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यह है एकादशी व्रत का महामंत्र, अर्थ के साथ जानिए महत्व

एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु को समर्पित महामंत्र का जाप करने से लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं श्री हरि मंत्र का अर्थ और महत्व।

Ai Image of Bhagwan Vishnu

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: AI Image)

हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की उपासना का का विशेष स्थान है। सनातन धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है। उन्हें ‘हरि’ नाम से भी पुकारा जाता है, जिसका अर्थ है- जो सभी दुःखों और पापों को हर लेते हैं। श्री हरि मंत्र एक ऐसा शक्तिशाली स्तुति-पाठ है जो विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। इसका पाठ भक्तों को मानसिक शांति, सफलता और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।

श्री हरि मंत्र क्या है?

श्री हरि मंत्र एक संस्कृत रचना है जो भगवान विष्णु की महिमा, रूप, कार्य और गुणों का वर्णन करती है। इसे अक्सर सुबह-सुबह अथवा किसी विष्णु उपासना के समय पढ़ा जाता है। इस मंत्र में भगवान हरि (विष्णु) की अनेक लीलाओं, नामों और स्वरूपों की सुंदर व्याख्या की गई है।

श्री हरि मंत्र का शाब्दिक अर्थ (मुख्य श्लोकों के साथ):

'शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं'


अर्थ: जिनका स्वरूप शांति से परिपूर्ण है, जो शेषनाग पर शयन करते हैं, जिनकी नाभि में कमल है, और जो देवताओं के स्वामी हैं।

 

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'विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गं'


अर्थ: जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड का आधार हैं, आकाश के समान व्यापक हैं, मेघों के रंग जैसे हैं और जिनके अंग शुभता से भरे हुए हैं।


'लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्'


अर्थ: जो लक्ष्मीपति हैं, कमल जैसे नेत्रों वाले हैं, और जो योगियों के ध्यान का विषय हैं।


'वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथं'


अर्थ: मैं ऐसे भगवान विष्णु को प्रणाम करता हूँ, जो संसार के भय को हरने वाले और सब लोकों के एकमात्र स्वामी हैं।

श्री हरि मंत्र के लाभ

  • मन की शांति: इस मंत्र का नित्य पाठ करने से मन शांत और स्थिर रहता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: घर या कार्यस्थल पर इसका पाठ करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
  • धन, सुख और समृद्धि: भगवान विष्णु लक्ष्मीपति हैं, उनका स्मरण जीवन में समृद्धि लाता है।
  • भय और दुख दूर होते हैं: श्री हरि का स्मरण कठिन समय में मनोबल प्रदान करता है।
  • कर्मों का शुद्धिकरण: मंत्र के नियमित जप से पापों का क्षय होता है।
  • स्वास्थ्य लाभ: मानसिक तनाव घटता है, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य भी सुधरता है।
  • धार्मिक पुण्य: विष्णु स्तुति करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है।
  • योग और ध्यान में सहायक: योगीजन इस मंत्र का पाठ ध्यान साधना से पहले करते हैं।
  • सपनों की शुद्धि: इससे भयानक स्वप्न नहीं आते और नींद बेहतर होती है।
  • मोक्ष की ओर अग्रसरता: यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में भी सहायक होता है।

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पाठ की विधि

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएँ।
  • शांत मन से श्री हरि मंत्र का पाठ करें।
  • पाठ के बाद विष्णु जी को तुलसी पत्र अर्पित करें।
  • अंत में विष्णु मंत्र- 'ॐ नमो नारायणाय' का जाप करें।

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