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जन्म, महाभारत, मोक्ष: कृष्ण के जीवन की बड़ी घटनाएं कहां-कहां हुईं?

भगवान श्रीकृष्ण हिंदू धर्म के सबसे पूज्यनीय और प्रिय अवतारों में से एक माने जाते हैं, श्रीकृष्ण की लीलाएं भी बहुत प्रसिद्ध हैं। आइए जानते हैं उनके के जन्म से लेकर मोक्ष तक की पूरी कथा।

Lord Krishna Representational Picture

भगवान कृष्ण की प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

भगवान श्रीकृष्ण हिंदू धर्म के सबसे पूज्यनीय और प्रिय अवतारों में से एक माने जाते हैं। उनका जीवन अद्भुत लीलाओं, वीरता और ज्ञान से भरा हुआ था। उनका जन्म मथुरा की कारागार में भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को हुआ। माता देवकी और पिता वसुदेव ने उन्हें अत्याचारी कंस के भय से यमुना पार कर गोकुल में नंद बाबा और यशोदा की गोद में सौंप दिया था। गोकुल और वृंदावन में श्रीकृष्ण का बचपन रास-लीला, गोपियों के साथ माखन चोरी, कालिय नाग दमन और गोवर्धन पर्वत उठाने जैसी लीलाओं से भरा था। किशोर अवस्था में उन्होंने मथुरा लौटकर कंस का वध किया और अपने माता-पिता को मुक्त कराया।

 

इसके बाद उन्होंने मथुरावासियों को लेकर गुजरात के समुद्र तट पर द्वारका नगरी बसाई। यहीं उन्होंने रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती समेत 8 मुख्य रानियों से विवाह किया और न्यायपूर्ण शासन किया। महाभारत के समय, कुरुक्षेत्र में उन्होंने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया, जो आज भी जीवन दर्शन और धर्म का सर्वोच्च ग्रंथ माना जाता है। युद्ध के बाद, वह भालका क्षेत्र गए, जहां एक शिकारी जर के तीर से उनके अवतार लीला का समापन हुआ और उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया।

 

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मथुरा (जन्मस्थान)

स्थान: उत्तर प्रदेश, भारत

कथा:
कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था। उनके माता-पिता वसुदेव और देवकी थे। मथुरा में अत्याचारी मामा कंस का शासन था, जिसने उन्हें मारने का प्रयास किया क्योंकि भविष्यवाणी थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा।

 

विशेष:
यहां आज भी श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर है, जहां कारागार के गर्भगृह के दर्शन होते हैं।

गोकुल (बाल्यकाल)

स्थान: यमुना नदी के किनारे, मथुरा से लगभग 15 किमी दूर

कथा:
जन्म के तुरंत बाद वसुदेव ने यमुना पार कर कृष्ण को नंद बाबा और यशोदा को सौंप दिया। गोकुल में कृष्ण का बचपन बीता। यहीं उन्होंने पूतना वध, शकटीसुर वध, और ट्रिनिवर्त जैसे राक्षसों का अंत किया था।

 

विशेष:
आज भी नंद भवन और यमुना घाट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।

 

वृंदावन

स्थान: मथुरा से लगभग 12 किमी

कथा:
कंस के आदेश पर कई राक्षसों को मारने के बाद, नंद बाबा परिवार को लेकर वृंदावन आ गए। यहां भगवान कृष्ण की राधा और गोपियों के साथ रासलीला की कथा प्रचलित है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी स्थान पर कालिय नाग दमन और गोवर्धन पर्वत उठाने की लीला सम्पन्न हुई थी।

 

विशेष:

बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, इस्कॉन मंदिर, और गोवर्धन पर्वत यहां के मुख्य स्थल हैं।

 

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नंदगांव और बरसाना

नंदगांव: नंद बाबा का घर, मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने यहां अपना किशोर अवस्था का समय बिताया था।

बरसाना: राधा जी का जन्मस्थान, मान्यता है कि जहां श्रीकृष्ण अक्सर खेलने और होली खेलने जाते थे।

 

कथा:
बरसाना और नंदगांव की लठमार होली का वर्णन पुराणों में भी है।

 

मथुरा (कंस वध)

स्थान: मथुरा नगर

कथा:
पराणों की मान्यता के अनुसार, किशोर अवस्था में श्रीकृष्ण ने कंस को मल्लयुद्ध में मारकर जेल में बंद अपने माता-पिता को मुक्त कराया था।

 

विशेष:

यह घटना भागवत पुराण और विष्णु पुराण में विस्तार से वर्णित है।

द्वारका

स्थान: गुजरात

कथा:
भगवान श्री कृष्ण ने कंस वध के बाद जरासंध से मथुरावासियों की रक्षा के लिए समुद्र से प्राप्त भूमि पर द्वारका नामक एक दिव्य नगरी बसाई थी। मान्यताओं के अनुसार, यहां कृष्ण ने रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती और अन्य रानियों से विवाह किया। महाभारत युद्ध से पहले तक यही उनका मुख्य निवास था।

 

विशेष:
द्वारकाधीश मंदिर आज भी कृष्ण की द्वारका लीला का स्मारक है।

कुरुक्षेत्र

स्थान: हरियाणा

कथा:
पुराणों के अनुसार, महाभारत युद्ध के समय श्रीकृष्ण ने पांडवों का साथ दिया लेकिन स्वयं शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा ली। यहां उन्होंने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था।

 

विशेष:
गीता उपदेश स्थल आज भी तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है।

 

 

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भालका क्षेत्र (मोक्षस्थल)

स्थान: सौराष्ट्र, गुजरात

कथा:
पुराणों के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद  श्रीकृष्ण वन में विश्राम कर रहे थे, तभी एक जरा नामक एक शिकारी ने उनके पैर को हिरण समझकर तीर चला दिया। यह घटना महाभारत के मौसल पर्व में वर्णित है।

 

विशेष:
भालका तीर्थ  में बाण गंगा और श्रीकृष्ण मोक्षस्थल मंदिर है।

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