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छठ पूजा के नियम: जानें व्रत के दौरान क्या करें और क्या न करें?

छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है, इस व्रत के दौरान महिलाएं 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखती हैं। इस आइए जानते हैं, इस व्रत के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

छठ पूजा की शुरुआत के साथ ही श्रद्धा और आस्था का पर्व पूरे देश में छा गया है। चार दिन तक चलने वाले इस व्रत में महिलाएं कठोर नियमों का पालन करती हैं, साथ ही सूर्य देव और छठी देवी की उपासना करती हैं। साल 2025 में 25 अक्टूबर, शनिवार को नहाय खाय के साथ छठ त्योहार की शुरूआत हो चुकी है।  वहीं, 26 अक्टूबर को खरना के दिन से महिलाओं का व्रत शुरू हो जाता है। जिसमें 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखने का विधान होता है और उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद इसका पारण किया जाता है।

 

यह व्रत अपनी पवित्रता और अनुशासन के लिए जाना जाता है, जहां व्रती न केवल भोजन-पानी त्याग देती हैं, बल्कि तन, मन और घर की शुद्धता का भी विशेष ध्यान रखती हैं। मान्यता है कि जो महिलाएं पूरे नियमों और निष्ठा के साथ छठ का व्रत करती हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर-परिवार में सुख, समृद्धि और संतान का आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत में क्या करना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए, इसका पालन करना बहुत जरुरी माना जाता है। 

 

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छठ व्रत के दौरान क्या करना चाहिए

शुद्धता और सात्विकता बनाए रखें

 

व्रती को पूरे व्रत के दौरान तन और मन की शुद्धता बनाए रखनी चाहिए। घर को भी साफ-सुथरा रखना जरुरी होता है। क्योंकि माना जाता है कि छठी देवी केवल पवित्र स्थान पर ही आती हैं।

 

नमक, लहसुन-प्याज भोजन न करें

 

व्रत शुरू होने से पहले (नहाय-खाय के दिन) व्रती शुद्ध सात्विक भोजन करती हैं। इस दिन केवल अरवा चावल, लौकी की सब्जी और चने की दाल खाई जाती है।

 

कड़े नियमों के साथ व्रत रखें

 

खारना के दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को गंगा जल से बनी गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद खाकर व्रत शुरू करती हैं। इसके बाद अगले 36 घंटे तक बिना अन्न और पानी के रहना होता है।

 

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सूर्य अर्घ्य विधिवत करें

 

व्रत के तीसरे दिन व्रती संध्या अर्घ्य और चौथे दिन सुबह नदी, तालाब या घाट पर खड़े होकर अस्ताचलगामी और उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं।

 

मन को शांत और भावनाओं को पवित्र रखें

 

मान्यता है कि छठी देवी भक्ति और सच्चे मन से प्रसन्न होती हैं, इसलिए व्रत के दौरान किसी के प्रति दुर्भावना या क्रोध नहीं रखना चाहिए।

 

बांस के सूप में प्रसाद रखें

 

ठेकुआ, फल, नारियल, केला आदि प्रसाद को बांस के सूप में सजाया जाता है और सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।

छठ व्रत के दौरान क्या नहीं करना चाहिए

अशुद्धता या अपवित्रता से बचें

  • व्रत के दौरान बाल धोना, नेल पॉलिश लगाना, या सजावटी चीजों का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 
  • लहसुन-प्याज, मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन बिल्कुल न करें। इसे न केवल व्रती, बल्कि घर के बाकी सदस्यों को भी इन चीजो से परहेज करना चाहिए।

झूठ, गुस्सा और कटु वचन से दूर रहें


छठी मैया का व्रत मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन का प्रतीक है, इसलिए व्रती को किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए।

 

अशुद्ध बर्तनों में प्रसाद न बनाएं


छठ का प्रसाद बहुत पवित्र होता है, इसलिए इसे केवल नए या साफ बर्तनों में ही बनाया जाता है।

 

किसी भी तरह की लापरवाही न करें


चाहे स्नान हो या पूजा की तैयारी हर काम पूरी निष्ठा और नियमों के साथ किया जाना चाहिए।

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