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कृष्ण जन्माष्टमी से पितृपक्ष तक, भाद्रपद मास के व्रत-त्योहार क्या हैं?

भाद्रपद (भादव) मास का शुभारंभ हो चुका है, धार्मिक दृष्टिकोण से यह महीना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं इस महीने का महत्व और प्रमुख व्रत।

Lord Krishna and Ganesh Ji representational picture

भगवान कृष्ण और गणेश जी की प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo credit: AI

भाद्रपद (भादव) मास का शुभारंभ हो चुका है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह छठा महीना होता है, जो सावन मास के बाद आता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह महीना अगस्त और सितंबर के बीच पड़ता है। भाद्रपद माह धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें कई प्रमुख त्योहार और व्रत आते हैं। इस महीने के मौसम में बारिश का असर जारी रहता है, हवा में ठंडक और वातावरण में हरियाली की सुंदरता होती है, जिससे मन में भक्ति की भावना और भी प्रबल हो जाती है। भाद्रपद माह को विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण, भगवान गणेश, भगवान विष्णु और देवी गौरी के पूजन के लिए शुभ माना जाता है।

 

भाद्रपद मास का महत्व सबसे पहले जन्माष्टमी से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इसी महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 15 और 16 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि इस मास में कृष्ण भक्ति करने से जीवन के पाप समाप्त होते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।

 

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भाद्रपद मास का महत्व

भाद्रपद मास भगवान गणेश और श्रीकृष्ण के लिए सबसे पूजनीय समय है लेकिन इस समय देवी गौरी और भगवान विष्णु की उपासना का भी बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस माह में विशेष रूप से भगवान विष्णु के नाम का जप करने और भजन-कीर्तन करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। पितृ पक्ष के समय पितरों को श्रद्धा से तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

इस महीने के प्रमुख व्रत और त्योहार

  • हरितालिका तीज – महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी – रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है, दिनभर उपवास रखा जाता है।
  • गणेश चतुर्थी – घर या पंडाल में गणेश जी की स्थापना होती है, दसवें दिन विसर्जन किया जाता है।
  • ऋषि पंचमी – ऋषियों का पूजन और शुद्धि का व्रत किया जाता है।
  • अनंत चतुर्दशी – भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है, अनंत सूत्र धारण किया जाता है।
  • पितृ पक्ष – पूर्वजों के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
  • राधा अष्टमी
  • कजरी तीज- जीवन में सुख-शांति और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को रखा जाता है

भाद्रपद माह के नियम

  • सात्विक भोजन करें, लहसुन, प्याज, मांस, शराब और तामसिक चीजों से परहेज करें।
  • व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • झूठ, चुगली और बुरे विचारों से बचें।
  • पितृ पक्ष के समय पवित्रता और संयम बनाए रखें।
  • दान-पुण्य और गरीबों की सेवा करें।

पूज्य देवता 

  • भगवान श्रीकृष्ण – प्रेम, आनंद और भक्ति के प्रतीक।
  • भगवान गणेश – बुद्धि, विवेक और बाधा निवारक।
  • भगवान विष्णु – जीवन में स्थिरता और समृद्धि प्रदान करने वाले।
  • देवी गौरी – परिवार में सौभाग्य और खुशहाली लाने वाली।

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पूजा विधि

  • जन्माष्टमी – मक्खन, मिश्री, फल और पंचामृत का भोग लगाएं, रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव करें।
  • गणेश चतुर्थी – दूर्वा (दूब) , मोदक (लड्डू), सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें, आरती और भजन करें।
  • अनंत चतुर्दशी – अनंत भगवान की पूजा कर अनंत सूत्र (धागा) धारण करें।
  • पितृ पक्ष – नदी किनारे तर्पण और पिंडदान करें, भोजन में खीर, पूरी, दाल, सब्जी का भोग लगाएं।

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