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जब गंगा ने दिया श्री राम को विजय होने का आशीर्वाद, पढ़ें कुछ रोचक कथाएं

हिंदू धर्म में भगवान श्री राम और देवी गंगा को बहुत पवित्र माना जाता है। आइए पढ़ते हैं देवी गंगा और श्री राम से जुड़ी कथाएं।

Ai image of Devi ganga and Shri Ram

श्री राम और देवी गंगा में संवाद।(Photo Credit: AI Image)

हिन्दू धर्म में भगवान श्री राम और देवी गंगा को अत्यंत पूजनीय माना जाता है। धर्म-ग्रंथों के अनुसार, गंगा नदी को देवी का स्वरूप माना जाता है और श्री राम विष्णु के अवतार वर्णित किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि आती है। वहीं भगवान श्री राम की उपासना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन दोनों के बीच कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा अयोध्या के राजा दशरथ से जुड़ी है और दूसरी स्वयं श्री राम के गंगा तट पर आने की है।

पहली कथा: राजा दशरथ और गंगा का संवाद

एक बार अयोध्या के महाराज दशरथ गंगा नदी के तट पर पूजा करने पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि एक सुंदर कन्या गंगा जल से खेल रही है। राजा ने उस कन्या से पूछा— 'आप कौन हैं?'

 

तब वह कन्या (जो स्वयं मां गंगा थीं) बोलीं— 'मैं गंगा हूं, जो स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई हूं। मेरे जल में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।'

 

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राजा दशरथ ने विनम्रता से कहा— 'हे देवी, मैं पुत्र प्राप्ति की कामना से यहां आया हूं। कृपया मुझे आशीर्वाद दें।'

 

मां गंगा मुस्कुराईं और बोलीं— 'राजन, आपकी प्रार्थना सुन ली गई है। आपके घर एक महान आत्मा का जन्म होगा, जो संसार का कल्याण करेगा।'

 

कुछ समय बाद, राजा दशरथ को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और श्री राम का जन्म हुआ। इस प्रकार, देवी गंगा ने राजा को आशीर्वाद देकर भगवान राम के अवतार का मार्ग प्रशस्त किया।

दूसरी कथा: श्री राम का गंगा तट पर आगमन

जब श्री राम को 14 वर्ष का वनवास मिला, तब वे अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या से निकले। उनका पहला पड़ाव गंगा नदी के तट पर था। वहां उन्होंने निषादराज गुह से मुलाकात की और गंगा पार करने के लिए नाव का प्रबंध किया।

 

श्री राम और गंगा का संवाद

गंगा तट पर खड़े होकर श्री राम ने मां गंगा को प्रणाम किया और कहा—

 

'हे मां, आपका जल पवित्र है और आप सभी के पापों को धो देती हैं। मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि मेरे वनवास के मार्ग में आप हमारी रक्षा करें।'

 

तब गंगा मैया प्रकट हुईं और बोलीं- 'हे राम, आप स्वयं भगवान हैं। आपके चरणों का स्पर्श पाकर मैं धन्य हो गई हूं। आपका वनवास कठिन होगा लेकिन आपकी भक्ति और धर्म के बल पर आप विजयी होंगे।'

 

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इसके बाद, श्री राम ने गंगा जल में हाथ डालकर प्रार्थना की और नाव पर सवार होकर वन की ओर चले गए।

तीसरी कथा: श्री राम का गंगा जल से अभिषेक

रामायण के एक अन्य प्रसंग के अनुसार, जब श्री राम लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे, तो उनका राज्याभिषेक गंगा जल से किया गया। मां गंगा ने स्वयं अपना पवित्र जल भेजकर श्री राम के मुकुट को धोया और आशीर्वाद दिया-

 

'हे प्रभु, आपका राज्य सदैव धर्म पर टिका रहे। आपके नाम से यह नदी भी 'राम-गंगा' कहलाएगी।' इसलिए आज भी काशी और प्रयाग में गंगा को 'राम-गंगा' के नाम से पुकारा जाता है।

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