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गंगा दशहरा: भगीरथ की तपस्या और पापों को हरने वाली गंगा की पूजा कब

हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पर्व का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, इस स्थान से जुड़ी मान्यताएं और पूजा महत्व।

Image of Ganga River

गंगा दशहरा के दिन होती देवी गंगा की उपासना।(Photo Credit: File Image)

हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पर को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां गंगा को पाप विनाशिनी कहा जाता है अर्थात ऐसी नदी जो हर पापों को हर लेती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा नदी में स्नान-ध्यान करने से व्यक्ति के सभी भाग और कष्ट दूर हो जाते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस दिन को ‘गंगावतरण’ के नाम से की जाना जाता है।   आइए जानते हैं गंगा दशहरा तिथि और शुभ मुहूर्त।

गंगा दशहरा 2025 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 4 जून रात्रि 11:50 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 6 जून सुबह 2:10 पर हो जाएगा। ऐसे में गंगा दशहरा पर्व 5 जून 2025, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन हस्त नक्षत्र में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। हस्त नक्षत्र 5 जून सुबह 3:35 से 6 जून सुबह 6:30 के बीच रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान गंगा स्नान और पूजा पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

 

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गंगा दशहरा की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए कठोर तपस्या की। उनके पूर्वजों की अस्थियाँ कपिल मुनि के श्राप से राख हो गई थीं और उनकी मुक्ति केवल गंगा जल से संभव थी। राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने गंगा को धरती पर भेजने का वचन दिया, लेकिन गंगा के वेग को सहने के लिए भगवान शिव को उसे अपनी जटाओं में समाहित करना पड़ा।

 

शिवजी ने गंगा को अपनी जटाओं में रोककर फिर धीरे-धीरे पृथ्वी पर छोड़ा। इस तरह मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ। यह दिन गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

पूजा का महत्व

गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान को अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने और दस पापों को छोड़ने से मनुष्य के सारे दोष दूर हो जाते हैं। लोग इस दिन गंगा में स्नान करते हैं, गंगा जल घर लाकर पूजा करते हैं, दान करते हैं और भगवान शिव व गंगा माता की विशेष आराधना करते हैं।

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