिर का निर्माण 7वीं सदी का माना जाता है। इसका वास्तुशिल्प कुमाऊं की पारंपरिक शैली में है, जिसमें पत्थर की दीवारें, शिखर और लकड़ी की कलाकारी देखने को मिलती है।
सरयू और गोमती नदियों का संगम: यह मंदिर दो पवित्र नदियों सरयू और गोमती के संगम पर स्थित है। संगम का यह स्थल बहुत पवित्र माना जाता है। स्थानीय लोगों में ऐसी आस्था है कि यहां स्नान करने से पापों का नाश होता है।
शिवलिंग की स्थापना: मंदिर के गर्भगृह में प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है, जिसे बागनाथ के नाम से जाना जाता है। यह शिवलिंग चमत्कारी और जाग्रत माना जाता है।
मकर संक्रांति मेला: हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर यहां उत्तरायणी मेला लगता है, जो इस क्षेत्र का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव होता है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु यहां आकर गंगा स्नान करते हैं और भगवान बागनाथ के दर्शन करते हैं।
यह भी पढ़ें: पुत्रदा एकादशी: इस दिन रखा जाएगा श्रावण महीने का अंतिम एकादशी व्रत
यहां कैसे पहुंचें
नजदीकी रेलवे स्टेशन: बागेश्वर जिले का कोई अपना रेलवे स्टेशन नहीं है। सबसे नजदीकी स्टेशन काठगोदाम है, जो इस स्थान से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। काठगोदाम से टैक्सी या बस के जरिए बागेश्वर पहुंचा जा सकता है।
नजदीकी एयरपोर्ट: पंतनगर हवाई अड्डा, जो लगभग इस स्थान से 180 किलोमीटर दूर है। यहां से बागेश्वर के लिए टैक्सी या प्राइवेट गाड़ी की सुविधा मिलती है।
सड़क के रास्ते कैसे पहुंचें: बागेश्वर अच्छी सड़क कनेक्टिविटी से जुड़ा है। हल्द्वानी, अल्मोड़ा, नैनीताल और रानीखेत से यहां के लिए नियमित बसें और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। हिल ड्राइव करते हुए आप कुमाऊं की खूबसूरत वादियों से होते हुए बागेश्वर पहुंच सकते हैं।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap