हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम देवता के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश की उपासना प्रत्येक मास के चतुर्थी तिथि के दिन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते हैं। बता दें कि चतुर्थी व्रतों में भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन से गणेश चतुर्थी पर्व का शुभारंभ होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का अवतरण हुआ है। ऐसी भी मान्यता है कि इस अवधि में श्री गणेश अपने भक्तों से मिलने के लिए धरती पर वास करते हैं। जिस वजह से यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
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कब है गणेश चतुर्थी 2025?
पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 26 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। साथ ही इस दिन को कुछ स्थानों पर कलंकी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक मान्यता यह है कि इस दिन चन्द्रमा देखने से व्यक्ति पर मिथ्या दोष या कलंक लगता है।
गणेश चतुर्थी की पौराणिक मान्यता क्या है?
गणेश चतुर्थी से जुड़ी कथा बहुत रोचक और श्रद्धा से भरी हुई है। मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने शरीर के उबटन से एक बालक की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण फूंक दिए। उस बालक को उन्होंने द्वार पर बैठाकर कहा कि वह किसी को भी अंदर न आने दे। उसी समय भगवान शिव वहां आए और वह बालक उन्हें भी अंदर नहीं जाने दे रहा था। इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने उस बालक का सिर काट दिया।
जब माता पार्वती को यह ज्ञात हुआ, तो उन्होंने शोक में सृष्टि को नष्ट करने की ठान ली। तब भगवान शिव ने सभी देवताओं को भेजा कि वे उत्तर दिशा की ओर जाकर सबसे पहला जीव जो उन्हें मिले उसका सिर लेकर आएं। वह एक हाथी का सिर था। महादेव ने वह सिर उस बालक के धड़ पर लगाकर उसे फिर से जीवित कर दिया। वह बालक ही गणपति कहलाए और देवताओं ने उन्हें ‘सर्वप्रथम पूज्य’ होने का वरदान दिया।
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गणेश चतुर्थी की पूजा का महत्व क्या है?
- गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी बेहद खास पर्व है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि वे विघ्नों को दूर करने वाले, संकट हरने वाले और बुद्धि और ज्ञान के देवता माने जाते हैं।
- गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है। विशेषकर कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करना अनिवार्य माना जाता है। इसीलिए उन्हें ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है।
- गणेश चतुर्थी के दिन भक्त घरों और पंडालों में गणपति जी की मूर्ति स्थापित करते हैं। पूरे विधि-विधान से पूजन किया जाता है। 10 दिनों तक गणेश जी की आरती, भजन, प्रसाद और पूजा का आयोजन होता है। अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।