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सिद्धि उपासना से तांत्रिक पूजा तक, जानें गुप्त नवरात्रि के सभी रहस्य

हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि गोपनीय रूप से क्यों किया जाता है और मान्यताएं क्या-क्या है।

AI Image of Devi Durga

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: AI Image)

हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व देवी उपासना के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। वैसे तो साल में चार नवरात्रियां आती हैं लेकिन दो को ही सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है- चैत्र और शारदीय नवरात्रि के रूप में। बाकी दो नवरात्रियां होती हैं आषाढ़ और माघ मास में, जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। यह विशेष रूप से तांत्रिक साधना, सिद्धि उपासना और गुप्त शक्ति मार्ग के लिए मानी जाती हैं।

गुप्त नवरात्रि क्या है?

गुप्त नवरात्रि का अर्थ है ऐसी नवरात्रियां जो आम लोगों को कम ज्ञात होती हैं और जिनमें उपासना गोपनीय रूप से की जाती है। यह पर्व तांत्रिकों, तंत्र साधकों और योगियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इन नौ दिनों में दस महाविद्याओं की साधना कर अनेक चमत्कारी सिद्धियां प्राप्त करने के लिए साधन कि जाती है।

 

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इसके साथ गुप्त नवरात्रि में पूजा विधि आम नवरात्रि से काफी अलग होती है। इसमें देवी के गुप्त रूपों, विशेषकर दस महाविद्याओं- काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला की साधना की जाती है।

 

इन साधनाओं के माध्यम से साधक आत्मशुद्धि करता है और कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में साधन करने से अद्भुत शक्तियों की प्राप्ति करता है। इसके साथ वह लोग भी इस नवरात्रि में साधन करते हैं जो मंत्रों को सिद्ध करने की कोशिश करते हैं। मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है। साथ ही यह पूजा अत्यंत संयम, गोपनीयता और गुरु के मार्गदर्शन में ही की जाती है।

गुप्त नवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य

गुप्त नवरात्रि का रहस्य यह है कि यह भीतर की यात्रा का पर्व है। जहां सामान्य नवरात्रि में लोग बाहरी पूजा-पाठ और उत्सव करते हैं, वहीं गुप्त नवरात्रि में साधक अपने भीतर देवी का आवाहन करता है। यह आत्मचिंतन, साधना और ब्रह्मज्ञान की ओर ले जाने वाला समय होता है, जिसमें बहुत संयम और अनुशासन की जरूरत होती है।

गुप्त नवरात्रि की पौराणिक कथा

एक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती से पूछा कि क्या वह सभी देवी रूपों को एक साथ देख सकती हैं। माता पार्वती ने कहा – 'यदि मैं अपनी समस्त शक्तियों का आवाहन करूं तो मैं स्वयं को सहन नहीं कर पाऊंगी।'

 

तब देवी ने कहा कि जो साधक सच्ची श्रद्धा से नौ दिनों तक मेरी शक्ति के दस रूपों की साधना करेगा, उसे वे सभी रूप दर्शन देंगी।

 

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तब माता ने दस रूपों में प्रकट होकर ब्रह्मांड की रक्षा, रक्षण और विनाश की शक्ति का प्रदर्शन किया। इस समय को ही गुप्त नवरात्रि कहा गया, और तब से यह परंपरा तांत्रिक साधकों में चली आ रही है।

 

एक अन्य कथा में बताया गया है कि रावण ने इसी गुप्त नवरात्रि में माता काली और दस महाविद्याओं की साधना कर अनेकों शक्तियां प्राप्त की थीं। लेकिन अहंकारवश उसका अंत हुआ।

किनके लिए उपयुक्त है यह साधना?

गुप्त नवरात्रि में तंत्र उपासना न तो हर किसी को करने की सलाह दी जाती है और न ही कोी इसे सहन कर सकता है। इन नौ दिनों में उन्हें ही साधना करनी चाहिए जो साधक तंत्र-मंत्र की साधना में रुचि रखते हैं, साथ जो आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हैं। इसके साथ इस नवरात्रि में गुप्त साधना उनके भी उपयुक्त होता है जो मानसिक, शारीरिक और आत्मिक बल प्राप्त करना चाहते हैं।

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