हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा को बहुत ही पवित्र माना जाता है। बता दें कि उत्तराखंड चार धाम यात्रा 30 अप्रैल से शुरू हो रही है। सबसे पहले गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के पट खोले जाएंगे और इसके बाद 02 मई को केदारनाथ धाम की कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। केदारनाथ धाम अपने में एक अनूठा और दिव्य धाम है, जहां भगवान शिव की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केदारनाथ धाम में महादेव की उपासना करने से व्यक्ति की सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं केदारनाथ धाम से जुड़ा इतिहास, पौराणिक कथा और चार धाम यात्रा से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
केदारनाथ धाम की कथा और इतिहास
केदारनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित है और यह चार धामों में एक अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापों के प्रायश्चित के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लेना चाहते थे। शिवजी उनसे रुष्ट होकर केदारनाथ क्षेत्र में आकर छिप गए। जब पांडवों ने शिवजी को खोजा, तो वे एक बैल के रूप में प्रकट हुए। भीम ने उन्हें पहचान लिया और बैल की पीठ पकड़ ली। भगवान शिव ने तब अपना धड़ केदारनाथ में और शरीर के अन्य भाग अन्य पांच स्थानों पर प्रकट किया, जिन्हें पंच केदार कहा जाता है।
केदारनाथ मंदिर का वर्तमान स्वरूप 8वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था। यह मंदिर 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और चारों तरफ बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा है।
चार धाम यात्रा 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
चार धाम यात्रा 2025 में भाग लेने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। यहां रजिस्ट्रेशन का आसान तरीका बताया गया है:
- ऑनलाइन पोर्टल पर जाएं वेबसाइट: registrationandtouristcare.uk.gov.in और मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी के माध्यम से अपना अकाउंट बनाएं।
- इसके बाद आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें- फोटो, पहचान पत्र (आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि), मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र (यात्रा से पहले बनवाना होगा)।
- अपनी सुविधानुसार यात्रा का दिन और स्लॉट चुनें। साथ ऑनलाइन माध्यम से रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान करें (आमतौर पर यह नाममात्र शुल्क होता है)। रजिस्ट्रेशन के बाद एक यात्रा पास (QR कोड वाला) मिलेगा, जिसे यात्रा के दौरान साथ रखना अनिवार्य है।
केदारनाथ धाम में पूजा का समय और शुल्क
- मंदिर खुलने का समय: सुबह 4:00 बजे — दर्शन हेतु मंदिर खुलता है।
- विशेष पूजा और अभिषेक का समय: 4:00 AM से 7:00 AM तक विशेष पूजा (महाअभिषेक, रुद्राभिषेक) होती है।
- सामान्य दर्शन का समय: सुबह 7:00 बजे से शाम 3:00 बजे तक।
- शाम की आरती: शाम 5:00 बजे से 7:30 बजे तक।
- पूजा शुल्क (लगभग): रुद्राभिषेक पूजा: ₹1,700 से ₹2,500, महाअभिषेक पूजा: ₹3,500 से ₹5,500 और सामान्य पूजा: ₹300 से ₹500 (ध्यान दें: ये शुल्क समय-समय पर थोड़ा बदल सकते हैं, इसलिए आधिकारिक साइट से चेक करें।)
केदारनाथ कैसे पहुंचें?
केदारनाथ यात्रा कठिन मगर बेहद सुंदर अनुभव देती है। यहां पहुंचने का पूरा प्रोसेस:
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन: ऋषिकेश (लगभग 216 किमी) ऋषिकेश से सोनप्रयाग तक बस या टैक्सी सेवा उपलब्ध।
- हवाई मार्ग: निकटतम एयरपोर्ट: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून (लगभग 238 किमी)। एयरपोर्ट से सड़क मार्ग द्वारा सोनप्रयाग तक जाएं।
- सड़क मार्ग: हरिद्वार/ऋषिकेश से सोनप्रयाग के लिए नियमित बसें और टैक्सियां चलती हैं। सोनप्रयाग से आगे गौरीकुंड तक छोटी गाड़ियां (शटल सेवा) चलती हैं।
- पैदल यात्रा: गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक करीब 16–18 किलोमीटर का ट्रैक है। यात्री घोड़े, पालकी या डंडी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- हेलीकॉप्टर सेवा: फाटा, सिरसी और गुप्तकाशी से केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध हैं। एडवांस बुकिंग आवश्यक है जो ऑनलाइन पोर्टल या एजेंसियों के माध्यम से की जाती है।