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कैसे करें गौरी पूजा? मंत्र, श्रृंगार सामग्री से नियम तक सब जानें

देवी गौरी विशेष रूप से महिलाएं करती हैं, जिसमें कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं गौरी पूजा के नियम।

Devi Gauri Puja

देवी गौरी पूजा।(Photo Credit: AI Image)

गौरी पूजा हिन्दू धर्म में माता पार्वती (गौरी) को समर्पित एक विशेष पूजा है। यह पूजा विशेष रूप से महिलाओं द्वारा सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी उम्र और संतान सुख की कामना के लिए की जाती है। कुंवारी कन्याएं भी यह पूजा अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। यह पूजा विशेष रूप से गणगौर, हरितालिका तीज, गौरी तृतीया जैसे अवसरों पर की जाती है, लेकिन श्रद्धा भाव से इसे कभी भी किया जा सकता है।

 

इस पूजा में माता गौरी को सौभाग्य की देवी माना जाता है और यह माना जाता है कि जो भी महिला सच्चे मन से माता की पूजा करती है, उसे सुख-समृद्धि और अच्छे जीवनसाथी का वरदान मिलता है।

 

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गौरी पूजा कैसे की जाती है?

गौरी पूजा घर में शुद्धता और पवित्रता के साथ की जाती है। पूजा करने से पहले घर और पूजा स्थान को अच्छे से साफ किया जाता है। एक चौकी पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर उस पर माता गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है।

 

माता गौरी को श्रृंगार का बहुत प्रिय है, इसलिए उन्हें सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, काजल, मेहंदी, कंघी आदि श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। साथ ही, लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनाकर पूजा की जाती है। माता को ताजे फूलों की माला, खासकर गुलाब और गेंदे के फूल बहुत पसंद होते हैं।

 

इसके बाद जल, रोली, चावल, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से विधिपूर्वक पूजा की जाती है। मां को भोग के रूप में मीठा या घर में बना हुआ शुद्ध प्रसाद अर्पित किया जाता है। कई स्थानों पर महिलाएं गेहूं या जौ के आटे से गौरी की छोटी मूर्ति बनाकर भी पूजती हैं।

 

पूजा के दौरान 'ॐ गौरी मातायै नमः" मंत्र का जाप किया जाता है या माता पार्वती की कथा सुनी या सुनाई जाती है। इसके अलावा, 'सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते'। यह कथा बताती है कि कैसे माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था।

 

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गौरी पूजा के नियम क्या हैं?

  • पवित्रता बनाए रखना जरूरी है- पूजा करने से पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहनने चाहिए और पूजा स्थान को शुद्ध करना चाहिए।
  • श्रद्धा और संयम- इस पूजा को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। मन और विचार दोनों पवित्र होने चाहिए।
  • व्रत का पालन- कुछ महिलाएं इस दिन व्रत भी रखती हैं और दिनभर जल या फलाहार पर रहती हैं।
  • माता को श्रृंगार अर्पण करना जरूरी होता है- माता को सुहाग की वस्तुएं चढ़ाने से पूजा सफल मानी जाती है।
  • प्रसाद सभी को बांटें- पूजा के बाद प्रसाद को घर के सभी सदस्यों और आसपास की महिलाओं को बांटना शुभ माना जाता है।
  • भक्ति भाव बनाए रखें- पूजा में मन को पूरी तरह लगाना आवश्यक होता है। सिर्फ नियमों से नहीं, भावनाओं से माता को प्रसन्न किया जा सकता है।

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