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चैत्र पूर्णिमा: नवरात्रि के बाद इस व्रत का है खास स्थान, जानिए वजह

हिंदू धर्म में पूर्णिमा व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जानते हैं कब रखा जाएगा चैत्र पूर्णिमा व्रत और इस दिन का महत्व।

Image of Bhagwan Vishnu

चैत्र पूर्णिमा पर होती है भगवान विष्णु की उपासना।(Photo Credit: Creative Image)

हिंदू धर्म में पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व है। यह हिंदू महीने का आखिरी दिन होता है और इस दिन कई लोग उपवास का पालन करते हैं। बता दें कि जल्द ही चैत्र पूर्णिमा व्रत का पालन किया जाएगा। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर पूजा पाठ और पवित्र स्नान से जुड़ी भी खास मान्यताएं हैं।

चैत्र पूर्णिमा 2025 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल सुबह 03 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 13 अप्रैल सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर हो जाएगा। चंद्रोदय तिथि के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा व्रत का पालन 12 अप्रैल 2025, शनिवार के दिन किया जाएगा। बता दें कि इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 06 बजकर 15 मिनट पर होगा।

 

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चैत्र पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं

चैत्र पूर्णिमा व्रत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्वयं भगवान विष्णु ने सत्यनारायण रूप में अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया था। इसी वजह से इस दिन सत्यनारायण व्रत रखा जाता है और कथा का आयोजन किया जाता है, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है।

 

इसके अलावा, यह भी मान्यता है कि त्रेता युग में इसी दिन भगवान हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस विशेष दिन को हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखकर और विशेष पूजा करके भगवान हनुमान जी से शक्ति, साहस और रक्षा की कामना करते हैं।

चैत्र पूर्णिमा पूजा विधि

चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। ऐसा यदि संभव न हो तो नहाते समय पानी में ही गंगाजल के कुछ बूंद डाल लें। इसके बाद घर में ईशान कोण या पूजा स्थल पर पीला या सफेद वस्त्र बिछाकर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। साथ ही कलश स्थापना करें और उस पर नारियल रखें।

 

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इसके बाद भगवान को फूल, फल, दूध, पंचामृत, तुलसी और भोग अर्पित करें। उसके बाद 'सत्यनारायण व्रत कथा' का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें। इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है, इसलिए हनुमान जी को भी गंध पुष्प धूप दीप अर्पित करें और हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करें।

 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा व्रत से मन शांत रहता है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग खुलता है। वहीं, ऐसा माना जाता है कि हनुमान जयंती पर की गई पूजा से बल, बुद्धि और विजय प्राप्त होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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