बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित पुनौरा धाम हिंदू आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने इस स्थान के पुनर्निर्माण के लिए आधारशिला रखी है। वहीं, वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने भी पुनौरा धाम मंदिर में दर्शन किया है। मान्यता है कि यही वह पावन स्थान है, जहां माता सीता का प्राकट्य हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार, मिथिला नरेश जनक ने एक बार यज्ञ के लिए भूमि तैयार कर रहे थे, जिसमें उन्होंने स्वयं हल चलाया था। तभी हल की नोक मिट्टी में फंसी और वहीं से एक दिव्य कन्या प्रकट हुईं। मान्यता है कि वह कन्या कोई और नहीं बल्कि देवी सीता थीं।
पुनौरा धाम मंदिर में आज भी दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और देवी सीता के चरणों में माथा टेकते हैं। यहां की मिट्टी को पवित्र और कल्याणकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस धाम में दर्शन और पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और संतान सुख की प्राप्ति होती है। बिहार सरकार के अनुसार, इस मंदिर का विकास अयोध्या के राम मंदिर के तर्ज पर किया जाएगा। सीतामढ़ी जिले में कुल 8 विधानसभा सीटें मौजूद हैं।
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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
पुनौरा धाम मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, प्राचीन काल में मिथिला नगरी पर राजा जनक का शासन था। जनक को एक बार धार्मिक अनुष्ठान के लिए भूमि तैयार करनी थी। मान्यता है कि जब वह स्वयं हल चलाकर भूमि तैयार कर रहे थे, तभी हल की नोक जमीन में फंस गई। जैसे ही मिट्टी को खोदा गया, वहां एक कलश में बाल रूपी कन्या प्रकट हुई। राजा जनक ने जब उस दिव्य कन्या को देखा तो वह चकित रह गए। कथा के अनुसार, देवी सीता के प्राकट्य के बाद उन्होंने आकाशवाणी सुनी, जिसमें बताया गया कि, 'हे जनक! यह कन्या कोई साधारण बालिका नहीं, बल्कि धरती माता की पुत्री है। इसे तुम्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार करना होगा।'
इस प्रकार धरती से प्रकट हुई इस कन्या को सीता नाम दिया गया। माता सीता को जनक और उनकी पत्नी सुनयना ने अपनी पुत्री के रूप में पाला। आगे चलकर उनका विवाह अयोध्या नरेश दशरथ के पुत्र श्रीराम से हुआ।
पुनौरा धाम से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर जानकी स्थान मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि कलश से प्रकट होने के बाद देवी सीता को इसी स्थान पर लाया गया था। यह भी कहा जाता है कि राजा जनक ने माता सीता को यहीं रखा और स्नान कराया था। बाद में वह इस शिशु कन्या को अपनी राजधानी जनकपुर ले गए और उनका नामकरण किया।
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मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
- कहा जाता है कि यहां पूजा-अर्चना करने से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।
- विवाह योग्य लड़कियां यहां आकर माता सीता से अच्छे जीवनसाथी की कामना करती हैं।
- चैत्र मास (रामनवमी) और नवरात्रि के समय मंदिर में विशाल मेले और धार्मिक आयोजन होते हैं।
- श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां दर्शन करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और संतान सुख प्राप्त होता है।
मंदिर तक जाने का रास्ता
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: नजदीकी रेलवे स्टेशन सीतामढ़ी स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 1–2 किलोमीटर दूर स्थित है।
- सड़क का रास्ता: पटना, दरभंगा और मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी के लिए सीधी बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं।
- नजदीकी एयरपोर्ट: निकटतम एयरपोर्ट पटना हवाई अड्डा है, जहां से लगभग 140 किमी दूरी है।