हिंदू धर्म में हर जीव-जंतु का अपना महत्व होता है लेकिन कुत्ते को विशेष रूप से धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं में अद्भुत स्थान दिया गया है। इसे सिर्फ इंसान का वफादार साथी ही नहीं, बल्कि कई देवताओं का वाहन और प्रतीक भी माना गया है। प्राचीन वेदों और पुराणों में कुत्ते का उल्लेख मिलता है। महाभारत के प्रसिद्ध प्रसंग के अनुसार, जब धर्मराज युधिष्ठिर स्वर्ग की ओर जा रहे थे, तो एक कुत्ता उनके साथ गया था।
गरुड़ पुराण और स्कंद पुराण में बताया गया है कि यमराज के द्वारपाल चार काले कुत्ते होते हैं, जो आत्माओं की रक्षा करते हैं। वहीं भैरव बाबा की पूजा में कुत्तों का विशेष महत्व है क्योंकि कुत्ता उनका वाहन माना जाता है।
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वेदों और पुराणों में कुत्ते से जुड़ी मान्यता
ऋग्वेद और महाभारत में कुत्ते का उल्लेख मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, महाभारत में जब धर्मराज युधिष्ठिर स्वर्ग जा रहे थे, तब एक कुत्ता उनके साथ था। युधिष्ठिर ने उस कुत्ते को छोड़ने से इंकार कर दिया था, क्योंकि उनके लिए निष्ठा और साथ निभाना सबसे बड़ा धर्म था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, बाद में उसी कुत्ते ने यम का रूप धारण कर लिया था। स्कंद पुराण और गरुड़ पुराण में कुत्ते को यमराज से जोड़ा गया है। माना जाता है कि यमराज के द्वारपाल के रूप में चार काले कुत्ते रहते हैं। वहीं, कुत्ता भैरव बाबा का भी वाहन माना जाता है। भैरव बाबा की पूजा में कुत्तों को विशेष महत्व दिया जाता है।
कुत्ते को भोजन देने का महत्व
- धार्मिक मान्यता है कि कुत्तों को रोटी, दूध या भोजन खिलाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- ज्योतिष के अनुसार, कुत्ते को भोजन देने से शनि दोष और राहु-केतु दोष भी शांत होते हैं।
- लोगों की मान्यताओं के अनुसार, मंगलवार और शनिवार को काले कुत्तों को रोटी या दूध देने से जीवन में संकट और बाधाएं दूर होती हैं।
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कुत्ते के साथ अच्छा और बुरा व्यवहार
- कुत्ते को इंसान का सबसे वफादार साथी माना गया है। इसके साथ अच्छा व्यवहार करना पुण्य फलदायी माना जाता है।
- मान्यता है कि कुत्ते को पीड़ा देने या उसके साथ बुरा व्यवहार करने से पितरों की नाराजगी हो सकती है और जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं।
- खासकर भैरव उपासक मानते हैं कि कुत्ते को मारना या तंग करना भैरव बाबा की कृपा से वंचित कर देता है।