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ईद-उल-अजहा: आज कुर्बानी की ईद, यूपी-दिल्ली तक अलर्ट, देशभर में जश्न

आज पूरे देश में बकरीद का पर्व उल्लास और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। मुस्लिम समुदाय सुबह ईद की विशेष नमाज अदा करता है, इसके बाद बकरी की कुर्बानी दी जाती है।

Bakrid 2025

बकरीद 2025, Photo Credit: PTI

बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो त्याग, आस्था और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार पैगंबर इब्राहीम अलैहि सलाम की उस घटना की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने का संकल्प लिया था। अल्लाह ने उनकी नीयत को स्वीकार करते हुए उनके बेटे की जगह एक दुम्बा भेजा, जिसे कुर्बानी के लिए पेश किया गया। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, बकरीद 12वें महीने 'जिल-हिज्जा' की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। 2025 में भारत में यह पर्व 7 जून को मनाया जा रहा है। यह त्योहार हज यात्रा के समापन का भी प्रतीक है, जो इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है।

 

बकरीद के दिन क्या होता है?

बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय सुबह की नमाज अदा करता है, जो आमतौर पर सूर्योदय के 15-20 मिनट बाद होती है। इसके बाद कुर्बानी की रस्म अदा की जाती है, जिसमें बकरी, भेड़, गाय या ऊंट की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है: एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को, दूसरा रिश्तेदारों और पड़ोसियों को, और तीसरा हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं। एक-दूसरे को 'ईद मुबारक' कहकर शुभकामनाएं देते हैं और विशेष व्यंजन बनाकर परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खाते हैं। 

 

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केवल कुर्बानी नहीं यह सीख देती ही बकरीद

बकरीद का महत्व केवल जानवर की कुर्बानी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपनी निजी इच्छाओं और अहंकार की कुर्बानी देने की गहरी सीख देता है। यह त्योहार हमें ईमानदारी, नीयत की पवित्रता और इंसानियत के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है। बकरीद हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा मुसलमान वही है जो हर हाल में अल्लाह पर भरोसा रखता है और दूसरों की मदद करने को अपना फर्ज समझता है।

 

बकरीद पर दिल्ली से यूपी तक क्या एडवाइजरी?

बकरीद 2025 के अवसर पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में प्रशासन और पुलिस ने शांति, सुरक्षा, और स्वच्छता बनाए रखने के लिए कई एडवाइजरी और दिशानिर्देश जारी किए हैं। 

 

दिल्ली में बकरीद 2025 के लिए एडवाइजरी
सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी पर प्रतिबंध: दिल्ली में सड़कों, गलियों, या किसी सार्वजनिक स्थान पर कुर्बानी करने पर सख्त पाबंदी है। कुर्बानी केवल निर्धारित स्थानों पर ही की जा सकती है।

स्वच्छता पर जोर: कुर्बानी के बाद अवशेषों को नालियों में न बहाने और गड्ढे में एकत्र कर मिट्टी से ढकने की सलाह दी गई है ताकि स्वच्छता बनी रहे।

सुरक्षा व्यवस्था: संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती की जाएगी। मस्जिदों और ईदगाहों के आसपास पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई जाएगी।

सोशल मीडिया पर सावधानी: सोशल मीडिया पर कुर्बानी से संबंधित पोस्ट या ऐसी सामग्री साझा करने से बचने की सलाह दी गई है, जो विवाद पैदा कर सकती हो।

 

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उत्तर प्रदेश (यूपी) में बकरीद 2025 के लिए एडवाइजरी:

  • कुर्बानी पर नियम
    गाय और ऊंट की कुर्बानी पर पूर्ण प्रतिबंध है। केवल अनुमत पशुओं की कुर्बानी निर्धारित स्थानों पर की जा सकती है।
  • सार्वजनिक स्थानों, सड़कों, या नालियों के पास कुर्बानी करने की अनुमति नहीं है।
  • मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लखनऊ में 12 बिंदुओं की एडवाइजरी जारी की, जिसमें पब्लिक प्लेस पर कुर्बानी न करने और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बरतने की अपील की गई।
  • सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ पढ़ने की अनुमति नहीं है। नमाज़ मस्जिदों या ईदगाहों में ही अदा की जाए।
  • शांति समिति की बैठकों में अधिकारियों ने सभी समुदायों से सौहार्दपूर्ण माहौल में त्योहार मनाने की अपील की है। संवेदनशील क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट और पुलिस बल तैनात रहेंगे।
  • कुर्बानी के बाद स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। कुछ क्षेत्रों में चूना और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जाएगा।
  • सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। कुर्बानी की रस्मों से संबंधित सामग्री पोस्ट करने से बचने की सलाह दी गई है।
  • यूपी पुलिस ने कई क्षेत्रों में फ्लैग मार्च किए और शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं।

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ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था

ट्रैफिक प्रबंधन: बकरीद के दौरान मस्जिदों और ईदगाहों के आसपास भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तैनाती की गई है। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।

संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी: दिल्ली और यूपी के संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष निगरानी और सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।

शांति समिति की बैठकें: दोनों राज्यों में जिला स्तर पर शांति समिति की बैठकें आयोजित की गई हैं, जिसमें सभी समुदायों से सहयोग की अपील की गई है।

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