हिंदू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार, परम भक्त और अमर देवता माना गया है। वे अष्ट सिद्धियों और नव निधियों के दाता हैं और रामभक्तों में सर्वोच्च स्थान रखते हैं। उनसे जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें एक विशेष मान्यता यह भी है कि आने वाले भविष्य में हनुमान जी ब्रह्मा के पद पर प्रतिष्ठित होंगे। यह मान्यता धार्मिक ग्रंथों और संतों की वाणी में समय-समय पर सामने आई है, और इसका गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है।
पौराणिक मान्यता – हनुमान जी बनेंगे ब्रह्मा
पुराणों और संत साहित्य में यह उल्लेख मिलता है कि जब इस सृष्टि का वर्तमान चक्र समाप्त होगा और नया कल्प आरंभ होगा, तब हनुमान जी को ब्रह्मा का पद प्रदान किया जाएगा।
ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता कहा जाता है। चार वेद, योग और ज्ञान की शक्ति से युक्त ब्रह्मा जी हर कल्प में नए जीवों, प्राणियों, वनस्पतियों और लोकों की रचना करते हैं। यह पद अत्यंत पूजनीय और जिम्मेदारी भरा होता है।
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हनुमान जी को यह पद इसलिए प्राप्त होगा क्योंकि वे त्रेतायुग में अपने बल, भक्ति, बुद्धि और संयम से अद्वितीय सिद्ध हुए। भगवान राम की सेवा और उनके प्रति समर्पण ने उन्हें देवताओं के भी ऊपर स्थान दिलाया।
वाल्मीकि रामायण, अनंत रामायण और संत तुलसीदास द्वारा रचित 'रामचरितमानस' में भी हनुमान जी की महिमा का वर्णन करते हुए संकेत मिलता है कि वे केवल इस युग के नहीं, आने वाले युगों के लिए भी विशेष रूप से पूज्य रहेंगे।
इस पद के लिए क्यों चुने जाएंगे हनुमान?
हनुमान जी को भगवान राम ने आशीर्वाद दिया था कि जब तक इस धरती पर रामकथा का सुना और पढ़ा जाता रहेगा, तब तक वे जीवित रहेंगे। उनका यह अमरत्व उन्हें आने वाले कल्पों के लिए योग्य बनाता है।
धर्म कथाओं में हनुमान जी को केवल बलशाली नहीं, बल्कि महान ज्ञानी और योगी भी माना जाता है। वे वेद, शास्त्र, आयुर्वेद और संस्कृत के गहन ज्ञाता हैं।
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उन्होंने भगवान राम की सेवा पूर्ण समर्पण और निस्वार्थ भाव से की। ब्रह्मा जैसे पद के लिए यही सबसे बड़ा गुण माना गया है – सेवा और सृजन में एकाग्रता। साथ ही हनुमान जी भगवान शिवजी के हैं, इसलिए सृष्टि के अगले चक्र में सृजन का कार्य भी उनके माध्यम से ही किया जाएगा।
ब्रह्मा पद का दायित्व क्या होता है?
शास्त्रों में यह वर्णित है कि नए ब्रह्मांड की रचना करना, जीवों, योनियों, ऋषियों, देवताओं और लोकों का निर्माण करना इस पद के दायित्व हैं। इसके साथ वह कर्मों के अनुसार सृष्टि के नियम तय करते हैं और धर्म की स्थापना व वेदों की रक्षा करना उनके विभिन्न दायित्वों में से एक है। साथ ही वे ब्रह्मांड के चक्रों का संचालन करते हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।