हिंदू धर्म में भगवान गणेश की उपासना के लिए चतुर्थी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश की उपासना करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। बता दें कि फाल्गुन महीना शुरू हो चुका और इस महीने का पहला महत्वपूर्ण व्रत द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत के रूप में रखा जाएगा। आइए जानते हैं, व्रत तिथि और पूजा मुहूर्त।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 15 फरवरी के दिन 11 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 17 फरवरी रात्रि 02 बजकर 15 मिनट पर हो जाएगी। ऐसे में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन 16 फरवरी 2025, रविवार के रखा जाएगा। इस दिन चंद्रोदय तक ही व्रत का पालन किया जाता है।
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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा नियम
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत को करने के लिए सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और सफलता की प्रार्थना करें। दिनभर मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखें और मौन रहने का प्रयास करें। संध्या समय फिर से स्नान करके लाल वस्त्र पहनें और श्रद्धापूर्वक गणेश जी की पूजा करें। धूप, दीप, पुष्प, फल और प्रसाद अर्पित करें। चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव की पूजा करके उन्हें अर्घ्य दें। इसके पश्चात व्रत का पारण करें और भोजन ग्रहण करें।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत से जुड़ी मान्यता
शास्त्रों में यह बताया गया है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन करने व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बता दें कि सनातन धर्म में भगवान गणेश की उपासना प्रथम देवता के रूप में की जाती है और उन्हें ज्ञान का देवता भी कहा जाता है। ऐसे में मान्यता है कि चतुर्थी व्रत के दिन पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को बुद्धि, धन आदि का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।