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हिंदू धर्म से कितना अलग है बौद्ध धर्म; क्या है मान्यता का अंतर?

भारत में बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म की जड़ें गहराई तक फैली हुई हैं। आइए जानते हैं बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म में क्या अंतर हैं, इस धर्म में किन देवी-देवताओं की पूजा होती है और इन धर्मों में समानताएं क्या हैं?

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

भारत में बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म की जड़ें गहराई तक फैली हुई हैं। दोनों धर्मों में कई समानताएं होने के बावजूद उनकी मूल मान्यताएं अलग हैं। हिंदू धर्म में ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शिव जी और देवी-देवताओं की पूजा को सृष्टि और जीवन का आधार माना जाता है। वहीं, बौद्ध धर्म में सृष्टि की किसी भी रचना में ईश्वर का अस्तित्व नही माना जाता है।  बौद्ध धर्म के अनुसार, जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य निर्वाण पाना है लेकिन इसमें आत्मा (आत्मन) के अस्तित्व को नहीं माना गया है। वहीं, हिंदू धर्म में आत्मा को शाश्वत और ब्रह्म से जुड़ा माना जाता है।

 

इन दोनों धर्मों में देवी-देवताओं की भूमिका भी अलग-अलग बताई गई है। जहां हिंदू धर्म बहुदेववादी है और देवताओं की पूजा दैनिक जीवन का हिस्सा है, वहीं बौद्ध धर्म में देवताओं को जीवन के मार्गदर्शक के रूप में माना जाता हैं, जिनसे सीधी भक्ति की अपेक्षा नहीं की जाती है। इन दोनों आस्थाओं के बीच का यह अंतर उनके आध्यात्मिक दृष्टिकोण को अलग करता है।

 

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हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में अंतर

उत्पत्ति और मूल आधार में अंतर

  • हिंदू धर्म: वेदों, उपनिषदों, पुराणों और शास्त्रों पर आधारित है। यह सबसे प्राचीन धर्मों में से एक माना जाता है और विविध मान्यताओं को समेटे हुए है।
  • बौद्ध धर्म: मान्यता के अनुसार, इसकी स्थापना 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में गौतम बुद्ध ने की थी। यह मुख्य रूप से चार आर्य सत्यों और अष्टांगिक मार्ग पर आधारित है।

 ईश्वर और देवी-देवता की मान्यता में अंतर

  • हिंदू धर्म: इसमें अनेक देवी–देवताओं की पूजा होती है जैसे ब्रह्मा, विष्णु, शिव, देवी दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश आदि। भक्ति और पूजा इसमें महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • बौद्ध धर्म: मान्यता के अनुसार, इसमें ईश्वर या देवी-देवताओं की पूजा को मुख्य स्थान नहीं दिया गया है। बुद्ध ने खुद को ईश्वर नहीं माना बल्कि मार्गदर्शक (Teacher) बताया है। हालांकि, बौद्ध धर्म के विकास के एक बाद की प्रणाली (महायान) से बोधिसत्वों और बुद्ध की मूर्तियों का सम्मान और पूजन किया जाने लगा।

मोक्ष और निर्वाण में क्या अंतर है?

  • हिंदू धर्म: मान्यता है कि जन्म-मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्ति पाने को मोक्ष कहते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार,  इसे ईश्वर की भक्ति, कर्मयोग, ज्ञानयोग और ध्यान से प्राप्त किया जा सकता है।
  • बौद्ध धर्म: दुखों से छुटकारा पाने और पुनर्जन्म के चक्र को समाप्त करने को निर्वाण कहते हैं। बौद्ध धर्म की मान्यता के अनुसार, यह अष्टांगिक मार्ग और मध्यम मार्ग के अभ्यास से प्राप्त होता है।

हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की पूजा-पद्धति में अंतर

  • हिंदू धर्म: मंदिर, पूजा, मंत्रोच्चार, यज्ञ और भक्ति पर जोर दिया जाता है।
  • बौद्ध धर्म: ध्यान, करुणा, संयम और आत्मअनुशासन पर जोर दिया जाता है।

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आत्मा के विचारों में अंतर

  • हिंदू धर्म: इस धर्म में आत्मा (आत्मन) को शाश्वत माना जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आत्मा,  परमात्मा (ब्रह्म) से एकता (एकत्व) स्थापित कर सकती है।
  • बौद्ध धर्म: इस धर्म में अनात्म का सिद्धांत माना जाता है यानी इसमें स्थायी आत्मा का अस्तित्व नहीं माना जाता है। बौद्ध धर्म में सब कुछ अनित्य माना जाता है।

हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की समानताएं

  • दोनों धर्मों का जन्म भारत की भूमि पर हुआ है और भारतीय संस्कृति से गहराई से जुड़े हैं।
  • दोनों अहिंसा को सर्वोपरि मानते हैं और जीवों पर दया, करुणा और प्रेम पर जोर देते हैं।
  • कर्म और पुनर्जन्म का सिद्धांत दोनों में मान्य है। यानी अच्छे-बुरे कर्म अगले जन्म को प्रभावित करते हैं।
  • दोनों ही धर्म आत्मसंयम, ध्यान और साधना पर जोर देते हैं।
  • दोनों धर्मों में सत्य और धर्मपालन को जीवन जीने का आधार माना जाता है।
  • दोनों ही धर्मों में समाज में समानता और भाईचारे की भावना को महत्व दिया गया है।

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