गणेश चतुर्थी का पर्व इस बार पूरे देश में धूमधाम और आस्था के साथ मनाया जाएगा। भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को गणपति बप्पा का आगमन होता है और श्रद्धालु घरों और पंडालों में उनकी प्रतिमा स्थापित करते हैं। मान्यता है कि विधि-विधान से की गई गणेश स्थापना से घर-परिवार में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और शांति आती है लेकिन मूर्ति स्थापना से पहले कुछ जरूरी परंपराओं और नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक होता है।
गणपति की मूर्ति लाते समय शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। मूर्ति ऐसी होनी चाहिए, जो घर या पंडाल में ठीक से स्थापित हो सके और पूजा स्थान का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भर दे। प्रतिमा की दिशा, स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री और पूरे उत्सव के दौरान स्वच्छता का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि अगर स्थापना विधि अनुसार की जाए तो विघ्नहर्ता गणपति सभी कष्टों को दूर करते हैं और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।
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मूर्ति स्थापना से पहले रखें इन बातों का विशेष ध्यान
सही मुहूर्त और तिथि देखें
- गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है।
- मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त पंडित या पंचांग देखकर तय करें।
- शुभ समय में स्थापना करने से पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है।
मूर्ति का चयन
- मूर्ति मिट्टी (शाडू मिट्टी) की होनी चाहिए क्योंकि यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
- मूर्ति का आकार घर की जगह के अनुसार होना चाहिए। बहुत बड़ी मूर्ति न रखें जिससे विसर्जन में कठिनाई हो।
- भगवान गणेश की सूंड का झुकाव बाईं ओर (वामवर्ती) वाली मूर्ति शुभ और गृहस्थ जीवन के लिए उत्तम मानी जाती है।
- मूर्ति का चेहरा देखने में शांत और प्रसन्न होना चाहिए।
स्थापना के स्थान का चुनाव
- मूर्ति घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूजाघर में स्थापित करनी चाहिए।
- मूर्ति को दीवार से सटाकर न रखें, पीछे थोड़ी जगह खाली छोड़ें।
- मूर्ति के सामने बैठने और पूजा करने की पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
- स्थान स्वच्छ, पवित्र और हवादार होना चाहिए।
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स्थान और सामग्री की तैयारी
- मूर्ति स्थापना से पहले घर और पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें।
- पूजा स्थल पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर चौकी रखें।
- चौकी पर चावल या फूल रखकर उस पर मूर्ति स्थापित करें।
- मूर्ति स्थापना के लिए यह सामग्री ले आए- नारियल, दूर्वा (घास), मोदक, फल, सुपारी, रोली, अक्षत, पंचामृत, दीपक, धूप आदि।
मूर्ति स्थापना की विधि
- स्थापना से पहले कलश स्थापना करें।
- कलश में गंगाजल, सुपारी, सिक्का, दूर्वा और आम्रपल्लव डालें और नारियल रखें।
- मंत्रों के उच्चारण और गणेश जी की प्राण प्रतिष्ठा विधि के साथ मूर्ति स्थापित करें।
- मूर्ति की स्थापना के बाद आरती, भोग और प्रार्थना करें।
व्रत और आचरण
- स्थापना के समय परिवार के सदस्य पवित्रता का पालन करें।
- पूजा के दौरान साफ कपड़े पहनें और सात्विक आहार लें।
- पूजा में विशेष रूप से दूर्वा (घाल), मोदक (लड्डू) और लाल फूल को चढ़ाएं करें क्योंकि ये गणेश जी को प्रिय हैं।
विसर्जन की तैयारी
- स्थापना के दिन ही तय करें कि मूर्ति विसर्जन कब और कहां होगा।
- अगर घर में स्थापना है तो 1 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 11 दिन तक गणेश जी को रखा जा सकता है।
- विसर्जन हमेशा श्रद्धा और भक्ति के साथ करें, पर्यावरण का ध्यान रखते हुए मिट्टी की मूर्ति को जल में विसर्जित करें।