ज्योतिष शास्त्र में 27 प्रकार के योग का वर्णन किया गया है, जिनका अपना एक खास स्थान है। ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल से कई शुभ-अशुभ योग बनते हैं, जिनका जीवन पर प्रभाव पड़ता है। इन्हीं में से एक अत्यंत शुभ और फलदायक योग है 'ब्रह्'म योग। इसे ज्योतिष शास्त्र में बहुत पवित्र और कल्याणकारी माना गया है। इसका प्रभाव केवल धार्मिक कार्यों में ही नहीं, बल्कि जीवन की अनेक समस्याओं को भी दूर करने में सहायक माना जाता है।
ब्रह्म योग क्या है?
ब्रह्म योग एक खास ग्रह स्थिति में बनता है। जब चंद्रमा और बृहस्पति एक ही राशि में या एक-दूसरे से विशेष कोण यानी केंद्र त्रिकोण आदि में स्थित होते हैं, तब ब्रह्म योग का निर्माण होता है। कहा जाता है कि यह योग व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, बुद्धि, भाग्य और आध्यात्मिक उन्नति लाने वाला होता है। इसके अलावा, जब कोई व्यक्ति शुभ मुहूर्त में किसी कार्य की शुरुआत करता है और उस समय ब्रह्म योग बन रहा होता है, तो उस कार्य में सफलता और सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना बहुत अधिक होती है।
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शुभ कार्यों के लिए क्यों श्रेष्ठ माना जाता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ब्रह्म योग के दौरान किया गया कोई भी शुभ कार्य अत्यधिक फलदायक होता है। विशेष रूप से इस योग में पूजा-पाठ, व्रत, हवन या दान किया जाए तो उसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही व्यवसाय शुरू करना, नया घर लेना, शादी या सगाई करना, ब्रह्म योग में बहुत लाभकारी माना जाता है। एक मान्यता यह भी है कि विद्यार्थियों के लिए यह समय विद्या आरंभ के लिए भी श्रेष्ठ होता है।
ब्रह्म योग में पूजा का फल
धर्म ग्रंथों में इस योग के महत्व को विस्तार से बताया गया है। कहा जाता जाता है कि ब्रह्म योग के दौरान की गई पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति, घर में सुख-शांति की प्राप्ति, जीवन में समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है। इस समय देवी-देवताओं की कृपा जल्दी प्राप्त होती है और की गई तपस्या शीघ्र फल देती है।
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मान्यता है कि ब्रह्म योग में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आराधना से विशेष फल मिलता है। कुछ परंपराओं में यह माना जाता है कि ब्रह्म योग में भगवान ब्रह्मा की उपासना भी करनी चाहिए, क्योंकि यह योग सृष्टि, ज्ञान और सृजन से जुड़ा होता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।