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मां लक्ष्मी के शक्तिशाली मंत्र और उनका अर्थ, साथ ही जानें महत्व

शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की उपासना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से लाभ मिलता है।

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देवी लक्ष्मी।(Photo Credit: Creative Image)

शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुक्रवार के दिन पूजा-पाठ और मां लक्ष्मी की उपासना करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। बता दें कि इस विशेष दिन पर कुछ विशेष मंत्रों का भी जाप करना चाहिए, जिससे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी को समर्पित कुछ प्रभावशाली मंत्र:


नमस्ये सर्वलोकानां जननीमब्जसम्भवाम्।
श्रियमुन्निद्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥

 

इस मंत्र का अर्थ है: जो संपूर्ण लोकों की जननी हैं, जिनके कमल जैसे नेत्र हैं और जो भगवान विष्णु के वक्षस्थल में विराजमान हैं, ऐसी मां लक्ष्मी को मैं नमस्कार करता हूं। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

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नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

 

इस मंत्र का अर्थ है: जो देवी श्रीपीठ में विराजमान हैं और देवताओं द्वारा पूजित महामाया हैं, मैं उन्हें नमस्कार करता हूं। जिनके हाथ में शंख, चक्र और गदा है, उन महालक्ष्मी को मैं प्रणाम करता हूं। इस मंत्र का जाप करने से साधक को सुख, समृद्धि और धन-ऐश्वर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

 

इस मंत्र का अर्थ है: जिन्हें सभी चीजों का ज्ञान है, जो सभी वरदान देती हैं, सभी दुष्टों को भय प्रदान करती हैं, और दुखों को हरने वाली हैं, ऐसी मां लक्ष्मी को मैं प्रणाम करता हूं। शास्त्रों में बताया गया है कि इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं और हर प्रकार का डर समाप्त हो जाता है।

 

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सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

 

इस मंत्र का अर्थ है: जो सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष को प्रदान करती हैं, उन मंत्रपूत भगवती मां लक्ष्मी को मैं सदैव प्रणाम करता हूं। इस मंत्र का प्रत्येक दिन जाप करने से साधक को बुद्धि, धन, ऐश्वर्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

 

इस मंत्र का अर्थ है: हे कमल के आसन पर विराजमान ब्रह्म स्वरूपिणी देवी, हे परमेश्वरी, जगत माता, महालक्ष्मी, मैं आपको सदैव प्रणाम करता हूं। इस मंत्र के जाप से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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