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एकादशी पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त को इसलिए कहा जाता है सबसे उत्तम

एकादशी व्रत भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

Image of Bhagwan Vishnu

अभिजीत मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा को माना जाता है फलदाई।(Photo Credit: Creative Image)

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त का विशेष स्थान होता है। ऐसा माना जाता है कि सही समय पर किया गया कोई भी धार्मिक कार्य अत्यंत फलदायी होता है। अभिजीत मुहूर्त भी ऐसा ही एक शुभ और प्रभावशाली समय होता है जिसे सभी कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

अभिजीत मुहूर्त क्या है?

अभिजीत मुहूर्त सूर्य के मध्य आकाश में रहने का समय होता है, जो लगभग दोपहर 11:45 से 12:30 के बीच होता है। यह समय हर दिन लगभग 28 मिनट का होता है लेकिन सटीक समय सूर्योदय के आधार पर थोड़ा बदल सकता है।

 

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यह मुहूर्त विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह अमृत तुल्य होता है। यदि किसी व्यक्ति को दिन में कोई शुभ कार्य करना हो और वह अन्य मुहूर्तों को न देख पाए, तो अभिजीत मुहूर्त में कार्य करना अत्यंत शुभ माना गया है।

इस मुहूर्त में किन देवताओं की पूजा की जाती है?

अभिजीत मुहूर्त में सामान्यतः किसी एक विशेष देवता की पूजा नहीं होती, बल्कि इसे सर्व-देवता पूजन के लिए उपयुक्त समय माना जाता है। फिर भी, इस समय भगवान विष्णु, गणेश और सूर्य की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है।

 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में संतुलन और शांति आती है। वहीं गणपति जी की आराधना से कार्यों की बाधाएं दूर होती हैं और सूर्य देव को जल अर्पण करने से आत्मबल और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

एकादशी व्रत पर अभिजीत मुहूर्त का महत्व

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन उपवास रखकर, भक्ति और पूजा की जाती है। इस दिन यदि अभिजीत मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।

 

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कई श्रद्धालु इस समय में विशेष विष्णु सहस्रनाम पाठ, तुलसी अर्पण और दीपदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस समय की पूजा से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं और साधक को पापों से मुक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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